यह अंबेडकर नगर के पूर्व विधायक पवन पांडेय की कहानी है, कोई जासूसी नॉवेल नहीं. तीन साल पुरानी इस कहानी में थ्रिल है तो एक्शन भी है, सस्पेंस के साथ धोखा और मर्डर भी. यह कहानी आपको थोड़ा फिल्मी लग सकती है, लेकिन है हकीकत. इस कहानी में जर-जोरु और जमीन भी है. आइए, इस कहानी में घुसने से पहले हम तीन साल पहले हुए एक घटनाक्रम पर चलते हैं. इस घटनाक्रम में नासिरपुर बरवा के रहने वाले अजय सिंह की सड़क दुर्घटना में मौत हुई थी. यह घटना उस समय हुई, जब वह एक मंदिर में शादी करके अपने घर लौट रहे थे.
वह तारीख 23 अक्टूबर 2020 की है. एक्सिडेंट के बाद अजय सिंह के घर वाले मौके पर पहुंचे, शव की शिनाख्त की और पोस्टमार्टम कराने के बाद अंतिम संस्कार करा दिया. उस समय तक उन्हें कोई खबर नहीं थी कि हादसे से ठीक पहले अजय सिंह अतरौलिया आजमगढ़ की रहने वाली नीतू सिंह से शादी के बाद अपने घर लौट रहे थे. इस घटना के कुछ ही दिन बीते थे कि अजय सिंह की मां को उनकी शादी के बारे में सूचना मिली. साथ ही पता चला कि जिस लड़की से शादी हुई थी, उसने हादसे के दो दिन पहले ही नगर पालिका के कुंटुंब रजिस्टर में बतौर अजय सिंह की पत्नी अपना नाम भी दर्ज करा लिया.
इस जानकारी से अजय सिंह की मां को शक हुआ. इसके बाद वह कुछ और पड़ताल करतीं कि एक और खबर आ गई. इसमें पता चला कि सड़क के किनारे उनकी 28 बिस्वा (करीब डेढ़ बीघे) जमीन जिसकी कीमत करीब 8 करोड़ थी, उसका महज 20 लाख रुपये में इकरारनामा किसी मुकेश तिवारी के नाम हुआ है. यह इकरारनामा भी हादसे से करीब दो महीने पहले 25 अगस्त को किया गया था. पता चला कि मुकेश तिवारी पूर्व विधायक पवन पांडेय का करीबी है. इस खबर से अजय सिंह की मां और बहनों के पैरों तले जमीन खिसक गई. उन्हें विश्वास हो गया कि अजय का एक्सिडेंट हादसा नहीं, बल्कि मर्डर है.
हाईकोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ केस
इसके बाद अजय की मां ने पुलिस में शिकायत दी, लेकिन पुलिस ने कई दिनों तक मामले को लटकाए रखा और आखिर में खारिज कर दिया. थक हार कर अजय की मां ने हाईकोर्ट का रुख किया. इसके बाद हाईकोर्ट ने ही 31 जनवरी 2022 को मामला दर्ज करने और इसकी जांच के लिए यूपी एसटीएफ को आदेश दिए थे. चूंकि मामले की निगरानी हाईकोर्ट खुद कर रहा था, इसलिए एसटीएफ ने तेजी से जांच की और 19 नवंबर 2022 को अजय सिंह की कथित पत्नी नीतू को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद एसटीएफ के अधिकारियों ने कई राउंड की पूछताछ की, क्राइम सीन रिक्रिएट कराया.
इसी पूछताछ के दौरान नीतू ने गलती से पूरे वारदात को एसटीएफ के सामने उगल दिया. जिसके बाद एसटीएफ ने बाराबंकी स्थित आवास पर दबिश देकर बीते शुक्रवार को पवन पांडेय को अरेस्ट कर लिया. मामले की जांच से जुड़े एसटीएफ के एक अधिकारी के मुताबिक इस वारदात में हर पाल साजिश हुई है. यहां तक कि नीतू और अजय की शादी भी इसी साजिश का एक हिस्सा है. उन्होंने बताया कि शादी से पहले कुटुंब रजिस्टर में नाम चढ़वाने का उद्देश्य ये था कि अजय की मौत के बाद जमीन का मालिकाना हक नीतू के पास आ जाता.
हर पल हुई साजिश
ऐसे में नीतू कहीं अपनी जबान से ना फिर जाए, इसलिए दो महीने पहले ही पवन पांडेय ने अजय सिंह से इस जमीन का इकरार नामा मुकेश तिवारी के नाम करा लिया था. चूंकि कुटुंब रजिस्टर में नाम दर्ज कराने में अड़चन आ रही थी, इसलिए खुद पवन पांडेय ने ही आर्य समाज मंदिर सफेदाबाद बाराबंकी से इनकी शादी का फर्जी प्रमाण पत्र बनवा दिया. इस प्रमाण पत्र की पुष्टि के लिए अपने करीबी अकबरपुर के अभिषेक तिवारी व लखनऊ के अमरेश यादव को गवाह बनाया था.एसटीएफ के अधिकारी के मुताबिक इस मामले में कुल 12 आरोपी बनाए गए हैं.
कुल 12 आरोपी हैं नामजद
इसमें मुख्य षड्यंत्रकारी खुद पूर्व विधायक पवन पांडेय हैं. इसी प्रकार उनके करीबी जौनपुर शाहगंज निवासी मुकेश तिवारी, गोविंद यादव, लाल बहादुर सिंह, दीप नारायन आदि भी शामिल थे. बता दें कि बाराबंकी के रहने वाले पवन पांडेय राम मंदिर की लहर में शिवसेना के टिकट पर चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे. एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश के मुताबिक उन्हें अंबेडकरनगर के अकबरपुर कोतवाली में दर्ज धोखाधड़ी, दस्तावेजों में हेराफेरी और साजिश की धाराओं में दर्ज कए मामले में अरेस्ट किया गया है. पवन पांडेय के भाई राकेश पांडेय इस समय जलालपुर से समाजवादी पार्टी के विधायक हैं. जबकि उनका भतीजा रितेश पांडेय बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर अंबेडकरनगर से सांसद हैं.