खातेगांव एडीजे कोर्ट ने 10 साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है। आरोपी गलत इरादे से बच्ची को अपने साथ ले गया था। जबरदस्ती करने पर बच्ची चिल्लाई तो उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी। फिर उसके शव के साथ दुष्कर्म किया। बच्ची के शव को सीमेंट की बोरियों से ढक कर वहां से भाग गया। फैसला सुनाते हुए जज ने कहा- ऐसी विकृत मानसिकता के व्यक्ति से समाज को बचाना जरूरी है। इसलिए इसे समाज से अलग करने के लिए ऐसी सजा जरूरी है।
इस मामले को रेयरेस्ट मानकर फास्टट्रैक कोर्ट में चलाया गया। तत्कालीन खातेगांव टीआई एमएस परमार और उनकी टीम ने 24 घण्टे में आरोपी को पकड़ा और 1 महीने के भीतर चालान पेश कर दिया। घटना के महज 6 महीने 12 दिन (193 दिन) में कोर्ट ने गुरुवार को अपना महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए आरोपी को फांसी की सजा सुनाई। यह पहली बार है जब खातेगांव कोर्ट ने किसी आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है।बच्ची के परिजनों ने कहा कि आज हमारी बेटी को न्याय मिला है।
आदेश में लिखा-
आरोपी का यह कृत्य उसकी निर्दयतापूर्ण कामेच्छा को प्रकट करती है। जिसने ऐसी बालिका को अपना लक्ष्य बनाया, जिसका दुनिया देखना शेष था। आरोपी ने मृत बालिका को जो पीड़ा व यंत्रणा दी है, वह कल्पना से परे है। यह हिंसा की एक पराकाष्ठा है। इस कारण अभियुक्त के साथ नरमी बरतना न्यायोचित नहीं है, बल्कि अभियुक्त से समाज को बचाने के लिए उसे समाज से अलग करना जरूरी है, क्योंकि वह समाज के लिए घातक बन चुका है।