भोपाल । इन दिनों मध्य प्रदेश की राजनीति में एक नाम तेजी से उभरकर आ रहा है। और वह हैं- मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती। जन आशीर्वाद यात्रा में नहीं बुलाए जाने पर वे खफा हो गईं, बीजेपी को ‘बेवफा’ बता दिया। वहीं प्रदेश प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में सूची भेजकर अपने पसंद के 19 नेताओं के लिए टिकट की मांग कर दी। उमा भारती का यह अंदाज कोई नया नहीं है। पहले भी उनके उठाए गए कदम मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार के गले की हड्डी बनते रहे हैं। आज हम आपको बता रहे हैं कि कब-कब उमा भारती ने अपनी ही पार्टी भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं।

जन आशीर्वाद यात्रा में नहीं बुलाया
पिछले दिनों चित्रकूट से शुरू हुई जन अशीर्वाद यात्रा में उमा भारती खुद को नहीं बुलाए जाने से खफा हो गईं। उन्होंने मीडिया के सामने खुलकर कहा कि मैंने 2003 में मध्य प्रदेश में सरकार बनाई थी। 2020 के उप चुनाव में बीजेपी मुझसे प्रचार के लिए मिन्नतें कर रही थी, तब मैंने प्रचार किया 28 में 22 सीटें बीजेपी जीती थी।

19 प्रत्याशियों की सूची भेज दी
सोशल मीडिया में एक सूची जारी हुई, जिसमें उमा भारती के लेटर हेड पर 19 नेताओं का नाम प्रस्तावित किया गया था। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को भेजे गए इस पत्र में प्रदेश की 19 विधानसभा सीटों पर अपने पसंदीदा नेताओं के लिए टिकट मांगे हैं।

राम सबके हैं, किसी का एकाधिकार नहीं
साल 2022 के दिसंबर महीने में उमा ने कहा था कि देवता किसी जाति या धर्म से बंधे नहीं हैं। भगवान राम और भगवान हनुमान भाजपा के पार्टी कार्यकर्ता नहीं हैं। उनका निशाना भाजपा की तरफ था। उनका बयान तब आया था जबकि कर्नाटक चुनाव में बजरंग दल और बजरंग बली का मुद्दा बना हुआ था।

शराब नीति के लिए शिवराज की बुराई
उमा भारती ने जुलाई 2022 में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिख दिया। उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व से मध्य प्रदेश की शराब नीति पर हस्तक्षेप की मांग की थी।

शराब की दुकान पर तोड़फोड़ की
पिछले साल उमा भारती मध्य प्रदेश में शराब की दुकान बंद करने के लिए कई जगह प्रदर्शन कर रही थीं। उन्होंने राजधानी भोपाल की दो शराब दुकानों में पत्थर फेंककर तोड़फोड़ कर दी थी। एक मॉल के अहाते में रात में पहुंचकर उन्होंने हंगामा भी मचाया था।