नई दिल्ली. नरेंद्र मोदी सरकार (Modi Government) के दूसरे कार्यकाल का पहला और बड़ा कैबिनेट फेरबदल हो गया है. पीएम मोदी की इस नई टीम में कई युवा, प्रोफेशनल चेहरों को मौका मिला है, तो वहीं कुछ मंत्रियों की छुट्टी भी हुई है. कैबिनेट विस्तार (Cabinet Expansion) में सबसे अहम रहा महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी को बदलना.

सबसे खास बात ये भी है कि पिछले दो साल के कोरोना काल में जिन मंत्रालयों पर देश की सबसे ज्यादा नज़र थी, उनको अब नए हाथों में दे दिया गया है

1.    स्वास्थ्य मंत्रालय…(Health Ministry)

कोरोना काल में सबसे अहम रोल स्वास्थ्य मंत्रालय के पास ही रहा था. पिछले डेढ़ साल से देश में जो कुछ भी हो रहा है, उसके केंद्र में स्वास्थ्य मंत्रालय भी रहा है. लेकिन अब डॉक्टर हर्षवर्धन को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जिस तरह केंद्र सरकार पर सवाल उठे, उसने ना सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी मोदी सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया, ऐसे में कैबिनेट विस्तार में इसका असर दिखा.
 

अब मनसुख मंडाविया को स्वास्थ्य मंत्रालय की ज़िम्मेदारी दी गई है. कोरोना काल में ऑक्सीजन सप्लाई के मामले में मनसुख मंडाविया ने अहम रोल निभाया था और देश के अलग-अलग हिस्सों में तुरंत सप्लाई पर ज़ोर दिया था. देश जब कोरोना की तीसरी लहर के मुहाने पर खड़ा है, तब नए स्वास्थ्य मंत्री के सामने कई चुनौतियां होंगी.

2.    शिक्षा मंत्रालय… (Education Ministry)

कोरोना काल में शिक्षा क्षेत्र काफी प्रभाव पड़ा, पिछले करीब डेढ़ साल से स्कूल लगभग बंद ही हैं. बच्चे घरों पर ही पढ़ाई कर रहे हैं, ऑनलाइन एजुकेशन पर पूरा ज़ोर चला गया है. ऐसे में कोरोना काल में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका शिक्षा मंत्रालय की भी रही. लेकिन अब इस मंत्रालय से रमेश पोखरियाल निशंक की छुट्टी हो गई है.

बोर्ड की परीक्षाएं हो या फिर किसी अन्य प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन हो, सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक कोरोना काल में छात्रों ने सरकार के रवैये पर सवाल खड़े किए थे. ऐसे में अब धर्मेंद्र प्रधान को शिक्षा मंत्रालय की ज़िम्मेदारी दी गई है. इससे पहले उनके पास पेट्रोलियम मंत्रालय था. धर्मेंद्र प्रधान के सामने अब कोरोना काल में मुश्किल में आए शिक्षा क्षेत्र को फिर से खड़ा करने और नई शिक्षा नीति को लागू करने की चुनौती होगी.

3.    श्रम मंत्रालय… (Labour  Ministry)

कोरोना काल में सबसे पहले मुश्किल जो सामने आई थी, वो प्रवासी मज़दूरों के पलायन से जुड़ी थी. तब से लेकर अबतक वक्त-वक्त पर अलग-अलग जगह लॉकडाउन लगता रहा है, ऐसे में मज़दूरों का मसला हमेशा चर्चा में रहा है. मोदी सरकार की इस नई टीम में श्रम मंत्रालय के जिम्मे को भी बदल दिया गया है, संतोष गंगवार की छुट्टी हुई है और अब भूपेंद्र यादव को श्रम-रोज़गार मंत्रालय का जिम्मा मिला है.

भूपेंद्र यादव चुनावी रणनीतिकार माने जाते हैं और मोदी-शाह के करीबी भी हैं. ऐसे में कोरोना काल में जब सबसे बड़ी चिंता रोज़गार को लेकर है, तब ऐसे मोड़ पर भूपेंद्र यादव के पास ये अहम मंत्रालय आया है.

4.    पेट्रोलियम मंत्रालय… (Petroliam Ministry)     

पिछले कुछ वक्त में पेट्रोल-डीज़ल के दामों में ऐतिहासिक बढ़ोतरी हुई है, कोरोना काल में टूट चुकी अर्थव्यवस्था के बीच आम लोगों पर महंगाई की मार पड़ी है. पेट्रोलियम से जुड़े मंत्रालय का जिम्मा भी अब नए हाथों में दिया गया है, अब हरदीप पुरी पेट्रोलियम मंत्रालय का ज़िम्मा संभालेंगे. इससे पहले ये मंत्रालय धर्मेंद्र प्रधान के पास था. हरदीप पुरी के सामने चुनौती होगी कि बढ़ते पेट्रोल-डीज़ल के दाम के बीच सरकार की छवि को बचाया जाए और सौर-प्राकृतिक ऊर्जा जैसे रास्तों पर बल दिया जा सके.

5.    रेल मंत्रालय… (Railway Ministry)

भारत की लाइफलाइन मानी जाने वाली रेलवे को अब नया बॉस मिला है. कैबिनेट विस्तार में पीयूष गोयल से रेल मंत्रालय छीन लिया गया है, जबकि अब पूर्व अफसर अश्विनी वैष्णव को ये ज़िम्मेदारी दी गई है. प्रवासी मज़दूरों के पलायन के वक्त रेलवे का सबसे अहम रोल रहा था, इसके अलावा सामानों की सप्लाई के वक्त भी रेलवे ने अहम रोल निभाया. अब नए मंत्री के सामने चुनौती होगी कि रेलवे को नए मुकाम पर ले जाया जाए, पीएम मोदी के बुलेट ट्रेन के सपने को भी हकीकत में बदला जाए.

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