इंदौर। क्राइम ब्रांच ने पिता से तीस लाख रुपये मांगने वाली शिवपुरी की काव्या धाकड़ और उसके दोस्त हर्षित को पकड़ लिया है. दोनों इंदौर की देवगुराड़िया की शिवाजी वाटिका कॉलोनी में थे. दोनों ने कुछ दिनों तक अमृतसर में भी दिन गुजारे. एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि इस फर्जी अपहरण कांड में जब कोटा का नाम आया था, तब वहां की पुलिस इंदौर आई थी. जब कोटा पुलिस लड़की की तलाश में इंदौर आई थी तब वह अपने दोस्त हर्षित के साथ अमृतसर गोल्डन टेंपल चली गई थी.
उनके पास रुपये कम थे. इसलिए वे वहां के गुरुद्वारे में ही रहे. दो दिन पहले ही वे इंदौर आए थे. वे यहां आकर गुराड़िया इलाके की शिवाजी वाटिका के पास कमरा लेकर किराए से रह रहे थे. उनके आने की खबर मुखबिर ने पुलिस को दे दी. उसके बाद इंदौर क्राइम ब्रांच ने उन्हें पकड़ लिया. इंदौर पुलिस ने कोटा पुलिस को दोनों के पकड़े जाने की सूचना दे दी है. अब कोटा पुलिस किसी भी वक्त यहां आकर उन्हें ले जा सकती है. गौरतलब है कि 18 मार्च को राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश तक हड़कंप मच गया था. बैराड़ (शिवपुरी) की रहने वाली 20 साल काव्या धाकड़ की कुछ तस्वीरें सामने आईं.
इन तस्वीरों में काव्या बंधी हुई थी. उसके बाद उसके पिता रघुवीर से किसी ने 30 लाख रुपये की फिरौती मांगी. उस वक्त काव्या कोटा की कोचिंग क्लास से नर्सिंग की पढ़ाई कर रही थी. ये तस्वीरें देख हड़कंप मच गया. चूंकि, मामला लड़की का था तो मध्य प्रदेश और राजस्थान के डीजीपी, दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया तक मामला पहुंच गया. सब इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई चाहने लगे.
इस फर्जी अपहरण की कहानी इंदौर में रची गई. काव्या दोस्त हर्षित के साथ भवरकुंआ क्षेत्र के पिपलिया राव स्थित सिमरन पीजी-हॉस्टल पहुंची. यहां हर्षित का दोस्त बृजेंद्र रहता है. यहां तीनों मिले. दोनों भाई बहन बनकर ब्रजेंद्र के साथ पीजी में रहे. यहीं से फर्जी अपहरण की कहानी रची गई. इसके बाद काव्या हर्षित के साथ कोटा चली गई. 19 मार्च को वो इंदौर वापस आई. उसने भोलाराम उस्ताद मार्ग पर स्थित सर्वानंद नगर के गर्ल्स हॉस्टल में दो दिन के लिए कमरा लिया. होस्टल की वार्डन ने पुलिस को बताया कि वह पेपर देने के लिए इंदौर आई है. उसने दो दिन के लिए रूम लिया था. लेकिन वह महज 3 घंटे रुकी और रात 11 बजे एक लड़के के साथ चली गई.
काव्या को पता था कि उसके पिता की जमीन शिवपुरी में 54 लाख रुपये की बिकी थी. ये रकम दो हिस्सों में आनी थी. उसे पता था कि बचे हुए 27 लाख रुपये जल्द पिता को मिलने वाले हैं. इसलिए उसने पहले ही अपने अपहरण की फिरौती की कीमत 30 लाख रुपये रखी. वह ये रुपये लेकर विदेश भाग जाना चाहती थी.