नई दिल्ली.  दिल्ली सरकार ने 1 अक्टूबर से राजधानी में बढ़ते प्रदूषण पर रोक लगाने के प्रायस के तहत डीजल गाड़ियों की एंट्री पर रोक लगाने की घोषणा की है. सरकार के इस फैसले का कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने विरोध किया है. हालांकि, दिल्ली सराकर ने कहा है कि सब्जियां, फल, अनाज, दूध एवं अन्य जरूरी चीजें ढोने वाले वाहनों को राजधानी में आने-जाने की अनुमति होगी.

कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि मुख्यंमत्री अरविंद केजरीवाल के इस फैसले से दिल्ली के व्यापारियों को भारी नुकसान सहना पड़ सकता है. दिल्ली के डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम पर इसका बड़ा असर पड़ सकता है. साथ ही पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश और हरियाणा को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि व्यापार की दृष्टि से अक्टूबर के बाद का सीजन बेहद महत्वपूर्ण होता है. ऐसे में ट्रकों पर रोक से हमारा पूरा ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम गड़बड़ हो सकता है. हमें भारी नुकसान उठना पड़ सकता है.

खंडेलवाल ने कहा कि इन 5 महीनों (अक्टूबर से फरवरी तक) के बैन से हमारा (व्यापारियों का) हजारों करोड़ का नुकसान हो सकता है. इस दौरान बड़ी संख्या में शादियां होती हैं. कई बड़े त्योहार भी मनाए जाते हैं. उन्होंने कहा कि हम दिल्ली के एलजी से मांग करेंगे कि वे दिल्ली सरकार के इस फैसले पर रोक लगाएं.

उन्होंने कहा कि हम दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंतित हैं. लेकिन, डीजल गाड़ियों पर रोक को लेकर सरकार को किसी भी फैसले से पहले उसके विकल्प पर विचार करना चाहिए.

खंडेलवाल ने कहा कि अगर यह फैसला लागू होता है तो दिल्ली में अन्य राज्यों से माल की आवाजाही में बड़ी बाधा होगी. इसका खामियाजा व्यापारियों के साथ-साथ आम लोगों को भी भुगतना पड़ेगा.

दिल्ली सरकार ने 1 अक्टूबर से राजधानी में बढ़ते प्रदूषण पर रोक लगाने के प्रायस के तहत डीजल गाड़ियों (Diesel Vehicles) की एंट्री पर रोक लगाने की घोषणा की है. सरकार के इस फैसले का कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (Confederation of All India Traders) ने विरोध किया है. हालांकि, दिल्ली सराकर ने कहा है कि सब्जियां, फल, अनाज, दूध एवं अन्य जरूरी चीजें ढोने वाले वाहनों को राजधानी में आने-जाने की अनुमति होगी.

कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि मुख्यंमत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के इस फैसले से दिल्ली के व्यापारियों को भारी नुकसान सहना पड़ सकता है. दिल्ली के डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम पर इसका बड़ा असर पड़ सकता है. साथ ही पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश और हरियाणा को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि व्यापार की दृष्टि से अक्टूबर के बाद का सीजन बेहद महत्वपूर्ण होता है. ऐसे में ट्रकों पर रोक से हमारा पूरा ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम गड़बड़ हो सकता है. हमें भारी नुकसान उठना पड़ सकता है.

खंडेलवाल ने कहा कि इन 5 महीनों (अक्टूबर से फरवरी तक) के बैन से हमारा (व्यापारियों का) हजारों करोड़ का नुकसान हो सकता है. इस दौरान बड़ी संख्या में शादियां होती हैं. कई बड़े त्योहार भी मनाए जाते हैं. उन्होंने कहा कि हम दिल्ली के एलजी से मांग करेंगे कि वे दिल्ली सरकार के इस फैसले पर रोक लगाएं.

उन्होंने कहा कि हम दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंतित हैं. लेकिन, डीजल गाड़ियों पर रोक को लेकर सरकार को किसी भी फैसले से पहले उसके विकल्प पर विचार करना चाहिए.

खंडेलवाल ने कहा कि अगर यह फैसला लागू होता है तो दिल्ली में अन्य राज्यों से माल की आवाजाही में बड़ी बाधा होगी. इसका खामियाजा व्यापारियों के साथ-साथ आम लोगों को भी भुगतना पड़ेगा.