भोपाल। आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के उन नेताओं के लिए भारी फजीहत की स्थिति बन सकती है जो अपने परिजनों को टिकट दिलाकर राजनीति में आगे लाने की तैयारी में हैं। विपक्ष पर परिवारवाद और भाई भतीजावाद के हमले को तैयार बीजेपी अपने दल में भी इस मामले में कठोर बनेगी और किसी भी स्थिति में इसे अनुमति नहीं देगी। केंद्रीय नेतृत्व ने इस स्थिति से प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं को अवगत करा दिया है और इस पर लांग टर्म एक्शन के लिए विपक्षी नेताओं के साथ अपने दल के नेताओं की सूची भी तैयार करा रही है जो परिवारवाद और भाई भतीजावाद के जरिये अपने को राजनीति में सदाबहार बनाए रखना चाहते हैं।
केंद्रीय नेतृत्व ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर दिए गए भाषण के बाद इस मामले में और सख्ती बरतने का फैसला किया है और लोकसभा के साथ आने वालो महीनों में होने वाले विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में इस नीति पर सख्त रहने का फरमान जारी कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी को फीडबैक मिला है कि पीएम मोदी के इस वक्तव्य के बाद पब्लिक का बड़ा जन समर्थन मिला है। इसलिए खुद पार्टी इस पर अमल करेगी और आने वाले चुनावों में विरोधी दलों और नेताओं की भाई भतीजावाद और परिवारवाद की कमजोर नस उजागर करते हुए जनता के बीच पहुंचेगी। इसीलिए परिवारवाद और भाई भतीजावाद से जुड़े नेताओं की पूरी फेहरिस्त बनाने का काम चल रहा है।
नारी सम्मान को भी भुनाने की प्लानिंग
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय नेतृत्व इस बात पर भी जोर दे रहा है कि बीते कई सालों में नारी सम्मान को लेकर किए जाने वाले कार्यों और प्रयासों का पूरा लेखा-जोखा पार्टी देश के घर-घर तक पहुंचाए। इसके लिए बाकयदा अभियान चलाया जाएगा जिसमें नारी सम्मान के लिए गए सभी प्रयासों का न सिर्फ जिक्र होगा बल्कि उसके दिखने वाले असर का भी पूरा हिसाब किताब होगा। मध्यप्रदेश में भी इसकी तैयारी शुरू हो गई है।
मध्यप्रदेश में होगा भारी असर
मध्यप्रदेश में परिवारवाद और भाई भतीजावाद पर सख्ती हुई तो इसका भारी असर देखने को मिलेगा। यह भी तय माना जा रहा है क्योंकि पार्टी के दो दर्जन से अधिक वरिष्ठ नेता अपने बेटों, पत्नियों, भाइयों या अन्य परिजनों को राजनीति में एंट्री कराने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। हालांकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जून में प्रवास के दौरान नगरीय निकाय चुनाव में भी इस मामले में सख्ती करने को कहा था लेकिन तब पार्टी पूरी तरह से इस पर कंट्रोल नहीं कर पाई और कई नेता अपने परिजनों को टिकट दिलाने में कामयाब रहे हैं। अब पीएम मोदी का फार्मूला लागू हुआ तो राजनीति में सदाबहार के लिए आतुर भाजपा नेता कांग्रेस और आम आदमी की ओर भी जा सकते हैं।