भोपाल , मध्य प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी दफ्तर सतपुड़ा भवन में सोमवार को लगी आग से करीब 25 करोड़ का फर्नीचर और 12 हजार से ज्यादा अहम फाइलें स्वाहा हो गईं. मतलब राज्य निदेशालय के लगभग 80 फीसदी दस्तावेज खाक हो गए. आग लगने के समय भवन के अंदर एक हजार से ज्यादा लोग थे, लेकिन उन्होंने समय रहते बाहर निकलकर अपनी जान बचा ली. गनीमत रही कि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ.

यह दूसरी बार है जब इस भवन में आग लगी है. इससे पहले भी साल 2018 में विधनसभा चुनाव के ठीक बाद और साल 2012 में चुनाव के पहले इसी भवन की तीसरी मंजिल धधक उठी थी. अब फिर चुनाव से 4 माह पहले लगी आग को विपक्षी दल कांग्रेस ने साजिश करार दिया है, जबकि सूबे के सत्तारूढ़ दल बीजेपी ने कहा है कि इस कार्यालय में कोई संवेदनशील दस्तावेज नहीं थे.

पहले जान लेते हैं कि आग कब और कैसे लगी?
वीकेंड के बाद सोमवार को हर बार की तरह सतपुड़ा भवन में काम-काज चल रहा था. अधिकारी कर्मचारी अपने-अपने काम में लगे हुए थे. दफ्तर से छूटने का भी समय होता जा रहा था कि अचानक शाम 4 बजे के आसपास भवन की तीसरी मंजिल पर स्थित जनजातीय कार्य विभाग में आग धधक उठी. कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही लपटों ने फर्नीचर समेत दस्तावेजों को अपनी चपेट में ले लिया. सूचना मिलते ही बिल्डिंग में मौजूद लोगों के बीच भगदड़ मच गई. आग की वजह एयरकंडीशनर में हुए शॉर्ट सर्किट को बताया जा रहा है.

तीसरी से छठवीं मंजिल तक आग ही आग
भोपाल की फायर ब्रिगेड पहुंचती तब तक आग तीसरी मंजिल से चौथी, पांचवीं और छठवीं मंजिल तक पहुंच चुकी थी. भीषण आग को देखते हुए भोपाल समेत बीएचईएल, एयरपोर्ट, मडीदीप, सीहोर, रायसेन और विदिशा तक से दमकल की गाड़ियां बुलाई गईं. मगर पानी की बौछारें आग को ठंडी नहीं कर पाईं.

थलसेना और वायुसेना तक से मांगी मदद
मुख्यमंत्री कार्यालय के नजदीक बने दफ्तर में आग लगने की सूचना सीएम शिवराज सिंह चौहान को दी गई. सीएम ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मदद की गुहार लगाई. देश के गृहमंत्री अमित शाह से भी बात की. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस घटना और आर्मी, एयरफोर्स, भेल, सीआईएसएफ की मदद से अवगत कराया. उधर से प्रधानमंत्री ने भी मुख्यमंत्री को हरसंभव मदद का भरोसा दिया.

थलसेना के जवानों ने मोर्चा संभाला
राज्य प्रशासन का फयर फाइटिंग अमला आग बुझाने की कोशिश में लगा हुआ था. इसके बाद सेना के जवान भी मौके पर पहुंचे. सेना की गाड़ियों को सतपुड़ा भवन तक पहुंचाने के लिए शहर में विशेष कॉरिडोर बनाए गए, लेकिन विकराल स्थिति को देखते हुए देर रात जवान लौट गए. फिर मुख्यमंत्री सचिवालय ने वायुसेना से आग बुझाने के लिए गुहार लगाई. रक्षा मंत्री के निर्देश पर तय हुआ कि एयरफोर्स रात में अपने एएन 32 विमान और एमआई 15 हेलीकॉप्टर से हालात पर काबू पाने भोपाल आएगी. इसके लिए भोपाल का राजाभोज एयरपोर्ट रातभर खुला रखा गया. हालांकि, वायुसेना के विमान रात तक नहीं पहुंचे. क्योंकि इससे पहले तक 95 फीसदी आग पर काबू पा लिया गया था.

फायर अलार्म सिस्टम नहीं, हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म 45 मिनट नहीं खुला
6 मंजिला भवन में लगी आग के विकराल रूप को देखते हुए दमकल और प्रशासन की सांसें फूल गईं. उधर, आग बुझाने में इस्तेमाल की जाने वाली नगर निगम की विशेष फायर हाइड्रोलिक गाड़ियों के प्लेटफार्म को खुलने में ही करीब 45 मिनट लग गए. लापरवाही इतनी थी कि इस सरकारी इमारत का फायर ऑडिट तक नहीं किया गया था. इसी के चलते आग को बुझाने में इतनी देरी हो गई.

कोरोना की राशि के भुगतान संबंधी दस्तावेज खाक
सतपुड़ा भवन की 6 मंजिलों में जनजातीय कार्य, स्वास्थ्य, वन, मुख्यमंत्री मॉनिटरिंग प्रकरण, जन शिकायत, नेशनल इन्फॉर्मेशन सिस्टम जैसे विभाग संचालित होते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आग से भवन की 4 मंजिलों में कर्मचारियों के सर्विस रिकॉर्ड, शिकायती दस्तावेज, बजट लेखा जोखा से दस्तावेज जलकर राख हो गए हैं. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभााग की शिकायत शाखा में दर्ज शिकायतों की फाइलें और कोरोनाकाल में अस्पतालों को किए गए भुगतान संबंधी दस्तावेज भी जल गए हैं.

टेंडर और भर्ती से जुड़े कागज नहीं जले
राज्य सरकार की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि सतपुड़ा भवन में आग के फैलाव से संचालनालय स्वास्थ्य सेवाओं की स्थापना, नर्सिंग, शिकायत, लेखा और आयोग शाखा एवं विधानसभा प्रश्न से संबंधित दस्तावेजों को नुकसान पहुंचा है. सतपुड़ा भवन के द्वितीय तल पर संचालित हॉस्पिटल प्रशासन शाखा अग्नि-दुर्घटना से अप्रभावित रही है. अस्पतालों के लिये दवा, उपकरण, फर्नीचर, खरीदी संबंधी फाइलें दूसरे तल पर होने से आग से प्रभावित नहीं हुई हैं. वास्तविक नुकसान का आकलन आग बुझने के बाद किया जाना संभव हो सकेगा.

अधिकांश काम ऑनलाइन हो चुका: सरकार
सतपुड़ा भवन की जिन 3, 4, 5 और 6वीं मंजिल में आग लगी. वहां जनजातीय कल्याण, परिवहन और स्वास्थ्य विभाग के स्थापना संबंधी विभागीय कार्य होते हैं. किसी भी विभाग का टेण्डर और प्रोक्योरमेंट संबंधी कोई भी कार्य नहीं होता है. आग से जनजातीय क्षेत्रीय विकास कार्यालय की नस्तियां और उपकरण आदि नष्ट हो गये हैं. इस कार्यालय का अधिकांश कार्य ऑनलाइन होता है, इसलिए कोई भी कार्य प्रभावित नहीं होगा. कार्यालय में अति महत्वपूर्ण दस्तावेज संधारित नहीं होते थे. ये दस्तावेज शासन में रहते हैं. स्थापना के दस्तावेज आयुक्त कार्यालय में रहते हैं, जिसका विंग अलग है.

विधानसभा चुनाव से पहले और बाद में आग
सतपुड़ा भवन में इससे पहले 14 दिसंबर 2018 को भी आग लगी थी. विधानसभा चुनाव के बाद ठीक बाद लगी इस आग से बड़ी संख्या में संवेदनशील और गोपनीय दस्तावेज जलकर राख हो गए थे. वहीं, 2013 के विधानसभा चुनाव के पहले भी इसी भवन की तीसरी मंजिल पर आग की लपटों ने फाइलें जला दी थीं. अब फिर चुनाव से करीब चार माह पहले लगी से कारण सूबे का विपक्ष दल बीजेपी पर हमलावर हो गया है.  निदेशालय का लगभग 80 फीसदी हिस्सा खाक.

CM ने कारण जानने के लिए बनाई कमेटी
सरकारी इमारत सतपुड़ा भवन में लगी आग के प्रारंभिक कारणों को जानने के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चौहान ने कमेटी घोषित की है. इस कमेटी में एसीएस होम राजेश राजौरा, पीएस अर्बन नीरज मंडलोई, पीएस पीडब्ल्यूडी सुखबीर सिंह और एडीजी फायर रहेंगे. कमेटी के सदस्य जांच के प्रारंभिक कारणों का पता लगाकर रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौपेंगे.

कांग्रेस ने सरकार को घेरा
सतपुड़ा भवन में आग लगने की घटना को कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सांसद अरुण सुभाष यादव ने साजिश करार दे दिया है. अरुण यादव ने कहा, ‘आज प्रियंका गांधी जी ने जबलपुर में “विजय शंखनाद रैली” में घोटालों को लेकर हमला बोला तो सतपुड़ा भवन में भीषण आग लग गई जिसमें महत्वपूर्ण फाइलें जलकर राख हो गई हैं. कहीं आग के बहाने घोटालों के दस्तावेज जलाने की साज़िश तो नहीं ! यह आग मध्य प्रदेश में बदलाव के संकेत दे रही है. मध्य प्रदेश कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी ट्वीट कर इस पर निशाना साधा गया है.

क्या कहा था प्रियंका गांधी ने
प्रियंका गांधी ने सोमवार को जबलपुर में शिवराज सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि मोदी जी ने जो गालियों वाली लिस्ट निकाली थी, बीजेपी के घोटालो की उससे लंबी लिस्ट है. इन्होंने नर्मदा मइया तक को नहीं छोड़ा है. जो निर्माण कर रहे हैं, उसमें भी घोटाला किया. इन्होंने 225 महीनों में 220 घोटाले किए हैं. शिवराज सरकार पर हमला बोलते हुए प्रियंका ने कहा कि ये रिश्वतराज और घोटालाराज है. उन्होंने कहा कि नौकरी, छोटे-छोटे काम के लिए जाते हैं तो रिश्वत देनी पड़ती है.