भोपाल। भारतीय रेल यातायात सेवा (आईआरटीएस) बैच-2009 की अधिकारी प्रियंका दीक्षित भोपाल रेल मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक की जिम्मेदारी बखूबी संभाल रही हैं। अपने अब तक के कार्यकाल में श्रीमती दीक्षित ने जिस तरह मंडल में कई नवाचार किए हैं उससे अल्प समय में ही वे मंडल की बेहतरीन अधिकारी के तौर पर ख्यात हो गई हैं। भोपाल रेल मंडल की पहली महिला सीनियर डीसीएम प्रियंका दीक्षित ने एक संक्षिप्त साक्षात्कार में कहा कि कत्र्तव्य के प्रति ईमानदार होने से कोई भी लक्ष्य साधा जा सकता है। मैं समन्वय और सहकार से अपने हर काम को साकार करती हूं। गौरतलब है कि पूर्व में प्रियंका दीक्षित उप-मुख्य यातायात प्रबंधक एवं मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी के पदों पर सफलतापूर्वक कार्य कर चुकी हैं। प्रियंका दीक्षित आईआरटीएस बैच-2009 की अधिकारी हैं। उन्होंने अपनी रेल सेवा वर्ष-2012 से सिकंदराबाद मंडल में सहायक परिचालन प्रबंधक के पद से प्रांरभ की। वे वर्ष-2013 से पश्चिम मध्य रेल में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दे रही हैं। भोपाल मंडल में वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक के पद पर उनकी पदस्थापना से वाणिज्य विभाग सहित मंडल के अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों में हर्ष का भाव देखा जा सकता है। इसकी वजह यह है कि श्रीमती दीक्षित समन्वय बनाकर कार्य करती हैं।
काम के प्रति सजग-सतर्क
रेलवे में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाल चुकीं प्रियंका दीक्षित कहती हैं कि काम के प्रति सगज और सतर्क रहने से सफलता मिलती ही है। मैं जबसे नौकरी में आई हूं तबसे मेरा अपने काम के प्रति पूरा समर्पण रहा है। जिसका परिणाम यह है कि मुझे वरिष्ठ और कनिष्ठ सभी प्रकार के अधिकारियों, कर्मचारियों का सहयोग और साथ मिलता रहता है। वह कहती हैं कि मेरी कोशिश रही है कि मुझे जो भी जिम्मेदारी मिले उसे पूरी तन्मयता से निभाया जाए। अभी तक मैं यही करती आई हूं।
जिम्मेदारी बड़ी तो हिम्मत भी बढ़ी
वे कहती हैं कि भोपाल रेल मंडल में वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक की बड़ी जिम्मेदारी मुझे मिली है। मैं इस जिम्मेदारी से घबराई नहीं हूं, बल्कि इससे मेरी हिम्मत भी बढ़ी है। मैं हमेशा चुनौतियों को स्वीकार करती हूं। यहां पदभार संभालने के साथ ही मैंने वरिष्ठों के मार्गदर्शन में नवाचार की कई कोशिशें की हैं। आगे भी मंडल में कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे। एक सवाल के जवाब में वे कहती हैं कि कार्य स्थल पर अगर आप अपने अधिनस्तों से समन्वय और उन पर विश्वास के साथ काम करते हैं तो सफलता जरूर मिलती है। इस मंत्र के साथ मैं काम करती हूं।
वरिष्ठों का भरपूर सहयोग
वे कहती हैं कि जबसे मैंने मंडल में जिम्मेदारी संभाली है, मुझे सभी वरिष्ठ अधिकारियों का भरपूर सहयोग मिला है। यदि आपका बॉस सहायक हो तो काम करने में ज्यादा मजा आता है। हमारे डीआरएम (सौरभ बंदोपाध्याय) साहब समन्वय और सहयोगी प्रवृत्ति के अधिकारी हैं। वे हर काम में सहयोग के लिए तत्पर रहते हैं। वे सबको साथ लेकर चलने वाले अधिकारी हैं। इस कारण मंडल में सभी विभाग समन्वय के साथ काम कर रहे हैं। उनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। वे कहती हैं कि अभी तक मुझे जो भी जिम्मेदारी मिली है, मैंने उसमें अपना 100 प्रतिशत दिया है। मेरी कोशिश रहती है कि अपने कत्र्तव्य का पूरी तरह पालन करूं, ताकि किसी को परेशानी न हो।
मंडल में दिखेंगे कई नवाचार
उन्होंने बताया कि मंडल में कई नवाचार किए जा रहे हैं। जन-सरोकार से जुड़े कामों में अव्वल रेलवे अब अपने स्टेशनों पर स्थानीय उत्पादों की ब्राडिंग करने जा रहा है। इसका मकसद स्थानीय उत्पादों को तैयार करने में लगे लाखों लोगों के जीवन स्तर में आर्थिक बदलाव लाना और स्वदेशी को बढ़ावा देना है। वे कहती हैं कि रेलवे ने तय किया है कि इसके लिए स्टेशनों पर स्टाल प्रदर्शनी लगाई जाएगी, जिसमें स्थानीय उत्पाद, हस्तशिल्प, हथकरघा निर्मित सामग्रियों को शामिल किया जाएगा। इनमें कई तरह की सामग्री शामिल की जाएंगी। इन सामग्रियों से यात्रियों को अवगत कराया जाएगा। यदि वे लेने के इच्छुक होंगे तो कम से कम दामों में उन्हें ये सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। भोपाल रेल मंडल की वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक प्रियंका दीक्षित ने बताया कि हरदा, इटारसी, होशंगाबाद, रानी कमलापती, संत हिरदाराम नगर, विदिशा, गंजबासौदा, बीना, अशोक नगर, गुना, शाजापुर, ब्यावरा राजगढ़, शिवपुरी, रुठियाई स्टेशनों पर स्थानीय उत्पाद, हस्तशिल्पों, हथकरघा सामग्रियों जैसे स्थानीय क्षेत्रों में प्रचलित उत्पाद, लकड़ी के खिलौने, हैंडलूम, शोपीस, साडिय़ां इत्यादि को बढ़ावा देने के मकसद से प्रदर्शनी के रूप में स्टालों को जगह दी जाएगी।
पारिवारिक जिम्मेदारी में भी अव्वल
प्रियंका दीक्षित जहां भोपाल रेल मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक की जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी और लगन के साथ निभा रही हैं, वहीं पारिवारिक जिम्मेदारी में भी वे अव्वल हैं। दो छोटी-छोटी बच्चियों की मां के साथ ही वे एक पत्नी और कुशल गृहिणी का कत्र्तव्य भी निभा रही हैं। वे कहती हैं कि ड्यूटी के दौरान मेरा पूरा फोकस अपने काम पर रहता है। हालांकि इस दौरान बच्चियों की याद आती है, मेरे लिए काम भी उतना ही आवश्यक है, जितना बच्चों के प्रति समर्पण। श्रीमती प्रियंका कहती हैं कि मेरी इस कत्र्तव्य यात्रा में मेरे पति सारथी की तरह अपनी भूमिका निभाते हैं। इसलिए दो छोटी-छोटी बच्चियों की मां होने के बाद भी मेरा ध्यान काम के प्रति भ्रमित नहीं होता है।