भोपाल । राजधानी के चौक  ‎जिनालय में चल रहे चातुर्मास के दौरान अपने प्रवचन में मुनि संभव सागर ने कहा कि मनुष्य जीवन बड़ा दुर्लभ है। समय का एक-एक पल बड़ा कीमती है। यह काल का चक्र घूमता ही नहीं है बल्कि अच्छे अच्छों को घुमाता है। समय की कीमत समझते हुये सद्कार्य करो, पुरुषार्थ करो तो याद किये जाओगे। मालूम हो ‎कि आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य मुनि संभव सागर सहित नौ जैन मुनियों का चातुर्मास चौक जिनालय में हो रहा है। हर दिन धार्मिक अनुष्ठान हो रहे हैं। रोज मुनिश्री श्रद्धालुओं के समक्ष प्रवचन देते हुए उन्‍हें आदर्श जीवन जीने की सीख दे रहे हैं।

अपने प्रवचन में मुनिसंघ ने एक प्रसंग के माध्यम से बताया कि कुम्हार घड़ा (कुंभ) बनाने के लिए चॉक को लकड़ी के डंडे से घुमाता है। इसके बीच में लगी कील पर मिट्टी का लौंदा रखता है चॉक की रफ्तार और बीच में लगी कील पर रखे मिट्टी के लौंदे को वह हाथ का सहारा देकर कुंभ को मनचाहा आकार देता है। इसी तरह जीवन में भी कालचक्र तेजी से दौड़ रहा है लेकिन हमें इस चक्र के बीच में कील का ध्यान रखना है यह जीवन का आधार पर यदि कील मजबूत नहीं होगी तो सब वस्तुयें धरी की धरी रह जाएगी। इसी तरह कोलार दाशनिकुंज के श्री शांतिनाथ जिनालय में मुनि संस्कार सागर ने कहा कि स्वयं की सफलता को आयामों पर देखने की इच्छा यदि आपको है तो ईर्ष्या को छोड़ना पड़ेगा। क्योंकि ईर्ष्या की आग हमें अंदर ही अंदर जलाती है।

मुनिश्री ने कहा कि जैन धर्म किसी व्यक्ति विशेष का नहीं है। उन सभी के लिए है जिनका अंतस चेतना, ममत्व, शांत, शुभ भावना सहित है। भावना ही भवनाशिनी होती है। जिनके भावों में निर्मलता नहीं है, वह जैनत्व से कोसों दूर हैं। मंदिर समिति के संरक्षक ज्ञानचंद जैन, अध्यक्ष विकास जैन ने बताया कि मुनि के सानिध्य में 14 अगस्त को भगवान नेमिनाथ का जन्म एवं तप कल्याणक मनाया जाएगा। 15 अगस्त रविवार को 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के निर्वाण महोत्सव की पावनवेला पर विशेष धार्मिक अनुष्ठान होंगे। कार्यक्रम में मनोज बांगा, नरेन्द्र-वेदना, आदित्य मनियां, मनोज एडवोकेट, दीपक दीपराज, वैभव चौधरी सीए, योगेश-वंदना, डॉ. राजेश जैन, अभिलाष सर्राफ, साकेत अलंकार सहित विभिन्न मंदिर समितियों के पदाधिकारियों ने श्रीफल समर्पित कर आशीर्वाद लिया।

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