भोपाल: मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार का पहला मंत्रिमंडल विस्तार का इंतजार किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि मानसून सत्र के आसपास मोहन कैबिनेट में कुनबा बढ़ेगा. पिछले कुछ दिनों से सीएम यादव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा दिल्ली में ही थे और कहा जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार पर मंथन किया गया है. इसमें जिसका नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है, उसमें हाल ही में कांग्रेस से बीजेपी में आए विधायक रामनिवास रावत का है. बता दें कि रावत ने विधायकी पद से इस्तीफा नहीं दिया है.
वो किसी आश्वासन को लेकर इंतजार कर रहे हैं. इसके अलावा एक नाम और रेस में है, कमलेश शाह. वो लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस से बीजेपी में आए थे. इसके बाद भाजपा ने अमरवाड़ा उपचुनाव में उनपर दांव लगाया है. अमरवाड़ा सीट पर 10 जुलाई को उपचुनाव हैं. बहरहाल एमपी में मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा जोरों पर है. इसी विस्तार में विधायक रामनिवास रावत पहले मंत्री पद की शपथ लेंगे और उसके बाद विधायकी से इस्तीफा देंगे.
रावत और शाह दोनों के नाम पर सहमति के लिए दिल्ली के जबाव का इंतजार हो रहा है. कमलेश शाह पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी माने जाते हैं. एक स्थानीय अखबार के मुताबिक अगर प्रदेश सरकार शाह और रावत को मंत्रिमंडल में शामिल करेगी तब भी एक या दो पद खाली ही रहेंगे. इस समय की स्थिति देखें तो सीएम और उपमुख्यमंत्री को मिलाकर 30 मंत्री हैं. इनमें 18 कैबिनेट मंत्री, 6 स्वतंत्र प्रभार और 4 राज्यमंत्री शामिल हैं.
मंत्रिमंडल में फिलहाल कुछ और मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है. इसमें क्या बदलाव होगा इसपर राज्य का भविष्य टिका है. एक नाम और है जिसकी चर्चा एमपी की राजनीति में लंबे समय से हो रही है, लेकिन मुहर लगना हर बार रह जाता है. शिवराज सरकार के समय में भी ये चर्चा में रहे. वो हैं इंदौर से विधायक रमेश मेंदोला.
राज्य की राजनीति पर नजर रखने वाले सभी के लिए ये नई बात नहीं है कि लोकसभा चुनाव के समय आखरी समय पर कांग्रेस प्रत्याशी के नाम वापसी में विजयवर्गीय के खास रमेश मेंदोला की खास भूमिका रही है. ऐसे में ये कहा जाने लगा कि उनके इस प्रयास के लिए उन्हें इनाम के नम पर मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. हालांकि पिछले कुछ समय से फिर मेंदोला का नाम सुनने में नहीं आ रहा है. ऐसे में फिलहाल शाह और रावत की ही उम्मीद नजर आ रही है.