नई दिल्ली . सरकार ने बृजभूणष शरण सिंह के खिलाफ FIR दर्ज करने की पहलवानों की मांग को मान लिया गया है. शुक्रवार को सॉलिसिटर जनरल ने इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी. इस बीच अब पहलवानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपील है कि बृजभूषण सिंह को सभी पदों से हटाया जाए और जेल भेजा जाए. शाम चार बजे जंतर-मंतर पर प्रेस कांफ्रेंस करते हुए पहलवानों ने स्पष्ट कर दिया है कि उनका धरना अभी खत्म नहीं होगा.

दरअसल, अभी तक माना जा रहा था कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ FIR दर्ज होने के बाद पहलवान अपना धरना खत्म कर देंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया है. प्रेस कांफ्रेंस के दौरान विनेश फोगाट ने कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है. बृजभूषण सिंह को सभी पदों से हटाया जाए, वह अपने पदों का दुरुपयोग कर सकते हैं. हमें किसी भी कमेटी या कमेटी के सदस्य पर भरोसा नहीं है. उन्होंने कहा कि ये लड़ाई सिर्फ FIR तक नहीं थी. लड़ाई बृजभूषण सिंह को सजा दिलाने की है. बृजभूषण सिंह को जेल में डाला जाए. उन्होंने कहा कि मैं पीएम मोदी से अपील करती हूं कि नैतिक आधार पर बृजभूषण को सभी पदों से बर्खास्त किया जाना चाहिए. वह जांच को प्रभावित कर सकते हैं.

विनेश फोगाट ने कहा कि मेरा खिलाड़ियों से अभी भी अपील है और पहले भी रही थी कि अगर खेलों को बचाना है तो ऐसे लोगों के चंगुल से स्पोर्ट को छुड़ाना होगा. ये सिर्फ कुश्ती की बात नहीं है, ये हर स्पोर्ट की बात है. सभी परेशान हैं. अगर देश में स्पोर्ट्स को भविष्य में बचाना है तो एक साथ आना होगा. सबूत को लेकर उन्होंने कहा FIR दर्ज करने के लिए काफी सबूत हैं. अब जो भी सबूत हमें देने होंगे, वो हम सुप्रीम कोर्ट में देंगे, न कि किसी कमेटी के सामने. जो FIR पहले दिन होनी चाहिए थी, उसे दर्ज होने में 6 दिन लग गए.

बृजभूषण को तुरंत गिरफ्तार करना चाहिए: बजरंग पूनिया
बजरंग पूनिया ने धरना खत्म नहीं करने की बात करते हुए कहा कि हमारा धरना जारी रहेगा. मैं दिल्ली पुलिस को बताना चाहता हूं कि बृजभूषण कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं. अगर अध्यक्ष यौन उत्पीड़न करते हैं तो पहलवान किससे संपर्क करेंगे. दिल्ली पुलिस को बृजभूषण को तुरंत गिरफ्तार करना चाहिए. जितने भी खिलाड़ियों ने सपोर्ट किया है, उनको धन्यवाद. दो ओलंपियन ने हमारे लिए ट्वीट किया है, ये बड़ी बात है. बृजभूषण को जेल में डालना चाहिए. फेडरेशन का अध्यक्ष ही अगर शोषण करेगा तो कैसे चलेगा. हमें दिल्ली पुलिस पर भरोसा नहीं है. देखते हैं पुलिस क्या करती है. पीएम से अपील है कि बृजभूषण को हर पद से हटाया जाए. वो पद का इस्तेमाल कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट पर पूरा यकीन है कि हमारे साथ इंसाफ होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग शिकायतकर्ता को सुरक्षा देने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगले शुक्रवार को होने वाली सुनवाई में पुलिस कार्रवाई की समीक्षा करेंगे. कोर्ट ने कहा कि हम दिल्ली पुलिस कमिश्नर को सुरक्षा देने को कह रहे हैं. कोर्ट ने नाबालिग शिकायतकर्ता की सुरक्षा को लेकर कमिश्नर को कहा है कि वो थ्रेट यानी धमकी पर संज्ञान लेकर जांच करें और समुचित सुरक्षा प्रदान करें. कोर्ट ने कहा कि फिलहाल वो मामले की सुनवाई बंद नहीं करेगा. अगले शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई होगी.

पहलवानों ने SIT जांच की मांग की
पहलवानों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि बृजभूषण शरण सिंह पर दर्ज 40 मुकदमों में हत्या का मामला भी है. लिहाजा महिला पहलवानों के इस मामले की जांच SIT से कराई जाए. इसकी निगरानी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज करें. इस पर CJI ने कहा कि वो दिल्ली पुलिस के वकील के बयान को रिकॉर्ड पर रख रहे हैं कि मामले में आज ही एफआईआर दर्ज होगी.

क्यों धरने पर बैठे हैं पहलवान?
बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक समेत कई पहलवान कुश्ती महासंघ अध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग कर रहे हैं. पहलवानों का आरोप है कि महिला पहलवानों के साथ यौन शोषण होता है. इसके साथ ही महासंघ के अध्यक्ष पर तानाशाही और मनमानी करने का भी आरोप लगाया है. विनेश फोगाट का कहना था कि उनके समेत कई पहलवान मेंटल टॉर्चर से जूझ रहे हैं. हम सुरक्षित नहीं हैं तो फिर कौन सुरक्षित है.

दूसरी बार धरने पर बैठे पहलवान
बता दें कि 8 जनवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर से ऐसी तस्वीर सामने आई थी, जिसने सभी को चौंका दिया था. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल अपने नाम कर चुके करीब 20 रेसलर्स ने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. रेसलर्स के पास महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न, अभद्रता, क्षेत्रवाद जैसे गंभीर आरोपों की लंबी लिस्ट थी. प्रदर्शन करने वाले पहलवानों में ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, सरिता मोर और सुमित मलिक जैसे बड़े नाम शामिल थे.

इसके बाद खेल मंत्रालय ने हस्तक्षेप किया था. मंत्रालय की सिफारिश पर पहलवानों ने अपना धरना खत्म कर दिया था. इस दौरान मंत्रालय की ओर से यौन उत्पीड़न समेत लगाए गए गंभीर आरोपों की जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया था. अब तीन महीने बाद रविवार यानी 23 अप्रैल को पहलवानों ने फिर से मोर्चा खोल दिया.