भोपाल। राजधानी सहित प्रदेशभर के जिला अस्पतालों में मरीजों को डॉक्टर की सलाह लेने के लिए लंबी कतारें न लगानी पडेÞ इसके लिए स्वास्थ्य संचालनालय द्वारा रायसेन मॉडल टोकन सिस्टम से इलाज की व्यवस्था शुरू करने का प्रपोजल जुलाई महीने में बनाया था। लेकिन ताजुब इस बात का है कि तीन महीने बीत जाने के बाद भी यह प्रोजेक्ट प्रदेशभर में लागू नहीं किया जा सका। इसके चलते वायरल बीमारियों से पीड़ित मरीजों की अस्पतालों में लंबी कतारें लगानी पड़ रहीं हैं।  

गौरतलब है कि रायसेन जिला अस्पताल में पायलेट प्रोजेक्ट के तहत इलाज की सुविधा शुरू की गई जिसके काफी अच्छे रिस्पांस मिले थे। इसके बाद इसे प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में लागू करने क ी योजना जुलाई महीने में बनाई गई थी। इसके बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया, जिसके चलते यह व्यवस्था लागू नहीं हो सकी। इस पर स्वास्थ्य संचालनालय के असफरों का कहना है कि सभी जिलों के अस्प्तालों के सिविल सर्जन एवं सीएमएचओ के बीच अभी आपसी सहमति नहीं बन पाई है क्योंकि इस पर लगने वाले बजट का खर्च रोगी कल्याण समिति से वहन किया जाना है। इसके अलावा इस पर भी मतभेद है कि इसे ओपीडी, एक्सरे, टेंस्टिंग सेंटर एवं अन्य किन-किन स्थानों पर लागू किया जाए।

दरअसल, यह तरह का डिजिटल अपॉइंटमेंट होता है जो अस्पताल में लगने वाली मरीजों की भीड़ को मैनेज करने में सहायक होता है। क्योंकि मरीजों को टोकन नंबर की जानकारी डिस्पले बोर्ड रियल टाइम में मिलती रहेगी। इससे एक ओर जहां मरीजों को डॉक्टर के प्रिसक्रि प्शन के लिए लाइन नहीं लगानी पडेÞगी। दूसरी ओर कोविड एसओपी का भी पालन हो सकेगा। साथ ही मरीजों को उनके प्रतिक्षा का अनुमानित समय पता चल सकेगा। अभी इसके न होने से डॉक्टर कक्ष के बाहर मरीजों की लंबी लाइनें एवं गाइडलाइन का उल्लंघन हो रहा है।

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