भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कोविड से सावधानी हमारे बच्चों की सुरक्षा के लिए जरूरी है। देश में स्वदेशी वैक्सीन को 181 करोड़ से अधिक डोज लगाए जा चुके हैं। मध्यप्रदेश में भी 11.44 करोड़ पहला, दूसरा और प्रिकॉशन डोज लग चुका है और यह पीएम नरेद्र मोदी की दूरदर्शी सोच के जरिये संभव हुआ है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अभी कोविड से सावधान रहना है और वैक्सीन जरूर लगवाना है ताकि अगर कोरोना की चौथी लहर आए तो किसी को भय का, बीमारी का सामना न करना पड़े। अभिभावकों और बच्चों से अनुरोध है कि 12 से 14 साल के बच्चों के लिए शुरू हुए टीकाकरण में बच्चों का वैक्सीनेशन कराकर सुरक्षा चक्र अपनाएं।
राजधानी के नवीन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अरेरा कालोनी में बच्चों के लिए वैक्सीनेशन का शुभारंभ करते हुए सीएम चौहान ने कहा कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में व्यापक नुकसान हुआ है। टैंकर और रेल से आक्सीजन बुलाना पड़ी थी, इसलिए वैक्सीनेशन ही बचाव है। देश के वैज्ञानिकों ने स्वदेशी वैक्सीन बनाई और पीएम नरेंद्र मोदी ने हर देशवासी को इसे लगवाया है, इससे तीसरी लहर घातक नहीं बनी। चौथी लहर अगर आती है तो बच्चों को लगा टीका उनकी सुरक्षा करेगा। इसलिए सभी को टीका लगवाना है और दूसरों को भी प्रेरित करना है। उन्होंने यह भी बताया कि अब तक प्रदेश में कितने लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। वैक्सीनेशन के लिए जागरुकता कार्यक्रम चलाने और स्वास्थ्य विभाग के अमले को इस काम को गंभीरता से पूरा करने के लिए उन्होंने धन्यवाद भी दिया।
12-14 वर्ष के बच्चों के टीकाकरण अभियान का शुभारंभ। #Bhopal #MPFightsCorona https://t.co/W1AteQVUjr
— Office of Shivraj (@OfficeofSSC) March 23, 2022
स्कूलों में लगेंगे वैक्सीनेशन कैंप
प्रदेश भर में आज से 12 से 14 साल तक के बच्चों को भी वैक्सीन लगाने की शुरूआत हो गई है। भोपाल में कुल 86,200 बच्चों को टीके लगाए जाएंगे। गौरतलब है कि 12 से 14 साल के बच्चे शहर के 2026 स्कूलों में पढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग का रोजाना 170 स्कूल के स्टूडेंट्स को वैक्सीनेट करने का लक्ष्य है। स्कूलों में कैप लगाकर बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा। पहले डोज के 28 दिन बाद वैक्सीन का दूसरा डोज लग सकता है।
भारत में नोवोवैक्स वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी
नोवोवैक्स और सीरम इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया ने मंगलवार को भारत में 12-18 साल की उम्र के किशोरों के लिए अपने कोविड-19 वैक्सीन के पहले आपातकालीन उपयोग की मंजूरी की घोषणा की। नोवोवैक्स द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, वैक्सीन को भारत में सीरम इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया द्वारा कोवोवैक्स नाम से बनाया जा रहा है। यह पहला प्रोटीन-आधारित वैक्सीन है जो भारत में इस आयु वर्ग में उपयोग के लिए अधिकृत किया गया है। ड्रग कंट्रोलर जनरल आॅफ इंडिया ने 12 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए कोवोवैक्स के आपातकालीन स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग की अनुमति दी है। सीरम इंस्टीट्यूट आॅफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा, भारत में 12 वर्ष और उससे अधिक उम्र के किशोरों के लिए कोवोवैक्स की मंजूरी भारत और निम्न एवं मध्यम आय वाले देश में हमारे टीकाकरण प्रयासों को मजबूत करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
उन्होंने कहा, हमें अपने देश के किशोरों के लिए एक अनुकूल सुरक्षा प्रोफाइल के साथ प्रोटीन-आधारित कोविड-19 वैक्सीन देने पर गर्व है। बता दें कि डीसीजीआई ने पहले ही 28 दिसंबर को 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वयस्कों के लिए ‘कोवोवैक्स’ के आपातकालीन उपयोग को मंजूरी दी थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी आपातकालीन उपयोग की सूची में शामिल वैक्सीन में भी ‘कोवोवैक्स’ का नाम शामिल है।
कैसे काम करती है यह वैक्सीन?
नोवोवैक्स एक प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है और इसलिए मॉडर्ना और फाइजर द्वारा विकसित एमआरएनए वैक्सीन, एस्ट्राजेनेका और जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा बनाई गई वायरल-वेक्टर वैक्सीन और सिनोवैक और सिनोफार्म द्वारा बनाई गई निष्क्रिय-वायरस वैक्सीन से अलग है। प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन में एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिससे वे रक्षा करते हैं। ऐसे में कोरोना वायरस से बचाव के लिए इनमें स्पाइक प्रोटीन होते हैं जो वायरस की सतह को ढक लेते हैं, जिसे इम्यून सिस्टम आसानी से पहचान सकता है। जब भविष्य में वास्तविक वायरस का सामना होता है, तो प्रतिरक्षा प्रणाली में ऐसे बचाव होते हैं जो वायरस के इन बाहरी हिस्सों पर हमला करने और इसे जल्दी से नष्ट करने के लिए प्रशिक्षित होते हैं। वहीं स्पाइक प्रोटीन अपने आप में हानिरहित, कोविड संक्रमण पैदा करने में असमर्थ होते हैं। यह कीट कोशिकाओं के भीतर, पेचीदा रूप से बनते हैं। फिर प्रोटीन को शुद्ध किया जाता है और एक सहायक घटक में जोड़ा जाता है जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाता है।