मन्दसौर, दिगंबर जिनालय अभिनंदन नगर में विराजित होने वाली 11 प्रतिमाओं के पंचकल्याणक महोत्सव के चौथे दिन भगवान का ज्ञान कल्याणक महोत्सव पूर्ण श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया गया. आदि कुमार ने राज वैभव त्याग कर दीक्षा ली, तप किया व आदिनाथ मुनिराज की अवस्था में विहार करते रहे. लगभग 6 माह व्यतीत हो जाने के बाद भी विधि नहीं मिलने से उनका आहार नहीं हुआ.
नगरवासी मुनि आदिनाथ को भोजन का निमंत्रण देते हैं. हमारे धन-संपत्ति ले लो, वस्त्र आभूषण ले लो, मकान महल ले लो, परंतु हमारे निवास चलकर आहार करो. मुनि आदिनाथ तो संकल्पित थे तभी राजा श्रेयांश को अवधि ज्ञान से ज्ञात हुआ कि निग्रंथ मुनि नवधा भक्ति से आहार करते हैं तब राजा श्रेयांश ने अपने परिवार सहित मुनिराज को नवधा भक्ति से विधि पूर्वक आहार कराया. प्रथम आहार इक्षु रस का कराया गया फिर तप करते हुए मणिराज को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई वह समवशरण में विराजमान हुए व भव्य जीवों को उपदेश दिया.
यह जानकारी देते हुए महोत्सव की मीडिया प्रभारी डॉ चंदा भरत कोठारी ने बताया कि ज्ञान कल्याणक महोत्सव में इन सभी दृश्यों का चित्रण किया गया. समवशरण में मुनि आदित्यसागर, अप्रमितसागर व सहजसागर महाराज ने विराजित होकर भव्य जीवों की जिज्ञासाओं का समाधान किया. यह अत्यंत अद्भुत दृश्य उपस्थित हुआ.
ज्ञान कल्याणक महोत्सव में हजारों की संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित हुए प्रातः 6 बजे से जाप अनुष्ठान अभिषेक शांतिधारा पूजन महामुनि आदिनाथ की प्रथम आहार विधि, प्राण प्रतिष्ठा, सूरी मंत्र, समवशरण की रचना, महाआरती, शास्त्र सभा, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि आयोजन चलते रहे.
कार्यक्रम के दौरान मुनि आदित्यसागर ने अपने प्रवचन में कहा अभी तक आप अपनों के लिए जीते रहे अब आप अपने लिए भी जीना प्रारंभ करें. जब कर्म का तीव्र उदय आता है तो बुद्धि और पुरुषार्थ दोनों काम नहीं करते. आपने आत्मा की शांति व उन्नति के लिए कहा विपरीत श्रद्धान छोड़ कर णमोकार मंत्र पर श्रद्धान करें. मिथ्यात्व छोड़कर सम्यक्त्व की ओर बढ़े.