भिण्ड । मध्यप्रदेश को उत्तरप्रदेश के इटावा को जोड़ने वाले चंबल नदी पर मुंबई के बांद्रा-वर्ली समुद्र सेतु की तर्ज पर तार समर्थित पुल बनाने की अनुमति वनविभाग और चंबल सेंक्चुरी से मिल गई है। पुल बनाने का काम अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में शुरू हो जाएगा।
भिण्ड जिले के बरही और उत्तरप्रदेश के उदी के बीच चंबल नदी पर बना पुल 1975 में बना था। 49 साल पुराना पुल होने के कारण पिछले पांच साल से पुल कई बार क्षतिग्रस्त हो चुका है। दो साल पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यमुना नदी पुल से चंबल नदी तक फोरलेन सड़क और चंबल नदी पर नया पुल बनाने के लिए 296 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे। पुल बनाने का काम दिल्ली की एएससी इंफ्राटेक लिमिटेड कंपनी को मिला है। कंपनी ने पुल निर्माण के लिए मिट्टी परीक्षण शुरू किया तो घड़ियाल सेंक्चुरी ने रोक लगा दी। 31 जुलाई को वनविभाग और चंबल सेंक्चुरी से अनुमति मिलने के बाद कंपनी ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। राष्ट्रीय मार्ग सेक्शन एग्जीक्यूटिव इंजीनियर मुकेश ठाकुर के मुताबिक चंबल नदी पर वायर सपोर्ट पुल मुंबई के बांद्रा-वर्ली सीलिंग की तर्ज पर बनाया जाना है। पुल में आने-जाने के लिए चार लाइन होगी। इसकी चौड़ाई करीब 14 मीटर होगी, जबकि लंबाई 594 मीटर अधिक होगी। पुल की ऊंचाई 130 मीटर है। चंबल पर रोशनी की व्यवस्था होगी। इस पुल का मुख्य स्पेन केबल से बनाया जाएगा। जिसमें कंक्रीट, स्टील, प्रीकास्ट सेगमेंट का इस्तेमाल होता है।
मध्य प्रदेश के भिण्ड जिले और उत्तर प्रदेश के इटावा जिले को जोड़ने वाली चंबल पुल पूरी तरह से जर्जर हैं। अब सरकार चंबल पुल के बगल से एक नया पुल बनने जा रही है। पुल बनाने के लिए चंबल सेंचुरी और वन विभाग से मंजूरी मिल चुकी है, जिसके निर्माण की घोषणा केंद्रीय मंत्री नितिन गड़कडी दो साल पहले ही कर चुके हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश के भिण्ड जिले को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले को जोड़ने वाले नए पुल के निर्माण में कुल 296 करोड़ का खर्च आएगा। यह पुल एएससी इंफ्राटेक कंपनी बनाएगी. वर्ष 1976 निर्मित जर्जर हो चुके चंबल पुल ओवरलोडिंग वाहनो की बजह से 21 बार क्षतिग्रस्त हो चुकी है, जो यात्रियों के लिए जानलेवा बन चुका है।

48 साल पुराने जर्जर हो चुके चंबल ब्रिज से दोनों राज्यों के बीच व्यापारिक गतिविधि भी बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं, जिसके चलते नए पुल के निर्माण को लेकर मांग होने लगी थी। बताया जाता है कि स्लैब और बेरिंग में कमी आने से यह पुल पिछले डेढ़ साल बंद रहा, जिसके चलते इस पर भारी वाहनों के आने जाने पर पाबंदी लगा दी गई।

नए सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण को 2 साल पहले ही मंजूरी मिल चुकी थी, लेकिन मध्य प्रदेश की चंबल सेंचुरी और उत्तरप्रदेश वन विभाग द्वारा निर्माण को लेकर एनओसी नहीं दिए जाने से नए पुल का काम अटका हुआ था, लेकिन अब चंबल सेंचुरी और वन विभाग ने स्वीकृति दे दी है, जिससे अब नए पुल बनने का रास्ता साफ हो गया है।

जर्जर चंबल पुल की अवस्था ऐसी थी कि वहां से हैवी ट्रक और डंपर का गुजरना मुश्किल था। ऐसे में उत्तरप्रदेश जाने वाले यात्रियों समेत हैवी ट्रक और डंपरों को चकरनगर और उरई होते हुए लगभग 80 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तय कर कानपुर होते हुए, इटावा जाना पड़ता था. इसको देखते हुए केंद्रीय मंत्री गड़करी ने नए सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण को मंजूरी दी थी।

  भिण्ड-इटावा के बीच चंबल नदी पर बनने वाले नए सिग्नेचर ब्रिज को भविष्य की जरूरतों को देखते हुए फोरलेन बनाया जाएगा. पुल बनाने के लिए एएससी इंफ्राटेक कंपनी द्वारा शुरुआती तैयारी कर ली गई हैं, जिसमें 800 मीटर के क्षेत्र में सर्वे प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है. अब अगले एक महीने के अंदर पुल निर्माण की प्रक्रिया शुरु कर दी जाएगी।

नए ब्रिज के निर्माण होने से दोनों राज्यों के बीच आवागमन सुलभ होगा. इससे दोनों राज्यों में व्यापार को बढ़ावा मिलेगा. इसके साथ ही एमपी की ओर से स्वीकृत अटल प्रोग्रेस वे नए पुल के जरिए सीधे बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे से जुड़ेगा, जिससे भिण्ड-इटावा को हाइवे कनेक्टिविटी का लाभ मिलेगा।