भोपाल । मध्य प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने एक आकंड़ा जारी करते हुए बड़ा दावा किया है. उनकी तरफ से बताया गया है कि हाल के दिनों में मध्य प्रदेश में तकरीबन 20 हजार लोगों ने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन की है. इसमें अकेले 14000 से ज्यादा कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता शामिल हैं. ऐसे में अब बड़ा सवाल है कि आखिर कांग्रेस किस ओर जा रही है और पार्टी का भविष्य क्या होगा?
इस बारे में इंदौर में वरिष्ठ पत्रकारों से चर्चा की और उनसे जाना कि आखिर कांग्रेस गर्त की ओर क्यों जा रही है. कहा गया कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस में इस समय खलबली की स्थिति है. कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को अपने नेताओं पर भरोसा नहीं रहा और अब वह अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं, या यूं कहा जाए कि कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ताओं को ना तो पार्टी का कुछ भविष्य दिखाई दे रहा है और ना ही खुद का.
जीतू पटवारी पार्टी को बचाने में कितने सफल होंगे?
वरिष्ठ पत्रकार ने आगे कहा कि हालांकि वे यह बात कहना नहीं भूले की जीतू पटवारी युवा है और युवा होने के नाते वह युवाओं को जोड़ने में एक सीमा तक सफल होते दिख रहे हैं. दरअसल जीतू पटवारी जब से अध्यक्ष बने हैं, तब से लेकर अब तक कई बड़े नेता कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी में जा चुके हैं. आए दिन प्रदेश के बीजेपी कार्यालय में कोई न कोई कांग्रेस का नेता बीजेपी को ज्वाइन कर रहा है. कांग्रेस में भगदड़ की ऐसी स्थिति आज से पहले कभी नहीं देखी गई. मन ही मन कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को लगने लगा है कि उनका भविष्य कम से कम अब कांग्रेस में रहकर तो सुरक्षित नहीं है. हालांकि, कांग्रेस पार्टी और उसके प्रवक्ता इसका जवाब देते हैं.
बीते दिनों कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने ही कहा था कि जो लोग पार्टी छोड़कर जा रहे हैं, वह इमारतें पुरानी थी जो गिर गई है, और कांग्रेस की जमीन समतल हो रही है. इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने जीतू पटवारी पर पलटवार किया था. उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि जीतू पटवारी जिस तरह से कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में आ रहे हैं. उससे लगता है कि कांग्रेस का प्लॉट समतल नहीं बल्कि गड्ढेनुमा होते जा रहा है, जिसमें बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं.
कांग्रेस नेताओं में मची खलबली
आगे कहा कि बहरहाल, यह बयानों की राजनीति है और बयानों पर ही चलती है, लेकिन अंदर खाने की खबर यह है कि वाकई में कांग्रेस के नेताओं में इस समय खलबली मची हुई है. इस खलबली के मचने का नकारात्मक प्रभाव यह हो रहा है कि पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव और उसके प्रत्याशियों को लेकर बहुत सोच विचार में रही और कई दिनों बाद प्रत्याशी घोषित कर पाई.
राजगढ़ से दिग्विजय सिंह को उतारना कहीं न कहीं इस बात के संकेत है कि कांग्रेस मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा के अलावा मध्य प्रदेश के अन्य संसदीय क्षेत्र में अपने उम्मीदवारों को जीतता हुआ देखना चाहती है. शायद इसीलिए वरिष्ठतम नेताओं को पार्टी ने मैदान में उतारा है. दरअसल यह फार्मूला विधानसभा के चुनाव में बीजेपी ने अपनाया था, जहां कई केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को पार्टी ने मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में खड़ा करके सबको चौंका दिया था. उसी तर्ज पर अब कांग्रेस अपने बड़े नेताओं को लोकसभा चुनाव में उतरकर किसी चमत्कार का इंतजार कर रही है.