भोपाल। मध्यप्रदेश में होने जा रहे राज्यसभा की एकमात्र सीट के लिए चुनाव को लेकर कांग्रेस ने अपनी हार सुनिश्चित देखते हुए पार्टी उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला कर लिया है। प्रदेश कांग्रेस के संगठन प्रभारी चंद्र प्रभाष  शेखर के हवाले से कहा  गया  है कि विधानसभा के आंकड़ों में बीजेपी संख्या बल में हमसे ज्यादा है । इस बात को हम स्वीकार करते हैं और आंकड़ों को देखते हुए ही पीसीसी चीफ कमलनाथ ने फैसला लिया है कि इस चुनाव में प्रत्याशी नहीं उतारेंगे।

बता दें कि यह चुनाव थावरचंद गहलोत के राज्यपाल बनने के बाद त्यागपत्र  के कारण रिक्त हुई सीट पर हो रहा है। जहां तक संख्या बल का सवाल है , जीत के लिए 114 विधायकों की जरूरत होगी ,जबकि भाजपा के पास वर्तमान में 125 विधायक हैं।  जबकि सपा ,बसपा और 3 निर्दलीयों का समर्थन भी सत्तारूढ़ पार्टी के साथ ही है। कांग्रेस  के पास मात्र 95 विधायक हैं और जीत के लिए आवश्यक आंकड़े तक पहुंचने के लिए यदि उन्हें सपा ,बसपा और निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी प्राप्त हो तो जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच पाएंगे । संभवतः इसीलिए कांग्रेस ने चुनाव में हार सुनिश्चित देखते हुए संख्या बल के आगे घुटने टेक दिए हैं।

नामांकन आज से शुरू
इधर चुनाव आयोग ने बुधवार को पांच राज्यों की 6 सीटों पर राज्यसभा चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। इसके अनुसार 16 से 22 सितंबर तक विधान सभा सचिवालय में रिटर्निंग ऑफिसर के समक्ष अपना नामांकन दाखिल कर सकेंगे। नामांकन वापस लेने की तारीख 27 सितंबर है । यदि निर्विरोध निर्वाचन नहीं हुआ तो 4 अक्टूबर को मतदान है और उसी दिन मतगणना के बाद परिणाम सामने आ सकेगा। हमेशा की तरह इस बार भी चुनाव प्रक्रिया के संचालन के लिए निर्वाचन आयोग ने विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह को रिटर्निंग ऑफिसर बनाया है । इसी तरह मतदान के दौरान कोरोना गाइडलाइन का पालन कराने के लिए पृथक से नोडल ऑफिसर की नियुक्ति भी सुनिश्चित की गई है।

 भाजपा में एक अनार सौ बीमार
बीजेपी में प्रत्याशी चयन को लेकर अभी मंथन का दौर जारी है। पार्टी में एक अनार सौ बीमार जैसी स्थिति पैदा होती जा रही है। हालांकि इस मसले को लेकर प्रदेश भाजपा संगठन में कोई हलचल नहीं है किंतु माना जा रहा है कि हमेशा की तरह पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व के द्वारा ही राज्यसभा में किसे भेजा जाएगा ,इसका फैसला होगा। लगभग डेढ़ माह पूर्व ही केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में तीन मंत्री ऐसे हैं जो मौजूदा स्थिति में किसी भी सदन के सदस्य नहीं है। ऐसे में मध्य प्रदेश से उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाकर भेजा जा सकता है ,किंतु 8 में से 2 सदस्य पहले से ही दूसरे प्रांतों से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं ,ऐसी दशा में प्रदेश के पार्टी नेताओं में असंतोष ना उपजे इसके लिए स्थानीय नेता को ही अवसर दिए जाने की पूरी संभावना है।

अनुसूचित जाति को प्राथमिकता
इसी तरह अनुसूचित जाति वर्ग से आने वाले थावरचंद गहलोत के इस्तीफे के बाद मध्य प्रदेश से कोई भी राज्यसभा सदस्य इस वर्ग से नहीं है। इस दृष्टि से अजा वर्ग के किसी नेता को राज्यसभा में भेजे जाने की प्रबल संभावना है। इसमें जो नाम चल रहे हैं उनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया, पूर्व सांसद प्रोफेसर चिंतामन मालवीय शामिल है। इसी बीच मध्यप्रदेश शासन में मंत्री रहे लाल सिंह आर्य का नाम भी तेजी से उभर कर सामने आया है । वह वर्तमान में पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी है। यदि प्रत्याशी चयन में इस गणित का ध्यान नहीं रखा जाता तो मौजूदा हालत में पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय का नाम सबसे प्रबल दावेदार के रूप में सामने आया है। वह अभी किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं । उनका नाम खंडवा लोकसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी बनाने को लेकर भी तेजी से चलता रहा है।

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