नई दिल्ली  । कई राज्यों में विधायकों के पाला बदलने से राजनीतिक नुकसान उठा चुकी कांग्रेस घर वापसी को लेकर सतर्क है। पार्टी विश्वासघात करने वाले विधायकों और नेताओं के साथ कोई रियायत बरतने के हक में नहीं है। हालांकि, दलबदलुओं को लेकर पार्टी का रुख नरम है। ऐसे विधायकों और नेताओं की चुनाव में घर वापसी पर पार्टी को कोई ऐतराज नहीं है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बीच उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में कांग्रेस के कई पुराने नेता और विधायक घर वापसी कर रहे हैं। उत्तराखंड में कुछ दिन पहले ही वरिष्ठ नेता यशपाल आर्य और उनके बेटे व विधायक संजीव आर्य ने पार्टी में वापसी की है। वहीं, गोवा और मणिपुर में भी कई विधायक वापसी करना चाहते हैं। पर पार्टी जल्दबाजी के हक में नहीं है।

कांग्रेस के अंदर यह राय जोर पकड़ रही है कि जिन विधायकों और नेताओं मुश्किल वक्त में पार्टी छोड़ी है, उन्हें वापसी का मौका नहीं मिलना चाहिए। यदि उन्हें वापस लिया जाता है तो उन्हें पार्टी के वफादार विधायकों और नेताओं के मुकाबले तरजीह नहीं दी जानी चाहिए। ताकि, बाकी लोगों में भी संदेश जाएगा और दूसरे नेता और विधायक भी ऐसा करने से पहले विचार करेंगे।

मतलब साफ है कि पार्टी दलबदलुओं को वफादारी पर तरजीह नहीं देगी। उत्तराखंड के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने भी पिछले दिनों कुछ इस तरह के संकेत दिए। उन्होंने कहा था कि ऐसे लोगों को ज्यादा तरजीह देने के हक में नहीं हैं। इससे साफ है कि पार्टी दलबदलुओं को बहुत ज्यादा तरजीह देने के हक में नहीं है। पर चुनावी मौसम में पार्टी को घर वापसी पर ऐतराज नहीं है।

गोवा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार बनाने से चूक गई थी। इसके बाद कई विधायकों ने पाला बदल लिया। अब कुछ विधायक वापसी चाहते हैं, पर पार्टी ने अपना रुख साफ कर दिया है। गोवा के चुनाव पर्यवेक्षक पी.चिदंबरम ने ऐसे नेताओं को साफ कर दिया कि कांग्रेस दल बदलने वालों को माफ कर सकती है, पर विश्वासघात को कभी नहीं भूलेंगे।

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