भोपाल । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के दो बड़े शहरों इंदौर और भोपाल में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की घोषणा की है। आपको लग रहा होगा कि इससे क्या ही बदल जाएगा? अब तक आईजी होते थे, अब उन्हें कमिश्नर बोलने लगेंगे। इसी तरह अधिकारियों के पदनाम ही बदल जाएंगे। तो नए सिस्टम से सिर्फ इतना नहीं, बहुत कुछ बदल जाएगा।
कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद कानून-व्यवस्था और अपराध जैसे विषयों पर प्रशासनिक अफसरों यानी कलेक्टर, एसडीएम और एडीएम जैसे अफसरों की पकड़ ढीली हो जाएगी। पुलिस अधिकारियों को मजिस्ट्रिरियल अधिकार मिल जाएंगे। गुंडा नियंत्रण अधिनियम से लेकर विस्फोटक अधिनियम जैसे कानूनों में जमानत लेने कलेक्टर ऑफिस के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। इसकी सुनवाई कमिश्नरेट में होगी।
मध्य प्रदेश में अभी सिर्फ घोषणा हुई है। सिस्टम क्या होगा, इसका खुलासा होना शेष है। उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह के हालात थे। कई प्रयोग हुए। आखिरकार पिछले साल यानी 13 जनवरी 2020 को लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कर दी गई। सूत्रों का कहना है कि मोटे तौर पर इसी सिस्टम को मध्य प्रदेश में लागू किया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो मजिस्ट्रियल अधिकार भी पुलिस यानी आईपीएस अफसरों को मिल जाएंगे। जो इस समय तक सिर्फ आईएएस अफसरों के पास होते थे।
लखनऊ और नोएडा के सिस्टम से अगर हम समझे तो इंदौर में कमिश्नर सबसे बड़ा पुलिस अधिकारी होगा। उसकी रैंक आईजी या उससे ऊपर की हो सकती है। बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश में एडीजी रैंक के अफसर को यह जिम्मेदारी मिल सकती है। कमिश्नर के मातहत दो संयुक्त पुलिस आयुक्त यानी जॉइंट पुलिस कमिश्नर होंगे। एक के जिम्मे कानून-व्यवस्था आएगी और दूसरे के पास मुख्यालय से जुड़ी जिम्मेदारी। यह दोनों अधिकारी आईजी स्तर के होंगे।
इसके बाद होगा- एक डिप्टी कमिश्नर। यह सीनियर आईपीएस होगा, जो डीआईजी या एसएसपी की रैंक का हो सकता है। इसे क्षेत्र की सभी ज़ोन, ट्रैफिक, क्राइम, मुख्यालय, सिक्योरिटी, इंटेलिजेंस, महिला अपराध जैसी शाखाओं की रिपोर्टिंग होगी। इसके बाद एडिशनल डिप्टी कमिश्नर और असिस्टेंट कमिश्नर होंगे, जिनके जिम्मे अलग-अलग शाखाओं की जिम्मेदारी होगी। यह व्यवस्था कुछ इस तरह की है कि इन पदों पर एसपी-एएसपी या डीएसपी रैंक के अधिकारी पोस्टेड होंगे।
लखनऊ और नोएडा में सीआरपीसी 1973 के तहत 14 स्थानीय कानूनों के संबंध में कमिश्नर को एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट और अपर जिला मजिस्ट्रेट की शक्तियां और जिला मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान की गई है। जॉइंट पुलिस कमिश्नर, एडिशनल पुलिस कमिश्नर, डिप्टी पुलिस कमिश्नर, एडिशनल डिप्टी पुलिस कमिश्नर और असिस्टेंट कमिश्नर को एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान की गई है। यानी जमानत देने से लेकर कई तरह के प्रशासनिक अधिकार पुलिस के पास आ गए हैं।
मध्य प्रदेश में भी कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद ऐसा ही सिस्टम बनने की उम्मीद की जा रही है। इससे ही कानून-व्यवस्था बेहतर बनाने और अपराध कम करने में पुलिस अधिकारियों की भूमिका बढ़ेगी। वरना, अब तक तो वे सिर्फ डंडा फटकारने और प्रशासनिक अफसरों के आदेशों का पालन करने का काम ही करते रहे हैं।