भोपाल: मध्य प्रदेश में बीजेपी 2023 के चुनावी तैयारियों में जुट गई है. पार्टी हर उस प्लान पर काम कर रही है, जिसे 2023 के लिए मुफीद माना जा रहा है. ऐसे में यूपी का सियासी फॉर्मूला बीजेपी अब एमपी में लागू करने की तैयारी में हैं. क्योंकि पार्टी एक खास वर्ग को साधने की तैयारी में हैं. जिसके के लिए सीएम शिवराज खुद जल्द राज्य-स्तरीय पंचायत का आयोजन करेंगे. उन्होंने इसके निर्देश भी दे दिए हैं. बता दें कि इसी फॉर्मूले का बीजेपी उत्तर प्रदेश में अच्छा फायदा मिला था.
दरअसल, शिवराज सरकार जल्द ही प्रदेश में राज्य स्तरीय मछुआ पंचायत का आयोजन करेगी. विभाग की समीक्षा बैठक में कल सीएम ने निर्देश दिए की मछुआ वर्ग के उत्पाद का अच्छा मूल्य दिलाने के लिए उत्पादों की ब्रान्डिंग का कार्य भी किया जाए, प्रदेश में झींगा उत्पादन भी प्रचुर मात्रा में हो रहा है. इसके विक्रय के लिए बाजार में बेहतर व्यवस्थाएं और झींगा पालकों को उसका फायदा दिलाने के प्रयास किए जाएं. इसके लिए जल्द ही भोपाल में राज्य-स्तरीय मछुआ पंचायत होगी. मुख्यमंत्री ने राज्य मछली महाशीर के अलावा रोहू एवं अन्य लोकप्रिय मछली प्रजातियों को अन्य राज्यों के बाजारों तक पहुंचाने के प्रयास करने के निर्देश भी दिए है.
इसके अलावा सीएम ने कहा कि प्रदेश में मछुआरों के स्थान पर बाहरी लोगों के जलाशयों में प्रबंधन और मत्स्य-पालन पर रोक, ताकि इसका फायदा सीधा प्रदेश के मछुआरों को ही मिलना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने अन्य सभी बेहतर व्यवस्थाएं भी मछुआरों को दिलाने के निर्देश दिए हैं.
बता दें कि बीजेपी 2023 तैयारियो में जुटी है. ऐसे में मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री की मछुआ पंचायत सियासी मायने में महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं. दरअसल जिस प्रकार उत्तर प्रदेश में निषाद समुदाय बड़ी सियासी ताकत रखता है, उसी तरह मध्य प्रदेश में भी मछुआ समुदाय की अच्छी पकड़ मानी जाती है. इस जाति के लोगों का परंपरागत काम मछली मारना है या इनकी रोजी-रोटी नदियों-तालाबों पर निर्भर रहती है. इसमें केवट, बिंद, मल्लाह, कश्यप, नोनिया, मांझी, गोंड जैसी जातियां होती हैं. यूपी की तरह एमपी में इस वर्ग का राज्य की 30 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर अच्छा प्रभाव रहता है. मछुआ समुदाय नर्मदा सहित दूसरी बड़ी नदियों के किनारे अपना काम करते हैं. इसलिए मछुआ समुदाय उत्तर प्रदेश की राजनीतिक में काफी महत्वपूर्ण है. इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जल्द ही मछुआ पंचायत लगाने की तैयारी में हैं.
मध्य प्रदेश में इस वर्ग के लिए मत्स्य विभाग अलग से बनाया गया है, वैसे तो मत्स्य पालन एक महत्वपूर्ण उपक्रम के रूप में जाना जाता है, लेकिन इसमें महाशीर मछली का बड़ा विशिष्ट स्थान है. महाशीर मध्य प्रदेश की राजकीय मछली कहलाती है. महाशीर को अपनी खूबियों के कारण टाइगर ऑफ वाटर के नाम से भी जाना जाता है. ऐसे में शिवराज सरकार ने महाशीर मछली के उत्पादन और मछुआरो को बेहतर से बेहतर सुविधा दिलाने के निर्देश दिए हैं. राजनीतिक जानकारों का भी कहना है कि सीएम शिवराज की मछुआ पंचायत का असर 2023 के विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा. इससे पहले भी प्रदेश में इस तरह के आयोजन होते रहे हैं. बता दें कि बीजेपी 2023 में होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती है.