नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय व कालेज अब 16 अगस्त से नहीं खुलेंगे। डीयू ने स्नातक, स्नातकोत्तर के विज्ञान वर्ग के छात्रों की फिजिकल कक्षाएं चलाने के अपने फैसले को वापस ले लिया है। ऐसा राज्य सरकार द्वारा कालेज खोलने के लिए कोई दिशानिर्देश जारी नहीं होने व शिक्षकों के विरोध के चलते किया गया है। हालांकि शिक्षण, गैर शिक्षण कर्मचारियों के कालेज में नियमित आने के फैसले को नहीं बदला गया है।

डीयू सूत्रों ने बताया कि अभी तक राज्य सरकार या विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कालेज खोलने को लेकर कोई गाइडलाइंस जारी नहीं की है। डीयू परिसर या कालेज खोलने के लिए राज्य सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करता है। हालांकि फैसला बदलने के पीछे शिक्षक संगठनों का विरोध भी एक वजह है। कालेज खोलने के डीयू के फैसले के खिलाफ शिक्षक संगठनों ने नाराजगी जाहिर की थी। नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) ने कार्यवाहक कुलपति प्रो पीसी जोशी को पत्र लिखा था। जिसमें कहा गया था कि कोरोना महामारी अभी खत्म नहीं हुई है।

डीयू को पहले महामारी की स्थिति का विश्लेषण करना चाहिए था। फैकल्टी और छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की कोशिश होनी चाहिए थी। सभी शिक्षकों, छात्रों का पहले टीकाकरण होना चाहिए। कोरोना के तीसरे लहर की संभावना जताई जा चुकी है। डीयू के छात्र विभिन्न राज्यों से आते हैं। ऐसे में छात्रों से संक्रमण फैलने का खतरा है। एनडीटीएफ ने डीयू कुलपति से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की गुजारिश की थी।

वहीं दिल्ली विवि शिक्षक संघ (डूटा) उपाध्यक्ष डा आलोक पांडेय ने सवाल उठाया था कि क्या कक्षाएं खोलने की पूरी तैयारी है? इसी साल जनवरी में एक ऐसा ही पत्र दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने जारी किया था उसके बाद की भयावह स्थिति से हम सब वाकिफ हैं। डीयू ने कोरोना की दूसरी लहर में कई नामीगिरामी प्रोफेसरों को खो दिया। उन्होने कहा कि अभी तक सभी कर्मचारियों, शिक्षकों का टीकाकरण नहीं हुआ है।

आम आदमी पार्टी समर्थित दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) ने भी डीयू को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया था। डीटीए अध्यक्ष डा हंसराज सुमन ने कहा कि दिल्ली में संक्रमण के मामले अभी भी सामने आ रहे हैं। शिक्षकों, छात्रों काे टीका भी नहीं लगा है, ऐसे में मुश्किल बढ़ सकती है।

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