भोपाल: मध्य प्रदेश में इस बार बीजेपी में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर घमासान है. बीजेपी के नेता मंच और प्रेस वार्ता में ये बात कहते हैं कि इस बार बीजेपी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है. बीजेपी के कई बड़े नेता मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे थे. टिकटों के ऐलान से पहले तो यही नेता कहते थे कि उन्हें कई सीटों की जिम्मेदारी दी गई है. मगर जब से इन्हें प्रत्याशी घोषित किया है तब से ये नेता अपने ही क्षेत्र में बंधकर रह गए हैं. अब तो इन नेताओं पर इस बात का दबाव है कि वो अपनी सीट ही जीत जाएं. हो भी क्यों न, क्योंकि कोई बड़ा नेता अपनी ही सीट हार जाए तो इससे बड़ा राजनीतिक दाग नहीं हो सकता.

कैलाश विजयवर्गीय एक ऐसे नेता हैं, जिनके कंधों पर मालवा-निमाड़ जिताने की जिम्मेदारी थी. मालवा-निमाड़ में कुल 66 सीट आती हैं. कहते हैं एमपी में जीत का रास्ता मालवा-निमाड़ से होकर गुजरता है. उम्मीदवारों के ऐलान से पहले शुरुआत में कैलाश विजयवर्गीय कहते थे कि उनके पास मालवा-निमाड़ की जिम्मेदारी है. मगर अब तो कैलाश विजयवर्गीय सिर्फ अपनी ही सीट पर पूरी तरह फोकस कर रहे हैं, यानी अब तो उनकी साख भी दांव पर है.

प्रह्लाद पटेल: केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल को बीजेपी ने नरसिंहपुर से टिकट दिया है. वो पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. प्रह्लाद पटेल को महाकौशल की जिम्मेदारी दी गई थी. महाकौशल में कुल 38 विधानसभा सीट आती हैं. मगर प्रह्लाद पटेल भी अब सिर्फ अपनी सीट को जीतने में ही फोकस कर रहे हैं.

नरेंद्र सिंह तोमर: केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को ग्वालियर-चंबल जिताने की जिम्मेदारी दी गई थी. वो अपनी तैयारी भी कर रहे थे. मगर उन्हें मुरैना जिले की दिमनी सीट से उम्मीदवार बनाया गया. दिमनी सीट कांग्रेस के पास है. इसके बाद से ही कोई बड़ी-छोटी सभा उन्होंने ग्वालियर चंबल में नहीं की. अब तो उनका भी लक्ष्य पहले अपनी सीट जीतना है. ग्वालियर-चंबल में कुल 34 सीट आती हैं.

राकेश सिंह: राकेश सिंह जबलपुर से ही सांसद हैं. अब उनका मुकाबला भी काफी मुश्किल सीट पर है. कांग्रेस से तरुण भनोत के सामने वो चुनाव लड़ रहे हैं. तरुण दो बार से लगातार विधायक हैं. कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे हैं. उन्हें हराना भी आसान नहीं. लिहाजा राकेश सिंह का लक्ष्य भी खुद की ही सीट जीतना है. बतौर प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के ही नेतृत्व में बीजेपी ने 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ा था. जेपी नड्डा में काफी करीबी माने जाते हैं.

ज्योतिरादित्य सिंधिया: ज्योतिरादित्य सिंधिया को फिलहाल पार्टी ने मैदान में नहीं उतारा है. मगर, कयास हैं कि शिवपुरी से उनकी बुआ यशोधरा राजे सिंधिया की जगह उन्हें पार्टी मैदान में उतार सकती है. फिलहाल सिंधिया भी प्रचार -प्रसार पूरे प्रदेश में नहीं कर रहे हैं. कांग्रेस में रहते तो चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष थे.

वीडी शर्मा: वीडी शर्मा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं. वीडी शर्मा खजुराहो से सांसद हैं. ऐसे में उन्हें लेकर भी खबरें हैं कि पार्टी उन्हें विधानसभा का टिकट दे सकती है. अगर ऐसा होता है तो वो भी पूरा क्षेत्र छोड़कर सिर्फ अपनी विधानसभा सीट पर फोकस करेंगे.