*ग्वालियर, ।मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ड्रोन तकनीक आधुनिक युग का वरदान बताते हुए उम्मीद जताई है कि इनका उपयोग क्रांतिकारी सिद्ध होगा। इसका इस्तेमाल विकास कार्यों सहित योजना बनाने और आपदा प्रबंधन में लाभकारी होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा दौर में खेतों में उर्वरक तथा दवाओं का छिड़काव हो या दूरस्थ क्षेत्र में दवाएं पहुंचानी हों उसमें ड्रोन तकनीक एक उन्नत विकल्प के रूप में सामने आई है। मुख्यमंत्री ने कहा–प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा है कि इस तकनीक का विकास कार्यों, योजनाएं बनाने और आपदा प्रबंधन में अधिकाधिक प्रयोग हो, इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रधानमंत्री की इस मंशा को पूरा करने के लिए दिन रात जुटे हुए हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शनिवार को माधव इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (MITS) में आयोजित प्रदेश के पहले ड्रोन मेले में मुख्य अतिथि के रुप में संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभु राम चौधरी और सांसद विवेक नारायण शेजवलकर उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि ड्रोन तकनीक कृषि क्षेत्र में किसानों के लिए वरदान सिद्ध हो सकती है। भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त और पुलिस सर्विलांस में भी यह तकनीक बहुत उपयोगी है। केंद्रीय नागरिक उड्ड्यन मंत्रालय के प्रयासों से इस क्षेत्र में रोजगार के बहुत अवसर जन्म ले रहे हैं। ज्ञातव्य है कि प्रदेश के पहले ड्रोन मेले में करीब 20 कंपनियों ने भाग लिया। यहां एक साथ 40 ड्रोन भी उडा़ए गए। इस अवसर पर नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने घोषणा की कि MITS में ड्रोन एक्सीलेंसी सेंटर स्थापित किया जाएगा इसके लिए एक ड्रोन कंपनी से एमओयू भी साइन किया गया है। इसके साथ ही ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, भोपाल और सतना में ड्रोन तकनीक औऱ अनुप्रयोग की शिक्षा व प्रशिक्षण देने वाले विद्यालय भी खोले जाएंगे।

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उम्मीद जताई कि उनके मंत्रालय की PLI योजना से भारत में ड्रोन क्रांति का सूत्रपात होगा, और प्रधानमंत्री मोदी का विश्व में अग्रणी भूमिका निभाने का स्वप्न पूरा होगा। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने YouTube पर नौजवानों से चैट करते हुए कहा था कि हमें विश्व-स्तर पर फॉलोअर नहीं लीडर बनना है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इसके लिए ड्रोन स्टार्टअप्स बड़ा जरिया बनेंगे। सिंधिया ने दोहराया कि उनके मंत्रालय से जारी ड्रोन सैक्टर के लिए उत्पादन आधारित इंसेटिव (PLI) योजना बड़ा अवसर है। सिंधिया ने बताया कि PLI ड्रोन हार्डवेयर के साथ ही सोफ्टवेयर एप्लिकेशन के विकास में भी नौजवान सोफ्टवेयर इंजीनियर्स के लिए अपार संभावनाओं के द्वार खोलेगी। हम PLI के जरिए अगले तीन साल तक 120 करोड़ रुपए का इंसेंटिव उद्यमियों को उपलब्ध कराएंगे। हालांकि सिंधिया ने स्पष्ट किया कि 120 करोड़ में से किसी एक कंपनी को 25 प्रतिशत (30 करोड़) से ज्यादा इंसेटिव नहीं मिलेगा। केंद्र सरकार द्वारा ड्रोन और ड्रोन के कलपुर्जों के लिए हाल ही में घोषित उत्पादन से संबंधित प्रोत्साहन (PLI) से अगले तीन वर्षों के दौरान 5,000 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश की उम्मीद है। अनुमान है कि इससे उद्योग का वार्षिक बिक्री कारोबार 2020-21 में 60 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 900 करोड़ रुपए से भी अधिक हो सकता है, नतीजतन आगामी तीन वर्षों में इस क्षेत्र में 10,000 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध होने की उम्मीद है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने YouTube पर नौजवानों से चैट करते हुए कहा कि हमें विश्व-स्तर पर फॉलोअर नहीं लीडर बनना है। उन्होने उम्मीद जताई कि इसके लिए ड्रोन स्टार्टअप्स बड़ा जरिया बनेंगे। सिंधिया ने दोहराया कि उनके मंत्रालय से जारी ड्रोन सैक्टर के लिए उत्पादन आधारित इंसेटिव (PLI) योजना बड़ा अवसर है। सिंधिया ने बताया कि PLI ड्रोन हार्डवेयर के साथ ही सोफ्टवेयर एप्लिकेशन के विकास में भी नौजवान सोफ्टवेयर इंजीनियर्स के लिए अपार संभावनाओं के द्वार खोलेगी। हम PLI के जरिए अगले तीन साल तक 120 करोड़ रुपए का इंसेंटिव उद्यमियों को उपलब्ध कराएंगे। हालांकि सिंधिया ने स्पष्ट किया कि 120 करोड़ में से किसी एक कंपनी को 25 प्रतिशत (30 करोड़) से ज्यादा इंसेटिव नहीं मिलेगा।

ड्रोन तकनीक वरदान है

कुछ दिन पूर्व सिंधिया एक लाइव चैट में बताया कि हाल ही में मणिपुर के दुर्गम इलाके में 15 मिनट में रेफ्रिजरेटेड वैक्सीनेशन पैक पहुंचाने के सफल अनुप्रयोग ने सिद्ध कर दिया है कि इस क्षेत्र में ड्रोन की क्या भूमिका होने वाली है। ज्ञातव्य है कि मणिपुर के इस दुर्गम पहाड़ी स्थल तक निकटतम टीकाकरण केंद्र से पहुंचने में समान्य रूप से 1.5 घंटा लगता है। कृषि-क्षेत्र में दुनिया की नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल कर नई क्रांति की नींव रखी गई। भावनगर में IFFCO के बनाए आधुनिकतम नेनो-यूरिया के घोल का ड्रोन के माध्यम से खेत में सफल छिड़काव किया गया। IFFCO के प्रतिनिधियों ने बताया कि नेनो तकनीक यूरिया के उत्पादन में ड्रोन समेत दुनिया की आधुनिकतम तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। साथ ही दुनिया में पहली बार इसके खेतों में छिड़काव के लिए ड्रोन का व्यावहारिक इस्तेमाल भी संभव कर दिखाया है। इसके छिड़काव में ड्रोन की व्यावहारिकता सिद्ध हो चुकी है इसलिए किसानों को परिश्रम भी कम करना पड़ेगा औऱ रसायन की विषाक्तता के ख़तरे से सुरक्षा भी मिलेगी।

आने वाले समय में कम होंगी ड्रोन की कीमतें
ड्रोन की कीमतों से जुड़े एक सवाल के जवाब में सिंधिया ने कहा–तकनीक नई होती है तब कीमत ज्यादा होती ही हैं, लेकिन समय के साथ बहुत तेजी से कम भी होती हैं। जिस तरह मोबाइल तकनीक आज इंस्ट्रुमेंट औऱ डाटा वेल्यू के लिहाज से बेहद सस्ती हो चुकी है। उसी तरह से जब अनुप्रयोग बड़े पैमाने पर होने लगेंगे तो ड्रोन की कीमतें भी घट जाएंगी। ड्रोन-सैक्टर के फलने फूलने से कस्बा-देहात तक ट्रेंड ड्रोन-पायलटों की आवश्यकता बढ़ेगी और युवाओं के लिए रोजगार का नया क्षेत्र उपलब्ध होगा।

एयरो-स्पेस मैप और गाइडलाइन का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई-

ड्रान से जुड़े आंतरकि सुरक्षा पहलुओं पर आए सवाल के जवाब में सिंधिया ने बताया कि हम मुस्तैद हैं। जल्द ही रेग्युलेटरी ऑथोरिटीज के पास के ऑन-ऑफ स्विच भी उपलब्ध होगा। जब भी कोई एयर-स्पेस मैप और गाइडलान की मर्यादाएं तोड़ेगा, ड्रोन को रोका भी जा सकेगा। साथ ही आपराधिक प्रकऱण भी दर्ज किए जाएंगे।