कहा जाता है अगर आप कुछ बनने की ठान तो मुश्किल से मुश्किल परिस्थतियां आपकी मंजिल में बाधा नहीं बन सकती। ऐसी ही कहानी सामने आई है, जहां 25 साल पहले एक बच्ची को जलगांव रेलवे स्टेशन के कूड़ेदान में फेंक दिया था, आज वही बच्ची सरकारी अधिकारी बन गई है। जन्म से नेत्रहीन माला पापलकर ने महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (MPSC) की परीक्षा पास कर ली है और उन्हें नागपुर कलेक्ट्रेट में राजस्व सहायक की पोस्ट पर नियुक्त किया गया है।
कूड़ेदान से उठाई गई बच्ची, अब सरकारी अफसर
जब माला सिर्फ एक नवजात थीं, तब उन्हें कूड़ेदान में लावारिस हालत में पाया गया। उनकी दृष्टि जन्म से ही नहीं थी। उन्हें अमरावती के एक पुनर्वास केंद्र में लाया गया, जहां उनका लालन-पालन हुआ। माला ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और दृढ़ संकल्प के साथ MPSC की क्लर्क परीक्षा की तैयारी की। पिछले साल मई में उन्होंने यह परीक्षा पास कर ली।
शंकर बाबा ने दिया सहारा और नाम
माला अपनी सफलता का श्रेय पद्म श्री सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता शंकर बाबा पापलकर को देती हैं। शंकर बाबा ने न सिर्फ माला को अपना नाम दिया, बल्कि उन्हें एक प्यारा घर और नई जिंदगी भी दी।माला ने कहा, “शंकर बाबा मेरे जीवन के सबसे बड़े मार्गदर्शक हैं। उन्होंने मुझे हिम्मत दी, पढ़ाया और इस काबिल बनाया कि मैं आज एक अधिकारी बन पाई।”
शंकर बाबा का योगदान
81 वर्षीय शंकर बाबा अमरावती जिले के वज्जर गांव में एक आश्रम चलाते हैं, जहां 123 से ज्यादा अनाथ, दिव्यांग और मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को पाला जाता है। उन्हें जनवरी 2023 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपना पूरा जीवन बेसहारा बच्चों के कल्याण और पुनर्वास के लिए समर्पित कर दिया है।
अब शुरू होगा माला का नया सफर
अब माला की उम्र 26 साल है, और उन्हें हाल ही में नागपुर कलेक्ट्रेट में सरकारी नौकरी मिली है। वह बताती हैं कि आगे भी वह समाज के लिए कुछ करना चाहती हैं, ताकि और भी बच्चे उम्मीद और हिम्मत के साथ आगे बढ़ सकें।