नई दिल्ली। कोरोना के बाद देश में अब ब्लैक फंगस के मामले भी देखने को मिल रहे हैं। जिससे सभी की चिंता एकबार फिर बढ़ गई है। देश में ब्लैक फंगस की बढ़ती बीमारी और उससे जुड़ी दवा की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार हरकत में आ गई है। सरकार ने इस बीमारी से निपटने के लिए शुक्रवार को कई बड़े कदम उठाने की घोषणा की। डॉक्टरों ने इलाज में होने वाली देरी और दवाओं की कमी को लेकरर चेतावनी दी है। देश में कोरोना महामारी के साथ ब्लैक फंगस का कहर लगातार जारी है। ऐसे में इस खतरनाक महामारी से निपटने के लिए केंद्र सरकार अहम फैसले ले रही है। इसी क्रम में मंगलवार को केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने बड़ी जानकारी देते हुए बताया कि देश में ब्लैक फंगस दवा के उत्पादन की क्षमता को तीन लाख से बढ़ाकर प्रतिदिन सात लाख कर दिया गया है। ब्लैक फंगस की दवा की सात लाख शीशियों का आयात करने का फैसला किया गया है। 31 मई से पहले तीन लाख शीशीयां आ जाएंगी।
जानकारी के मुताबिक देश की पुरानी 5 कंपनियां ने मई में 1 लाख 63 हजार 752 vials का उत्पादन किया. इस क्षमता को जून में बढ़ाकर 2 लाख 55 हजार 114 करने की योजना है. देश में मई में 3 लाख 63 हजार vials आयात किया गया। अब जून में 3 लाख 15 हजार vials आयात किए जाएंगे। ऐसे में जून में देश में कुल 5 लाख 70 हजार 114 टीके (Vials) उपलब्ध होंगे। जून के पहले और दूसरे हफ्ते में और तीन लाख आ जाएंगी। उन्होंने कहा कि जून में लगभग 15-16 लाख (एम्फोटेरिसिन बी) शीशियों का उत्पादन होने की उम्मीद है। भारत में आठ लाख शीशियों का उत्पादन होगा, जबकि आयात से हम सात लाख शीशियों की उम्मीद कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अभी छह कंपनियां यह दवा बना रही थीं। इनके अलावा पांच और कंपनियों को दवा बनाने की इजाजत दे दी गई है। मौजूदा कंपनियां भी उत्पादन बढ़ाना शुरू कर चुकी हैं। इसके साथ ही भारतीय कंपनियों ने इस दवा के छह लाख वॉयल्स के आयात का आर्डर भी दे दिया है।
इन पांच और कंपनियों को मिली इजाजत एमक्योर फार्मास्यूटिकल्स नाटको फार्मा गुफिक बायो साइंसेस लि. एलेम्बिक फार्मास्यूटिकल्स लायका फार्मास्यूटिकल्स ये कंपनियां पहले से ही बना रहीं एम्फोटेरिसिन-बी मायलन भारत सीरम्स बीडीआर फार्मा सन फार्मा सिप्ला लाइफ केयर