भोपाल। उत्तराखंड, कर्नाटक और गुजरात के बाद भाजपा मध्यप्रदेश में सियासी जमीन को और मजबूत करने की कवायद में जुटी हुई है। इस बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बुधवार को दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात को राजनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बीते दो माह में शिवराज चौहान की दिल्ली यात्राओं को लेकर कई तरह की अटकलें रहीं हैं। माना जा रहा है कि दो माह में अब तक लगभग 5 बार शिवराज दिल्ली की दौड़ लगा चुके हैं। 

  शिवराज चौहान के अगले हफ्ते फिर से दिल्ली आने की संभावना है। गौरतलब है कि हाल में भाजपा और कांग्रेस ने अपनी सत्ता वाले कुछ राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन किए है। माना जा रहा है कि दोनों दलों ने सत्ता विरोधी वातावरण को समाप्त करने के लिए यह परिवर्तन किए हैं।   बता दें कि भाजपा ने बीते महीनों में उत्तराखंड, गुजरात व कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन किए हैं तो कांग्रेस ने पंजाब में मुख्यमंत्री बदला है। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा नेतृत्व अपनी सत्ता वाले सभी राज्यों की व्यापक समीक्षा कर रहा है और भावी चुनावी रणनीति के मुताबिक परिवर्तन कर रहा है। इसमें हरियाणा, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश व हिमाचल प्रदेश आदि शामिल हैं। मध्यप्रदेश में भी राजनीतिक हलचल काफी अधिक है इसका अंदाजा मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरों और पार्टी के केंद्रीय नेताओं से लगातार मुलाकातों से लगाया जा सकता है।

  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बीते दो महीनों में करीब पांच बार दिल्ली आ चुके हैं। जुलाई में जहां चौहान ने तीन बार दिल्ली का दीदार किया था, वहीं अगस्त में वह एक बार दिल्ली आए थे। हालांकि, अब तक साफ नहीं है कि किस मुद्दे को लेकर लगातार शिवराज दिल्ली दौरा कर रहे हैं। बीते बुधवार को भी वह दिल्ली में थे और जेपी नड्डा से मुलाकात किये थे।वहीं अब अगले हफ्ते गृहमंत्री अमित शाह से मिलने शिवराज फिर दिल्ली आ सकते हैं। लेकिन जिस प्रकार से भाजपा राज्यों में मुख्यमंत्री को लेकर प्रयोग कर रही है, ऐसे में राजनीतिक अटकलों का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। 

  दरअसल, खंडवा लोकसभा सीट को लेकर होने वाला उपचुनाव काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अभी इसका ऐलान नहीं हुआ है। लेकिन भाजपा भावी बदलाव की संभावनाओं में इस उपचुनाव की रणनीति को भी साथ लेकर चल रही है। बता दें कि है कोरोना की दूसरी लहर के बीच दमोह विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा को करारी मात झेलनी पड़ी थी। चुनाव आयोग इस महीने जो उपचुनाव करा रहा है उसके साथ उसने विभिन्न राज्यों की खाली सीटों को लेकर भी राज्यों के प्रशासन से चर्चा की थी। तब मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव ने कहा था कि राज्य में बाढ़, त्यौहार व महामारी के चलते अभी स्थितियां ठीक नहीं है इसलिए त्यौहारों के बाद चुनाव कराए जाने चाहिए।  

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