भोपाल. मध्य प्रदेश के वरिष्ठ बीजेपी नेता रघुनंदन शर्मा की एक अनोखी अपील ने सत्ता और संगठन को असहज कर दिया है. शर्मा ने एक कार्यक्रम में मंच पर बैठे मुख्यमंत्री मोहन यादव से आग्रह किया कि जिस तरह वे बरसात में झीलों की गंदगी हटाने का काम कर रहे हैं, ठीक वैसे ही अपनी सरकार और प्रशासन में भी स्वच्छता अभियान चलाएं ताकि वहां मौजूद गंदगी को हटाया जा सके.

पूर्व राज्यसभा सांसद रघुनंदन शर्मा एक स्थानीय झील के जीर्णोद्धार के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे. BJP के वरिष्ठ नेता ने मुख्यमंत्री से कहा, “आपने एक छोटी-सी झील की सफाई का अभियान शुरू किया है. आपको सरकार और प्रशासन में एक बड़ा सफाई अभियान चलाना होगा क्योंकि वहां बहुत गंदगी है. वह गंदगी दिखाई नहीं देती क्योंकि वह शरीर के नीचे छिपी होती है. मुझे विश्वास है कि आप अपनी अपार ऊर्जा और दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण इसे साफ करने में सक्षम हैं.”

बाद में पत्रकारों से बात करते हुए शर्मा ने कहा कि सरकार में कुछ लोग अपने निहित स्वार्थों के लिए अपनी पसंद के पदों पर बैठे हैं और लोगों को परेशान करते हुए अपने घरों को भर रहे हैं और सेवाएं ले रहे हैं.

शर्मा ने दावा किया, “मैंने (शासन में स्वच्छता अभियान के लिए) एक प्रतीकात्मक अनुरोध किया है, क्योंकि बिचौलियों और एजेंटों सहित कई बाहरी तत्व सत्ता में शामिल हैं. वे गंदगी हैं और उन्हें बाहर करने की जरूरत है. राजनीति के कारण ऐसे तत्वों को आश्रय दिया जाता है और वे सक्रिय हैं.”

पूर्व सांसद ने कहा कि लोगों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए ऐसी सभी बाधाओं को दूर करना मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी है. समारोह को संबोधित करते हुए सीएम यादव ने झील के संरक्षण और सफाई के लिए किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा की और कहा कि लगाए गए फव्वारे इसे सुंदर बनाते हैं और यह भी सुनिश्चित करते हैं कि पानी को ऑक्सीजन मिले.

यह पहला मौका नहीं है जब बीजेपी के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा ने प्रदेश की अपनी ही सरकार और संगठन पर सवाल उठाया हो. इसके पहले भी वे कई बार अपने बयानों से सत्ता और संगठन को असहज कर चुके हैं.

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय रघुनंदन शर्मा ने कहा था कि इस समय बीजेपी के प्रदेश में 5-5 प्रभारी हैं. पांच-पांच पति की द्रोपदी की जैसी दशा हुई, वैसी पार्टी की दुर्दशा हो रही है. यह पांच प्रभारी भी प्रभावशाली ढंग से संगठन चला रहे हों, ऐसा दिखता नहीं है. बीजेपी में अब हाईकमान जैसा कुछ बचा ही नहीं है, पार्टी में कोई हाईकमान है ही नहीं.