भोपाल: मध्य प्रदेश में उपचुनाव से पहले बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल भी शुरू कर दिया है, पार्टी ने रूठों को मनाने और उनकी समस्याओं का समाधान करने पर जोर दिया है, दरअसल, पिछले कुछ दिनों में बीजेपी के कई विधायकों की नाराजगी खुलकर सामने आई थी. बताया जा रहा है कि पार्टी ने इस मुद्दे को सीरियस लिया था और सभी विधायकों को भोपाल बुलाया था. जहां भाजपा के नाराज विधायकों की पार्टी के संगठन के नेताओं के साथ बीजेपी ऑफिस में मुलाकात हुई थी. जिसमें विधायकों ने आल इज वेल होने की बात कही है. इन विधायकों में इस्तीफा लिखने वाले विधायक बृजबिहारी पटेरिया भी शामिल थे.

दरअसल, पिछले दिनों सागर जिले की देवरी विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक बृजबिहारी पटेरिया ने एक मामले को लेकर इस्तीफा ही लिखा दिया था. ऐसे में उन्हें बीजेपी संगठन ने भोपाल बुलाया था. बैठक के बाद ब्रजबिहारी पटेरिया ने कहा ‘जिन लोगों ने मुझे यहां तक पहुंचाया उनकी मांगों को लेकर मेरी नाराजगी थी, लेकिन अब नाराजगी खत्म हो गई है. वहीं सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी व्यक्त करने पर उन्होंने कहा कि जब आदमी क्षणिक आक्रोश और डिप्रेशन में आता है तब वह एग्रेसिव हो जाता है उस समय में दुखी था. इसलिए मैंने उस वक्त इस्तीफा लिख दिया था. लेकिन सभी विधायकों की बातें सुनी जा रही है और पार्टी एकजुट हैं. मामले से संबंधित डॉक्टर पर कार्रवाई के बाद में संतुष्ट हूं.’

वहीं मऊगंज विधानसभा सीट से विधायक प्रदीप पटेल ने भी नाराजगी में अपनी सुरक्षा लौटा दी थी, जबकि उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वह अधिकारियों के सामने दंडवत करते हुए दिख रहे थे. ऐसे में भोपाल में प्रदीप पटेल ने बैठक के बाद कहा ‘मुझे यहां चर्चा करने के लिए बुलाया गया है अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया है. लेकिन किसी तरह की कोई नाराजगी नहीं है, चर्चा करने आया हुआ हूं.’ बता दें कि प्रदीप पटेल ने अपने इलाके में नशे का मुद्दा उठाया था.

वहीं रहली से सबसे सीनियर विधायक गोपाल भार्गव, पाटन से अजय विश्नोई, त्योंथर से सिद्धार्थ तिवारी, विजयराघवगढ़ से संजय पाठक की नाराजगी का मुद्दा भी खुलकर सामने आया था. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इन विधायकों से भी संगठन चर्चा कर सकता है. बता दें कि इन विधायकों के मुद्दे पर कांग्रेस ने भी सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया था. दरअसल, मध्य प्रदेश में जल्द ही विजयपुर और बुधनी विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी चुनाव से पहले अपने ही खेमे में नाराजगी की मुद्दा नहीं उठाना चाहती. इसलिए पार्टी उपचुनाव से पहले ही डैमेज कंट्रोल में जुट गई है.