देश से लेकर प्रदेश तक भारतीय जनता पार्टी के नेता और कार्यकर्ता पार्टी में परिवारवाद की परंपरा के प्रचलन से इनकार करते हैं। चुनाव में टिकट वितरण को लेकर भी बीजेपी की गाइडलाइन तय है कि वह एक ही परिवार के सदस्यों को टिकट नहीं देती, लेकिन मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने पार्टी के मूल मंत्र को भुला दिया है। शनिवार को नामांकन के आखिरी दिन भाजपा में परिवारवाद की साफ तस्वीर देखने को मिली। विधायकों को टिकट देने से इनकार करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने पार्षद प्रत्याशियों के चयन में पार्टी गाइडलाइन को दरकिनार कर खुलेआम पति-पत्नियों और बेटों-बहुओं को टिकट थमा दिया, प्रदेश के 16 नगर निगम में तीन नगर निगम ऐसे हैं जहां पार्टी ने नेताओं की पत्नियों को महापौर प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतारा है।
कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाने वाली भाजपा चुनाव जीतने के लिए खुद परिवारवाद की राह पर है। नेताओं की पत्नियों के साथ ही नेता पुत्रों पर भी बीजेपी ने टिकट बांटने में मेहरबानी की है। खंडवा जिला पंचायत सदस्य के लिए वार्ड 14 से वन मंत्री विजय शाह के बेटे दिव्य शाह को भाजपा ने अधिकृत प्रत्याशी बनाया है। बेटे को टिकट देने पर मंत्री शाह का कहना है कि मेरा बेटा बीते 15 साल से राजनीति में सक्रिय है। हालांकि जिला पंचायत में पार्टी के कई नेता निर्दलीय चुनाव भी लड़ रहे हैं। खंडवा के अलावा बड़वानी में भी टिकट वितरण में परिवारवाद देखने को मिला। यहां सामाजिक न्याय मंत्री प्रेम सिंह पटेल के बेटे बलवंत सिंह पटेल को जिपं सदस्य के लिए वार्ड 2 से और बहन गीता चौहान को जिपं सदस्य के लिए वार्ड 4 से भाजपा ने अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया है।
प्रदेश के बड़े चार शहरों में भाजपा ने पत्नी, बहू, बेटों और रिश्तेदारों को दी टिकट
इंदौर: पार्षद के 30 से अधिक टिकट नेताओं की पत्नियों, बेटों और रिश्तेदारों को दिए गए हैं। रामबाबू राठौर, प्रीतम लूथरा, सुनील हार्डिया, राजेश | वानखेड़े, योगेंद्र चौहान और संजय वर्मा की पत्नी को टिकट दिया गया है। ये भाजपा में हैं। इसी तरह संदीप दुबे की पत्नी, गोपाल मालू की बहू, मनोज मिश्रा की पत्नी, विजय परमार की पत्नी, राधाकिशन जायसवाल की पत्नी, वीरेंद्र यादव की बेटी, संतोष चौखंडे की पत्नी, संजय चौधरी की पत्नी, महेश जोशी की पत्नी, नारायण जोशी की पत्नी, रामेश्वर चौहान की पत्नी, दिनेश सोनगरा की पत्नी, बबली तलरेजा की बहू समेत कई नाम हैं।
भोपाल: भाजपा जिलाध्यक्ष सुमित पचौरी के चचेरे भाई नीरज, वार्ड 37 से पूर्व पार्षद हेमराज कुशवाह की पत्नी वंदना, विकास मीणा की पत्नी करिश्मा, गुड्डू भदौरिया की पत्नी सुनीता भदौरिया, वीरेंद्र मीणा की पत्नी शोभना, संतोष ब्रह्मभट्ट की पत्नी प्रतीक्षा, राजू अनेजा की पत्नी आरती आदि को भाजपा ने टिकट दिया है। इसी तरह पिछली परिषद के 8 पार्षद के रिश्तेदारों को प्रत्याशी बनाया गया है।
जबलपुर: पूर्व मंत्री अचल सोनकर के बेटे विवेक सोनकर को वार्ड 52 से, पिछड़ा वर्ग मोर्चा के पदाधिकारी रहे श्रीराम पटेल की पत्नी पूजा को वार्ड 7, और पार्षद रहे संजय तिवारी की सीट महिला होने के चलते उनकी पत्नी प्रिया को वार्ड 6 से टिकट दिया है। जिला उपाध्यक्ष कैलाश साहू की पत्नी रजनी को वार्ड 22 और पूर्व जिला मंत्री रंजीत ठाकुर की पत्नी सोनिया को वार्ड 21 से टिकट मिला है।
ग्वालियर: जिले के कुल 66 में से 33 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। पार्टी ने महिला मोर्चा की पूर्व जिला अध्यक्ष खुशबू गुप्ता और वर्तमान अध्यक्ष नीलिमा शिंदे के अलावा दो अन्य नेत्रियों को ही प्रत्याशी बनाया है। शेष में पूर्व पार्षदों की पत्नियों को ही टिकट दिए गए हैं। देवास, शिवपुरी, मुरैना, छिंदवाड़ा और कई अन्य शहरों में भी यही स्थिति है।
सागर: अजा महामंत्री राजू अहिरवार की पत्नी अनीता को वार्ड 15 से, पार्षद संजय दुबे की पत्नी गीता को वार्ड 20 से, पांच बार पार्षद रहे नरेश यादव की पत्नी रेखा को बार्ड 25 से, मंडल पदाधिकारी पराग जैन की पत्नी रानी घोसी को वार्ड 29 से टिकट दिया गया है। ऐसे और भी मामले हैं।
कांग्रेस में परिवारवाद का बोलबाला, जीतने वाले प्रत्याशियों पर दांव
भाजपा से इतर कांग्रेस का टिकट वितरण में एक ही फार्मूला रहा वो है जीत। टिकट वितरण में कांग्रेस ने जीत के फॉर्मूले को ध्यान में रखते हुए ऐसे प्रत्याशियों को मौका दिया है जो बीजेपी के प्रत्याशियों को मैदान में पटकनी दे सकें और पार्टी में टिके रहें। पीसीसी चीफ कमलनाथ ने सर्वे और स्थानीय विधायकों की राय के आधार पर टिकट दिए हैं। महापौर प्रत्याशियों में भोपाल, ग्वालियर, खंडवा, मुरैना और सागर में परिवारवाद नजर आया। वहीं, महापौर प्रत्याशी चुनने में वंशवाद कि झलक देखने को मिली।
ग्वालियर से कांग्रेस प्रत्याशी शोभा सिकरवार के पति सतीश सिकरवार विधायक हैं। सागर में प्रत्याशी निधि जैन के पति सुनील जैन देवरी से पूर्व विधायक हैं। वहीं, सुनील के बड़े भाई शैलेंद्र जैन सागर से भाजपा विधायक हैं। मुरैना प्रत्याशी शारदा सोलंकी के पति राजेंद्र अनुसूचित जाति विभाग के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। राजेंद्र के बड़े भाई बाबूलाल सोलंकी पूर्व सांसद रह चुके हैं। खंडवा से आशा मिश्रा को टिकट दिया है। वे पूर्व पार्षद बल्ली मिश्रा की बहू हैं। बुरहानपुर प्रत्याशी शहनाज अंसारी के ससुर हमीद काजी एनसीपी से विधायक रहे। फिर कांग्रेस में आ गए।