ढाका पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश हिंसा की आग में सुलग रहा है. आरक्षण के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन अब प्रधानमंत्री शेख हसीना की कुर्सी के लिए खतरा बनता जा रहा है. इस बीच राजधानी ढाका सहित देशभर में सेना तैनात कर दी गई है. सड़कों से पुलिस को हटा दिया गया है. सत्तारूढ़ अवामी लीग और मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी के शीर्ष नेतृत्व के बीच सेना हेडक्वार्टर में बड़ी बैठक हो रही है.

बांग्लादेश में लगातार खराब हो रहे हालातों के बीच सेना चीफ जनरल वकार-उज-जमान देश को संबोधित कर सकते हैं. देशव्यापी कर्फ्यू को दरकिनार कर हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी लॉन्ग मार्च के लिए ढाका के शाहबाग चौराहे पर इकट्ठा हुए. इससे पहले रविवार को हुई हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई. इनमें 19 पुलिसकर्मी शामिल हैं.

बांग्लादेश के हालात ठीक वैसे ही बनते जा रहे हैं, जैसे कुछ समय पहले पाकिस्तान के थे. पाकिस्तान की तरह ही अंदरूनी कलह से जूझ रहे बांग्लादेश में लॉन्ग मार्च का आह्वान किया. छात्र नेताओं ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर सविनय अवज्ञा आंदोलन की घोषणा की है.

बांग्लादेश में कर्फ्यू लागू, 3500 से ज्यादा कपड़ा फैक्ट्रियां बंद

सरकार ने हिंसा पर काबू पाने के लिए देशभर में कर्फ्यू लगा दिया है। 3 दिनों की छुट्टियां कर दी गई हैं।ट्रेनें अगले आदेश तक रोक दी गई हैं। 3500 से ज्यादा कपड़ा फैक्ट्रियों में भी ताला लग गया है।

कोर्ट भी बंद कर दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि बंदी के दौरान बहुत जरूरी मामलों में ही सुनवाई की जाएगी। इसके लिए चीफ जस्टिस इमरजेंसी बेंच का गठन करेंगे।

सोमवार सुबह 11 बजे देश में इंटरनेट पूरी तरह बंद कर दिया गया था, लेकिन 3 घंटे बाद इसे फिर से चालू कर दिया गया।

बांग्लादेशी अखबार प्रोथोम अलो की मुताबिक मार्च टु ढाका में करीब 4 लाख लोग शामिल हैं। कई जगहों पर पुलिस के साथ उनकी झड़पें हुई हैं। इसमें 6 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। प्रदर्शनकारियों ने तंगेल और ढाका में अहम हाइवे पर कब्जा कर लिया है।

इससे पहले रविवार को 98 लोगों की मौत हुई थी। न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक बीते तीन हफ्तों में यहां हिंसा में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

छात्रों का ढाका तक लॉन्ग मार्च क्यों?

बांग्लादेश में छात्र प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग करते हुए देशव्यापी कर्फ्यू को धता बताते हुए सोमवार को राजधानी ढाका तक लॉन्ग मार्च के लिए जुटे हैं. एंटी डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट मूवमेंट ने सोमवार को एक दिन के लॉन्ग मार्च का आह्वान किया था. इस लॉन्ग मार्च के मद्देनजर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी और बख्तरबंद गाड़ियों को सड़कों पर गश्ती करते देखा जा सकता है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस प्रोटेस्ट के समन्वयक आसिफ महमूद ने कहा कि इस सरकार ने कई छात्रों का कत्ल किया है. अब समय आ गया है कि सरकार को अपने कर्मों का हिसाब देना होगा. सोमवार को हर छात्र ढाका का रुक कर रहा है.

एक अन्य छात्र एम. जुबैर ने कहा कि हमें कोई भी मार्च करने से नहीं रोक सकता. अगर हमारा उनसे सामना होगा, तो बांग्लादेश को आजाद कराएंगे. मैं सेना के अपने भाइयों से कहना चाहता हूं कि तानाशाहों का साथ नहीं दें. या तो आप लोगों का साथ दें या फिर निष्पक्ष रहें.

इसके साथ ही सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम भी दिया गया है कि सरकार इस तय अवधि के भीतर बंद की गई सभी यूनिवर्सिटीज को दोबारा खोल दे.

क्या स्टूडेंट प्रोटेस्ट हुआ हाईजैक?

बांग्लादेश के इस प्रोटेस्ट में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है. आरक्षण के विरोध में शुरू हुआ ये प्रदर्शन अब पूरी तरह से हिंसा में तब्दील हो चुका है. रविवार को हुई हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हुई है. सड़कों पर उत्पात मचा रहे प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस ने बल का प्रयोग किया. इंटरनेट पर बैन लगा दिया गया. अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू किया गया है.

लेकिन इस बीच शेख हसीना सरकार के नेताओं ने दावा किया है कि स्टूडेंट्स के इस प्रोटेस्ट को कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी संगठन और पूर्व प्रधानमंत्री खालिद जिया की पार्टी बीएनपी की स्टूडेंट इकाई बांग्लादेश इस्लामी छात्र शिबिर ने किया है.

दरअसल शेख हसीना सरकार ने हाल ही में जमात-ए-इस्लामी, इसकी छात्र शाखा और इससे जुड़े अन्य संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था. यह कदम बांग्लादेश में कई सप्ताह तक चले हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद उठाया गया था. कहा जा रहा है कि सरकार की इस कार्रवाई के बाद ये संगठन शेख हसीना सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं. ऐसे में शेख हसीना सरकार को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

शेख हसीना के खिलाफ सड़कों पर उतरे हुजूम को रोकने के लिए सरकार ने देशभर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया है. इस कर्फ्यू की वजह से अवामी लीग का सोमवार को तय शोक जुलूस रद्द कर दिया गया है. भारत ने बांग्लादेश में जारी हिंसा के कारण अपने सभी नागरिकों को अगली सूचना तक पड़ोसी देश की यात्रा नहीं करने की सलाह दी है.

एक ही थाने के 13 पुलिसकर्मियों को मारा गया

सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली को खत्म करने की मांग को लेकर लंबे समय से चल रहा छात्रों का प्रदर्शन रविवार को उग्र हो गया था. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अब उनकी एक ही मांग है पीएम शेख हसीना का इस्तीफा. बांग्लादेश के प्रमुख अखबार प्रोथोम अलो ने बताया कि देशभर में झड़पों, गोलीबारी और जवाबी कार्रवाई में कम से कम 100 लोग मारे गए हैं. पुलिस मुख्यालय के मुताबिक देशभर में 14 पुलिसकर्मी मारे गए हैं. इनमें से 13 एक ही थाने सिराजगंज के इनायतपुर में मारे गए हैं. वहीं, करीब 300 पुलिसकर्मी घायल बताए जा रहे हैं.

जानें क्यों भड़की है हिंसा

बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे को लेकर कई बार हिंसा भड़की थी. प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि 1971 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों के लिए 30 प्रतिशत सरकारी नौकरियों को आरक्षित करने वाली कोटा प्रणाली को समाप्त किया जाए. पहले जब हिंसा भड़की थी तब कोर्ट ने कोटे की सीमा को घटा दिया था. लेकिन हिंसा नहीं थमी और अब प्रदर्शनकारी शेख हसीना का इस्तीफा मांग रहे हैं. अब तक 11,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

अधिकारियों ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस स्टेशनों, सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यालयों और उनके नेताओं के आवासों पर हमला किया और कई वाहनों को जला दिया. सरकार ने मेटा प्लेटफॉर्म फेसबुक, मैसेंजर, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम को बंद करने का आदेश दिया.

इससे पहले जुलाई में भी स्टूडेंट प्रोटेस्ट के दौरान हिंसा हुई थी. उस समय ढाका के मुंशीगंज जिले के एक पुलिसकर्मी ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि पूरा शहर युद्ध के मैदान में बदल गया है.

शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों को लेकर क्या कहा?

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रदर्शनकारी छात्रों को आतंकवादी करार दिया है. उन्होंने चार जुलाई को नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की बैठक में प्रदर्शनकारियों से सख्ती से निपटने के आदेश दिए थे. इस बैठक के बाद प्रधानमंत्री के प्रेस विंग की तरफ से बयान जारी कर सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान आतंकी हमले की आशंका जाहिर की गई थी.

इन प्रोटेस्ट पर शेख हसीना सरकार ने बयान जारी कर कहा कि देश में अलग-अलग जगह आतंकी हमले हो रहे हैं. हमलावरों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे. इसके मद्देनजर देशभर में सोमवार से तीन दिन के सार्वजनिक अवकाश का ऐलान किया गया.