जबलपुर , मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य के पूर्व वित्त मंत्री राघवजी को बड़ी राहत दी है. अदालत ने राघवजी के खिलाफ 2013 में दर्ज हुई एफआईआर को रद्द कर दिया है. घरेलू नौकर ने राघवजी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. बता दें कि साल 2013 में मध्य प्रदेश के तत्कालीन वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता राघवजी भाई की एक सेक्स सीडी ने देश के सियासी गलियारों में तहलका मचा दिया था. इस सीडी को पार्टी के शिवशंकर उर्फ मुन्ना पटेरिया ने ही मीडिया के सामने जारी किया था. इसके बाद बीजेपी ने राघवजी समेत इस कांड का खुलासा करने वाले पटेरिया को पार्टी की प्राथमिकता सदस्यता से निष्काषित कर दिया था.
दरअसल, 7 जुलाई 2013 को घरेलू नौकर ने ही राघवजी के खिलाफ अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न, जान से मारने की धमकी समेत दूसरे मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी. शिकायतकर्ता ने सबूत के तौर पर एक सीडी का भी हवाला दिया था. केस दर्ज होने के बाद उस समय शिवराज सरकार में वित्त विभाग संभालने वाले राघवजी को इस्तीफा देना पड़ा था.
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राघवजी का घर छोड़ने के बाद शिकायतकर्ता ने लिखित शिकायत दी थी. आरोप लगाया कि राघवजी ने उसे नौकरी पर रखने के बदले अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया और यह साल 2010 से मई 2013 तक शिकायतकर्ता के घर छोड़ने तक जारी रहा.
आदेश में जस्टिस संजय द्विवेदी ने कहा, आईपीसी की धारा 377 के तहत कोई अपराध नहीं बनता है, क्योंकि यह सहमति का मामला है. मतलब यह शिकायत दुर्भावना से बदला लेने के उद्देश्य से की गई थी. इसलिए हबीबगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई प्राथमिकी रद्द की जाती है.
शिकायत के पीछे गलत इरादा
जस्टिस ने फैसला सुनाते हुए आगे कहा कि लगभग तीन साल तक शिकायतकर्ता चुप रहा और आश्चर्यजनक रूप से याचिकाकर्ता के घर छोड़ने के बाद ही उसने शिकायत दर्ज कराई. इससे लगता है कि लगता है कि शिकायत प्रतिद्वंद्वी दलों के नेताओं के साथ हाथ मिलाने के बाद की गई थी.
पिता के बयान को भी बनाया आधार
अदालत ने शिकायतकर्ता के पिता के बयान को भी आधार बनाया. दरअसल, पुलिस चार्जशीट में पिता ने कहा था, उनके बेटे की मानसिक स्थिति स्थिर नहीं है. वह आदतन नशा भी करता है और उसे उच्च पदस्थ व्यक्तियों पर झूठे आरोप लगाने की आदत है.