मुंबई: 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले से संबंधित सुनवाई में बार-बार अनुपस्थित रहने के लिए भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने के एक महीने से भी कम समय के बाद, मुंबई की एक विशेष अदालत ने उनको एक बार फिर फटकार लगाई है. ठाकुर, जो इस मामले की मुख्य आरोपी हैं, बुधवार को भी सुनवाई में शामिल नहीं हुईं और विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत ने पाया कि उनकी लगातार अनुपस्थिति से मुकदमे में परेशानी आ रही है.
भोपाल की सांसद (Bhopal MP) ने सुनवाई में शामिल नहीं होने के लिए बार-बार स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है और अदालत ने अब एनआईए को सोमवार, 8 अप्रैल तक उनकी स्वास्थ्य स्थिति पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. भाजपा नेता, जिन्हें स्वास्थ्य आधार पर मामले में जमानत दी गई थी, को अक्सर क्रिकेट और बास्केटबॉल खेलते देखा गया है. पहले भी अस्पताल में भर्ती होने के बाद उन्होंने अदालत जाना छोड़ दिया था, लेकिन उसी दिन एक सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल हुई थीं.
29 सितंबर, 2008 को, महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल में बंधे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट हो गया था, जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे. ठाकुर इस मामले में आरोपी नंबर 1 हैं और उनके अवाला छह अन्य पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है. 11 मार्च को प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ जमानती वारंट जारी करते हुए, अदालत ने कहा था, “यह विशेष रूप से निर्देशित किया गया था कि आरोपी नंबर 1 (ठाकुर) उनके अंतिम आवेदन पर विचार करते समय मेडिकल प्रमाणपत्रों के साथ 11 मार्च को उपस्थित रहें. उपरोक्त निर्देशों के बावजूद न तो वह मौजूद हैं और न ही मूल मेडिकल प्रमाणपत्र रिकॉर्ड पर पेश किया गया है.”