भोपाल। प्रदेश की राजधानी भोपाल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया में कल दो घंटे बिजली गुल रही। इमरजेंसी बैंकअप भी फेल रहा। डीजल नहीं होंने के कारण जनरेटर भी नहीं चला। इन कुइंतजामों के चलते कोविड वार्ड में हाईफ्लो सपोर्ट पर चल रहे मरीजों की हालत बिगड़ी और वेंटीलेटर पर चल रहे पूर्व पार्षद अकबर खान, मोहम्मद फहीम और बाबूलाल को अपनी जान गवाना पड़ा। इस मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन और प्रशासन जागा।
हमीदिया अस्पताल में जाने से शहर के मरीजों को डर लगता है। इस डर की बड़ी वजह यहां की भर्राशाही और अव्यवस्थाएं बड़ी वजह हैं। शक्रवार देर शाम हमीदिया अस्पताल में बिजली गुल हो गई। लाइट जाने के बाद बैकअप के लिए जनरेटर चालू किया गया लेकिन बैकअप सिस्टम पांच-सात मिनट में ही जवाब दे गया। जबकि जनरेटर में कम से कम 200 लीटर डीजल रहना चाहिए लेकिन, शुक्रवार को 20 लीटर भी नहीं था। जानकारी के मुताबिक अस्पताल प्रबंधन लगभग सात लाख रुपए सालाना पीडब्ल्यूडी को जनरेटर मेंटेनेंस के लिए देता है। पीडब्ल्यूडी ने जनरेटर मेंटेनेंस की व्यवस्था आउटसोर्स कर रखी है। अस्पताल प्रबंधन और पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने बीते कई महीनों से पावर बैकअप का फिजिकल वेरिफिकेशन ही नहीं किया। नतीजतन वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखे गए कोरोना मरीजों की हालत बिगड़ी और एक-एक कर तीन मरीजों ने दम तोड़ दिया।