सिवनी। शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश पेट्रोल पंपों पर डीजल उपलब्ध नहीं है। चयनित पेट्रोल पंपों पर डीजल प्राप्त करने के लिए किसान व जरूरतमंद उपभोक्ताओं को संघर्ष करना पड़ रहा है। यहां भी हर उपभोक्ता को एक बार में अधिकतम 500 रुपये डीजल दिया जा रहा है। ऐसे में किसान, आटो, ट्रैक्टर, पिकअप व चौपहिया वाहन चालक परेशान हैं। किसानों ने खेती से जुड़े कार्यों को देखते हुए डीजल का स्टॉक करना भी शुरू कर दिया है। वे डीजल लेने के लिए बड़े डिब्बे लेकर पेट्रोल पंप पहुंच रहे हैं। लेकिन पर्याप्त डीजल नहीं मिलने से किसानों और उपभोक्ताओं को एक पेट्रोल पंप से दूसरे पेट्रोल पंप पर दौड़ना पड़ रहा है। मुख्यालय के 2-3 पेट्रोल पंपों को छोड़कर अन्य पंपों में डीजल खत्म हो गया है। पंप संचालक समेत वाहन चालकों को हो रही परेशानी से गुजरना पड़ता है। वहीं पेट्रोल पंप पर जहां डीजल मिलता है वहां वाहनों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। कुछ ऐसा ही नजारा 16 जून को सर्किट हाउस पेट्रोल पंप और नागपुर रोड पेट्रोल पंप पर दिखा।
पिछले चार दिनों से नहीं आया डीजल
शहर के मालू पेट्रोल पंप, अब्बास पेट्रोल पंप और सोहाने पेट्रोल पंप समेत अन्य पेट्रोल पंपों पर डीजल नहीं है। इन पेट्रोल पंपों के कर्मचारियों ने बताया है कि पिछले एक सप्ताह से डीजल की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो रही है। कर्मचारियों ने कहा कि पिछले चार दिनों से डीजल नहीं आया है। बड़ी संख्या में चालक डीजल के लिए पंप पर आ रहे हैं, लेकिन डीजल उपलब्ध नहीं होने के कारण उन्हें वापस भेजा जा रहा है। पेट्रोल पंप पर तैनात कर्मचारियों ने बताया कि एक-दो दिन में डीजल का टैंकर आने वाला है।
आटो चालकों की बढ़ी परेशानी
पेट्रोल पंपों पर डीजल नहीं होने से शहर में के आटो चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आटो चालकों ने बताया कि डीजल के लिए वे सिटी बस स्टैंड समेत आसपास के पेट्रोल पंपों का चक्कर डीजल के लिए लगा रहे हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि यहां डीजल खत्म हो रहा है। बारापाथर क्षेत्र में अस्पताल के सामने स्थित पेट्रोल पंप पर ही डीजल मिलता है। डीजल लेने के लिए यहां लाइन लगानी पड़ती है।
पेट्रोल पंपों पर डीजल नहीं होने से किसानों की परेशानी भी बढ़ गई है। किसानों ने बताया कि फिलहाल बुवाई के लिए खेत तैयार किया जा रहा है। इसमें ट्रैक्टर व अन्य वाहनों का प्रयोग हो रहा है, लेकिन डीजल नहीं होने के कारण वाहन नहीं चल पा रहे हैं। ऐसे में यदि समय पर खेत तैयार नहीं किया गया तो बुवाई का कार्य पिछड़ सकता है। वर्तमान में त्रिस्तरीय पंचायती राज चुनाव के साथ ही नगरीय निकाय चुनाव होने जा रहे हैं। इन चुनावों में चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी भी डीजल की किल्लत से परेशान हैं। उनका कहना है कि डीजल की किल्लत से उनके अभियान के वाहन नहीं चल रहे हैं। गांव में कोई प्रचार नहीं हो पा रहा है। इसका चुनाव पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।