नई दिल्ली।  अशोक गहलोत ने दिल्ली से आए सोनिया गांधी के दूतों की बुलाई बैठक में न पहुंचकर विधायकों की अलग मीटिंग कर शायद हदें पार कर दी हैं। एक तरफ सोनिया गांधी पर्यवेक्षकों की लिखित रिपोर्ट का इंतजार कर रही हैं, जिसके बाद ऐक्शन लिया जा सकता है। वहीं सचिन पायलट को इस पूरे घटनाक्रम में अपने लिए मौका दिख रहा है। सचिन पायलट ने अब अपने समर्थकों के अलावा दूसरे विधायकों से भी एक बार फिर से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। उन्हें लगता है कि अशोक गहलोत के खिलाफ कोई ऐक्शन होता है तो उन्हें मौका मिल सकता है।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट अपने समर्थकों के अलावा भी दूसरे विधायकों से बात कर रहे हैं। यही नहीं वह अपने समर्थकों से कह रहे हैं कि फिलहाल शांति बनाए रखें और हाईकमान के फैसले का इंतजार करें। यही नहीं सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट ने हाईकमान से भी कह दिया है कि यदि अशोक गहलोत अध्यक्ष पद के लिए उतरते हैं तो फिर उन्हें सीएम नहीं रहना चाहिए। यही नहीं पायलट ने विधायकों को एक साथ रखने की जिम्मेदारी भी गहलोत पर डाल दी है। पायलट का कहना है कि यह गहलोत का काम है कि वह विधायकों को साथ लेकर आएं।

इस बीच सचिन पायलट को सीएम बनाने की मांग करने वाले विधायकों ने फिर से एकजुटता दिखाना शुरू कर दिया है। पायलट समर्थक विधायक उनके घर पर जुटने लगे हैं। पायलट के घर पहुंचे विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने कहा कि 2023 के चुनाव के लिहाज से हाईकमान संगठन और सरकार में बदलाव कर रहा है। हाईकमान को ही तय करना है कि राजस्थान में सीएम फेस कौन होगा। बता दें कि अशोक गहलोत के बागी तेवरों के चलते सोनिया गांधी खफा हैं और उन्होंने पर्यवेक्षकों से राजस्थान में हुए घटनाक्रम को लेकर लिखित रिपोर्ट मांगी है।