भोपाल. लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के साथ ही पूरे देश की तरह मध्यप्रदेश में भी भीषण गर्मी की चुनौती के बीच तीसरे चरण के मतदान ने दस्तक दे दी है। हाल में संपन्न दो चरणों में पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में लगातार घटता मतदान भी चुनावी रण में उतरे दिग्गजों के साथ राजनीतिक दलों के लिए चुनौती बन सकता है।
मध्यप्रदेश में तीसरे चरण में नौ लोकसभा सीटों मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, राजगढ़, विदिशा, सागर, भोपाल और बैतूल में सात मई को मतदान होना है। इनमें से तीन सीटें विदिशा, गुना और राजगढ़ राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं का सबब बनी हुई हैं। विदिशा से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ध्वज तले चुनाव मैदान में हैं, तो गुना सीट से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजगढ़ संसदीय क्षेत्र राज्य के एक और पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह के भाग्य का फैसला भी तीसरे चरण के मतदान में हो जाएगा।
सिंह राजगढ़ से तीन दशक पहले भी सांसद रह चुके हैं और वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं। वे पिछला लोकसभा चुनाव भोपाल संसदीय क्षेत्र से लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। मौजूदा हालातों में पार्टी ने उन्हें भोपाल से सटी राजगढ़ से चुनावी मैदान में फिर उतार दिया। राजगढ़ में उनका मुख्य मुकाबला भाजपा के वर्तमान सांसद रोडमल नागर से है। इन दोनों समेत यहां से इस बार 15 उम्मीदवार मैदान में हैं।
विदिशा संसदीय क्षेत्र की राज्य ही नहीं देश के सबसे हाईप्रोफाइल क्षेत्रों में गणना होती है। यहां से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी चुनाव जीत चुके हैं। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी यहां से सांसद रह चुकी हैं। भाजपा ने अपने इस गढ़ से इस बार एक बार फिर चौहान पर भरोसा जताया है, जो यहां से पहले भी सांसद रह चुके हैं। उनका सामना कांग्रेस के सांसद रहे प्रतापभानु शर्मा से है। विदिशा से कुल 13 उम्मीदवार मैदान में हैं।
विदिशा संसदीय क्षेत्र को भाजपा का गढ़ इसलिए भी माना जाता है, क्योंकि इस संसदीय क्षेत्र पर पार्टी के प्रत्याशी बेहद बड़े अंतर से अपने प्रतिद्वंद्वियों को परास्त करते रहे हैं। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने सामने चुनावी मैदान में उतरे कांग्रेस के दिग्गज नेता लक्ष्मण सिंह को लगभग चार लाख से अधिक मतों से पराजित किया। इसके बाद पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने यहां रमाकांत भार्गव को उतारा, जिन्होंने कांग्रेस के शैलेंद्र पटेल को लगभग पांच लाख से अधिक मतों से हराया। पिछले चुनाव में भार्गव देश भर में उन सांसदों में शामिल थे, जो सबसे ज्यादा मताें से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे।
गुना संसदीय क्षेत्र पर इस बार दोनों ही दलों ने ‘दलबदलुओं’ पर भरोसा जताया है। भाजपा ने इस बार यहां से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को उतारा है। उनका सामना कांग्रेस के राव यादवेंद्र सिंह यादव से होगा। सिंधिया पिछली बार इस सीट से कांग्रेस के ध्वज तले चुनावी मैदान में उतरे थे, उनका सामना भाजपा के के पी यादव से हुआ था, लेकिन सिंधिया यादव के हाथों पराजित हो गए थे। मार्च 2020 में सिंधिया कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए और पार्टी ने उन्हें केंद्रीय मंत्री बना दिया। इसके बाद पार्टी ने उन्हें अब यहां से लोकसभा की उम्मीदवारी दे दी। वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी यादवेंद्र सिंह यादव भी भाजपा के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं, जो विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस में चले गए और अब कांग्रेस ने उन्हें यहां से लोकसभा का प्रत्याशी बना दिया। गुना संसदीय क्षेत्र से कुल 15 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं।
आने वाले चरण में इन सभी क्षेत्रों में भीषण गर्मी इन सभी प्रत्याशियों के लिए बड़ी चुनौती बन कर उभर सकती है। राज्य के इन सभी संसदीय क्षेत्रों में इन दिनों तापमान 35 से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है, जो अभी लगभग इतना ही बना रहने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि इन परिस्थितियों में भी सभी आला नेता लगातार चुनाव प्रचार पर हैं और अपने संसदीय क्षेत्रों की सभी विधानसभाओं तक पहुंचने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे। लेकिन मतदाताओं को घर से निकालकर मतदान केंद्र तक पहुंचाना भी एक बड़ी चुनौती है।
वहीं पिछले दो चरण में राज्य में मतदान का प्रतिशत लगातार गिरने से भी मतदान से जुड़ी एजेंसियों के साथ ही प्रत्याशियों के माथे पर चिंता के बल पड़ रहे हैं। राज्य में पहले चरण के लोकसभा चुनाव में छह संसदीय क्षेत्रों में 19 अप्रैल को 67.75 प्रतिशत मतदान हुआ था। जबकि इन्हीं क्षेत्रों में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में औसतन 75.07 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। पहले चरण के मतदान में लगभग सात प्रतिशत गिरावट के बाद निर्वाचन आयोग ने दूसरे चरण में मतदान बढ़ाने के लिए काफी प्रयास किए। इसी तरह के प्रयास सत्तारूढ़ दल भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं ने भी किए।
इसके बावजूद राज्य में दूसरे चरण में शुक्रवार को छह संसदीय क्षेत्राें के एक करोड़ 11 लाख 62 हजार से अधिक मतदाताओं में से औसतन 58.35 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले। होशंगाबाद में 66.72 प्रतिशत मतदान हुआ है। इसके अलावा दमोह में 56.4, खजुराहो में 56.91, रीवा में 49.49, सतना में 61.33 और टीकमगढ़ में 59.31 फीसदी मतदान हुआ है। वर्ष 2019 की तुलना में यह मतदान औसतन आठ प्रतिशत कम है।
राजनैतिक प्रेक्षकों का मानना है कि दो चरणों में मतदान का प्रतिशत अपेक्षाकृत कम रहने से सत्तारूढ़ दल भाजपा के रणनीतिकारों की चिंताएं बढ़ना स्वाभाविक है। उनके संगठन ने मतदान बढ़ाने के लिए भरसक प्रयास किए। पहले चरण में मतदान कम होने के बाद दूसरे चरण में मतदाताओं को घर से निकालकर मतदान केंद्र तक पहुंचाने के लिए संगठन में उच्च स्तर पर भी प्रयास हुए। इसके बावजूद अपेक्षाकृत कम मतदान सबके लिए चिंता का सबब होना स्वाभाविक है। प्रेक्षक यह भी स्वीकारते हैं कि भीषण गर्मी भी मतदान की मौजूदा स्थिति का एक कारण हो सकता है, लेेकिन वास्तव में मतदाताओं के मन में क्या है, इसका खुलासा चार जून का नतीजों के बाद ही पता चल सकेगा। अभी सिर्फ कयासबाजी कर सकते हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस के नेता कम मतदान को सत्तारूढ़ दल भाजपा के खिलाफ मतदाताओं की कथित बेरुखी के रूप में प्रदर्शित करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। राज्य में तीसरे चरण में 07 मई को नौ सीटों पर मतदान के बाद अंतिम और चौथे चरण में 13 मई को आठ संसदीय क्षेत्रों में मतदान होगा।