भोपाल। एक लाख रुपए रिश्वत लेते पकड़े गए एम्स के डिप्टी डायरेक्टर धीरेंद्र प्रताप सिंह को निलंबित कर दिया गया है। लेकिन मामला अभी शांत नहीं हुआ है, क्योंकि अब फैमिली मेंबर व करीबी लोग भी जांच की रडार पर आ गए हैं। आधिकारिक सूत्रों कि मानें तो अब एम्स में अब तक की गई मेडिसिन की खरीदी सहित अन्य पर की गई व्यय राशि भी सवालों के घेरे में आ गई है ऐसे में अब इनकी भी जांच की अटकलें तेज हो गर्इं हैं। जिसमें कई वर्षों से दफन स्वच्छता घोटाले के राज के भी खुलने की संभावना है।  दरअसल,यह मामला प्रधानमंत्री जन औषधि के भुगतान से जुड़ा है जिसमें डिप्टी डायरेक्टर ने संचालक ने 40 लाख के भुगतान के एवज में 5 फीसदी कमीशन मांगा था। सीबीआई के पूछताछ व जब्त किए गए रिकॉर्डों से पता चला कि है कि उनके पास राजधानी में दो मकान,दो फ्लैट एवं एक प्लॉट होने की पुष्टि की है।

ये पहले से ही सुर्खियों में
एम्स प्रबंधन द्वारा गठित तीन सदस्यीय कमेटी के द्वारा पिछले पांच सालों की गई खर्च की राशि का आॅडिट किया जाना था।  इसमें आॅडिट उन्हीं बिलों का किया जाना था जो एम्स अधीक्षक मनीषा श्रीवास्तव के हस्ताक्षर से जारी हुए थे। जांच टीम में प्रो. संतोष वाकोडे चेयरपर्सन, डॉ.भावना ढ़ीगरा,मेंबर एसएन जोगी शामिल थे।  जांच रिपोर्ट एक माह बाद भी सार्वजनिक नहीं की गई। जबकि ये जांच 15 दिन में ही की जानी थी।

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