नई दिल्ली । नखरेबाज आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की बर्खास्तगी के साथ ही केंद्र सरकार ने विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करने के नियमों को सख्त बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। केंद्र सरकार ने बुधवार को विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम (RPwD अधिनियम) 2016 के नियमों में संशोधन का मसौदा प्रकाशित किया। इसके तहत अब इसकी प्रक्रिया लंबी कर दी गई है। सरकारी सूत्रों के हवाले से अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ ने बताया है कि संशोधनों का मसौदा तैयार करते समय इस विवाद पर विचार किया गया था।
संशोधित नियमों के तहत विकलांग लोगों को अनिवार्य रूप से अपनी पहचान का प्रमाण, छह महीने से अधिक पुराना फोटो और आधार कार्ड जमा करना होगा। विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन प्राप्त करने और प्रक्रिया शुरू करने के लिए केवल चिकित्सा अधिकारियों को ही सक्षम माना जाएगा। इसमें यह भी सुझाव दिया गया है कि इसमें लगने वाले समय को एक से तीन महीने तक बढ़ाया जाना चाहिए।
असली आवेदकों को नुकसान होगा
विकलांगता क्षेत्र के विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं ने कहा कि ये प्रस्तावित संशोधन फर्जी विकलांगता प्रमाण-पत्रों की समस्या से निपटने में बहुत कारगर नहीं होंगे। उनका तर्क है कि भ्रष्टाचार के कारण ऐसा होता है। उन्होंने कहा कि संभावित नए नियम वास्तविक आवेदकों के लिए सिस्टम से गुजरना मुश्किल बना देंगे।
पहले से अधिक दस्तावेज़
पिछले साल सरकार ने सबसे पहले सभी दिव्यांगों के लिए लाभ प्राप्त करने के लिए UDID कार्ड रखना अनिवार्य कर दिया था। UDID कार्ड के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया था।
सरकार ने विकलांग लोगों के लिए रंग-कोडित यूडीआईडी कार्ड का भी प्रस्ताव दिया है। मसौदा संशोधनों में 40% से कम विकलांगता वाले लोगों के लिए सफेद कार्ड, 40% से 80% के बीच विकलांगता वाले लोगों के लिए पीले कार्ड और 80% से अधिक विकलांगता वाले लोगों के लिए नीले कार्ड का सुझाव दिया गया है।
यदि संबंधित चिकित्सा प्राधिकरण दो साल से अधिक समय तक आवेदन पर निर्णय लेने में असमर्थ है तो आवेदन को समाप्त किया जा सकता है। इसे फिर से सक्रिय करने के लिए प्राधिकरण से संपर्क करना होगा।