जबलपुर। मध्यप्रदेश के जबलपुर में दयोदय तीर्थ तिलवारा में शनिवार को दीक्षा लेने के इछुक साधकों की श्रंखला बढ़ती जा रही थी इसलिए समय भी बढ़ता गया। 28 साधकों ने आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज से छुल्लक दीक्षा ली। आचार्यश्री ने कहा कि हर व्यक्ति सोचता है कि मुझे अच्छा करना है लेकिन दूसरों के साथ प्रतियोगिता करने में ही समय व्यय कर देते हैं और वेदना सहते हैं। हमने जो कर्म किए हैं उन्हें साफ करते रहना चाहिए। प्रकृति का शरीर प्रकृति में ही मिल जाए यही कामना करना चाहिए। सब कुछ साफ करने के लिए जीवन पर्याप्त है कर्मों की निर्जरा करनी चाहिए। इस समय दीक्षा लेने वालों की उम्र 54 वर्ष से 87 वर्ष के बीच है, जब यह दीक्षा के लिए निवेदन करने आए तो किसी की भी कमर झुकी नहीं थी और कोई गंभीर रूप से किसी रोग से पीड़ित भी नहीं था। यह सब इनके संयमित जीवन शैली के कारण है।

आचार्यों के कर्तव्यों का पालन करें- गृहस्थ आश्रम में रहकर इन्होंने संयम का पालन किया धर्म मार्ग पर चलें भोजन, व्यवहार मानसिक शांति और निश्चिंतता, खुश रहने से यह सभी स्वस्थ हैं और दीक्षा के पात्र हैं। आचार्यों ने हमें जो कर्तव्य बताए हैं हम उन कर्तव्यों का पालन करते हैं यही विधान है। 80 वर्ष तक के लोगों ने कहा गुरुजी मेरे बारे में सोचो तो गुरु आशीर्वाद से यह सब संपन्न हुआ। यह बहुत सरल कार्य है। इसमें दृढ़ निश्चय आवश्यक है। आप पालन करते हैं तो आगे के रास्ते मिल सकते हैं। हर वर्ग और हर योग्यता के साधक दीक्षा ग्रहण कर रहे हैं। मैंने सोचा दयोदय में आराम से शांति से रहेंगे। छोटा मुनिसंघ होगा लेकिन दयोदय में 28 नक्षत्र मिल गए। दीक्षा में दिए गए नियमों का पालन करते हुए श्रावक के कार्य पीछे रह जाते हैं। दीक्षाधर्म पालन से आगे का मार्ग प्रशस्त होता है। अब मुस्कान के साथ मृत्युंजय बनना है यही साधना है। श्रावक का मुनि के बाद सल्लेखना की ओर अग्रसर होना मोक्ष मार्ग है।

छुल्लक धर्म का करेंगे पालन- कार्यक्रम में आचार्यश्री ने मंत्रोच्चार के साथ 28 दीक्षार्थियों को छुल्लक दीक्षा प्रदान की। अब से यह दीक्षित छुल्लक महाराज अपने परिवार के साथ ना रहकर एक निर्दिष्ट स्थान पर रहेंगे और छुल्लक धर्म का पालन करेंगे। कार्यक्रम के प्रारंभ में ब्रह्मचारी विनय भैया ने दीक्षार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि दयोदय वह स्थल है जहां गुरु जी आते हैं तो दीक्षाएं होती है। दीक्षा का मतलब होता है इच्छाओं का दमन करना।

विनय भैया ने बताया कि 54 वर्ष से 84 वर्ष के लोगों की 50 से ज्यादा निवेदन आए थे छुल्लक दीक्षा के लिए। उनमें से पिछले कई वर्षों से गृहस्थ जीवन में कठिन साधनारत 28 धर्म साधकों को आज दीक्षा दी गई। कार्यक्रम का शुभारंभ विधायक विनय सक्सेना एवं पूर्व राज्य मंत्री शरद जैन ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। संचालन अमित जैन ने किया। कार्यक्रम का आयोजन दिगंबर जैन संरक्षण सभा पूर्णायु आयुर्वेद चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र दयोदय तीर्थ गोशाला समिति द्वारा किया गया।

दीक्षा लेने वाले अब इन नामों से जाने जाएंगे- छुल्लक ब्र. मल्लकुमार छु. तत्व सागर, ब्र. अजय मुन्ना छु. तत्वार्थ सागर, ब्र. विजय छु. तात्पर्य सागर, ब्र.संतोष छु. वर्धन सागर, ब्र. विमल सेठी छु. वरदत्त सागर, ब्र. कोमलचंद छु. वरदान सागर, ब्र. मुलायमचंद छु. अनुग्रह सागर, ब्र. शीतलचंद छु. उपमान सागर, ब्र. महेंद्र छु. उपकार सागर, ब्र. कमल किशोर छु. सहयोग सागर, ब्र. नेमिचंद छु. उपयोग सागर, ब्र. प्रेमचन्द छु. सुयोग्य सागर, ब्र. चमनलाल छु. धर्म सागर, ब्र. रमेशचंद्र छु. सुधर्म सागर, ब्र. ज्ञानचंद छु. सुगम सागर, ब्र. नन्हेलाल छु. प्रशम सागर, ब्र. निर्मल छु. परम सागर, ब्र. सुभाष छु. साम्य सागर, ब्र. अभयकुमार छु. समकित सागर, ब्र. निर्मलचंद छु. संगत सागर, ब्र. सुंदरलाल छु. औचित्य सागर, ब्र. सुरेश छु. भाग्य सागर, ब्र. वीरेंद्र नायक छु. शुक्ल सागर, ब्र. प्रकाशचंद छु. श्वेत सागर, ब्र. प्रेमचंद छु. विरह सागर, ब्र. अशोक कुमार छु. विरत सागर, ब्र. महेंद्रकुमार छु. अपार सागर, ब्र. सटरूलाल छु. समदम सागर शामिल हैं।

जीवन में रहे गहरे दोस्त, दीक्षा भी साथ में ली- जीवन में ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो एक साथ साधना करते हुए आगे बढ़ें। लेकिन दीक्षा समारोह में तीन दोस्तों ने एक साथ दीक्षा ली। इनमें जबलपुर के मल्लकुमार, अजय मुन्ना लम्हेटा और विजय जैन शामिल हैं।

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