भारत में रियल मोटिवेशनल स्टोरी की कमी नहीं है लेकिन निराशा के गर्त से सफलता के शिखर तक पहुंचने की कहानी बहुत कम लोगों की है। आशा कंडारा अब एक ऐसा नाम है जिसकी कहानी वर्षों तक सुनाई जाएगी। पति से तलाक और दो बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी निभाने वाली महिला सफाई कर्मचारी ने किस्मत को कोसने के बजाय किस्मत को बदल कर दिखा दिया है।

जोधपुर की रहने वाली आशा कंडारा की कहानी बहुत ही प्रेरणादायक है। आशा जोधपुर नगर निगम में सफाई कर्मचारी थीं। आम रास्तों पर झाडू लगातीं थीं। लाइफ में मोटिवेशन के लिए कुछ खास नहीं था लेकिन डिप्रेशन में जाने के लिए बहुत कुछ था। 8 साल पहले पति से तलाक हो गया था। दो बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी थी। ऐसी स्थिति में ज्यादातर महिलाएं अपने पति और किस्मत को कोसते हुए जिंदगी बिताती हैं परंतु आशा को यह मंजूर नहीं था। अपने नाम के अनुरूप वह लाइफ में नए रास्ते तलाश रही थी।

सड़कों पर झाड़ू लगाते और बच्चों का पालन पोषण करते हुए आशा में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल कर ली और फिर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में जुट गई। आशा ने 2016 से ही आरएएस परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी। 2018 में उन्होंने प्रशासनिक परीक्षा और निगम परीक्षा के लिए आवेदन किया। जिसमें से निगम परीक्षा पास कर वह निगम में नौकरी करने लगीं और आज राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के बाद आशा कंडारा सफलता की सच्ची कहानी बन गई है। भारत की रियल मोटिवेशनल स्टोरीज में आशा की कहानी वर्षों तक सुनाई जाएगी।

लाइफ में सक्सेस के लिए फैमिली का फेवर और महंगे इंस्टिट्यूट नहीं चाहिए बल्कि एक संकल्प ही काफी है। दुनिया में सबसे कमजोर लोग अपनी असफलता के लिए दूसरे व्यक्तियों अथवा परिस्थितियों को दोष देते हैं। 

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