छतरपुर, बागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को अपना ‘प्राणनाथ’ बताने वाली शिवरंजनी तिवारी शादी वाली बात से मुकर गई हैं. उनका कहना है कि मेरा शादी का संकल्प कभी नहीं रहा है. मेरा पर्चा खुला ही नहीं तो जो संकल्प है वह सामने आया नहीं है. मेरी यात्रा को लोगों ने शादी से जोड़ दिया. दरअसल, 1 मई को गंगोत्री से पैदल कलश यात्रा शुरू करने वाली 20 साल की शिवरंजनी तिवारी ने 16 जून तक एमपी के छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम तक पहुंचने की योजना बनाई थी, लेकिन शिवरंजनी दो दिन पहले ही 14 जून को ही यूपी के महोबा होते हुए एमपी छतरपुर में प्रवेश हुई थीं. इस यात्रा में उन्होंने 1300 किमी का सफर तया किया. कई सारे लोग उनके साथ इस यात्रा के दौरान भी रहे.
भीषण पड़ रही गर्मी के कारण उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया था और फिर उन्हें इलाज के लिए छतरपुर जिला अस्पताल ले जाया गया था. डॉक्टरों का कहना था कि शिवरंजनी को कमजोरी है, जिसके कारण से उनका स्वास्थ्य खराब है. उन्हें आराम करने की सलाह दी गई थी. आजतक से हुई खास बातचीत के दौरान उसे कई सवार पूछ गए थे. तब उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई से लेकर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से जुड़े सवालों का जवाब दिया था.
ना मेरा पर्चा खुला और ना मेरे संकल्प के बारे में पता चला- शिवरंजनी
धीरेंद्र शास्त्री से शादी करने वाली बात से पलटते हुए शिवरंजनी ने अब कहा है कि ”मैंने कभी नहीं कहा कि मेरा शादी का संकल्प है, ना मेरा पर्चा खुला और ना मेरे संकल्प के बारे में पता चला, मेरा संकल्प था कि मैं पूज्य बालाजी के दर्शन करूं और मैं जब 11वीं में थी तब बायो (Biology) सब्जेक्ट लिया था. मैं कैंसर की डॉक्टर बनना चाहती हूं, हे बालाजी मुझे इस फील्ड में सक्सेस दे देना.” शिवरंजनी ने आगे कहा कि मेरी बस यही कामना थी. शादी की तो मेरी कोई कामना थी ही नहीं, लोगों ने वे वजह शादी के विषय से मेरी यात्रा को जोड़ दिया.
भगवा वस्त्र पर यह है शिवरंजनी का कहना
इसी बीत शिवरंजनी के भगवा वस्त्र धारण किए जाने पर शंकराचार्य ज्योतिष पीठ के मीडिया प्रभारी डॉक्टर शैलेंद्र योगीराज सरकार ने सवाल खड़ा किया था. उन्होंने कहा था कि भगवा वस्त्र त्याग का प्रतीक है. भगवा वस्त्र पहनकर प्राणनाथ को प्राप्त करने यानी विवाह का संकल्प लेकर चलना सनातन धर्म की हानि है. वो (शिवरंजनी) सनातन धर्म को क्षति पहुंचा रही हैं और कहती हैं कि सनातन धर्म का झंडा लिए हुए हैं. इसी मुद्दे पर उनके दुबारा बात की गई. उन्हें भगवा पहनना पसंद है और यह तो भगवान श्रीराम ने भी पहने थे. भगवा पहनने से कोई साधु-संत नहीं हो जाता है.
धीरेंद्र शास्त्री 5 दिन के अज्ञातवास पर
शिवरंजनी को छतरपुर 16 जून को आना था, लेकिन 14 जून को ही पहुंच गई थी. शिवरंजनी के आने के अगले दिन ही यानि 15 जून को धीरेंद्र शास्त्री 5 दिन के अज्ञातवास पर चले गए हैं. 15 जून से लेकर 20 जून तक धीरेंद्र शास्त्री अज्ञातवास पर रहेंगे. बताया जा रहा है कि किसी को नहीं पता कि इन पांच दिन बाबा का ठिकाना कहां है. अज्ञातवास खत्म होने के बाद भोपाल में कथा का कार्यक्रम है तो से कथा खत्म करके 24 जून को वापस बागेश्वर धाम पहुंचेंगे.
हरिद्वार में परिवार, मां साइंटिस्ट- पिता इंजीनियर
बताया गया है कि शिवरंजनी का परिवार मूलरूप से एमपी के सिवनी का रहने वाला है, लेकिन 25 साल पहले परिवार हरिद्वार में शिफ्ट हो गया था. शिवरंजनी ने कहा है कि उनके पिता इंजीनियर हैं. वहीं उनकी मां साइंटिस्ट है. मेरे पिताजी बाइक कंपनी में जीएम थे. उन्होंने करीब 5 साल पहले जॉब छोड़ दी थी. मेरा एमबीबीएस अभी कंप्लीट नहीं हुआ है. बाकी फैमिली की डिटेल मैं सीक्रेट रखना चाहती हूं.