नई दिल्ली, महिलाएं लगभग सभी क्षेत्रों में सफलता का परचम लहरा चुकी हैं. वह लगातार रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़कर सफलता की सीढ़िया चढ़ रही हैं. लेकिन इन उपलब्धियों के बावजूद कुछ चौंकाने वाले खु ताजा आंकड़ों से पता चला है कि दुनियाभर के लगभग 90 फीसदी लोगों में अभी भी महिलाओं को लेकर लैंगिक पूर्वाग्रह है. चौंकाने वाली बात ये है कि इस 90 फीसदी आबादी में सिर्फ पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं भी शामिल हैं. इसका मतलब ये हुआ कि महिलाएं भी महिलाओं को लेकर किसी ना किसी तरह के पूर्वाग्रह से त्रस्त रही हैं.

महिलाओं ने हर क्षेत्र में कामयाबी हासिल की है. लेकिन इसके बावजूद भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में उन्हें रिग्रेसिव पूर्वाग्रहों का सामना करना पड़ता है. कॉरपोरेट बोर्डरूम से लेकर कैबिनेट तक महिलाओं का प्रतिनिधित्व पुरुषों की तुलना में बेहद कम है. 1995 से लेकर अब तक केंद्र और राज्य सरकारों में महिलाओं की भागीदारी लगभग 10 फीसदी रही है.

यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेंट प्रोग्राम के जेंडर सोशल नॉर्म्स इंडेक्स (GSNI) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में महिलाओं के साथ हो रहे पूर्वाग्रहों को चार आयामों राजनीति, शैक्षणिक, आर्थिक और फिजिकल इंटेग्रिटी पर निर्धारित किया गया है.

महिलाओं की तुलना में पुरुष बेहतर नेता
यूएन की इस रिपोर्ट से पता चला है कि यह मानने वालों की संख्या बहुत अधिक है कि महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक बेहतर नेता होते हैं. लेकिन सच्चाई ये है कि किसी भी लोकतंत्र में महिलाओं के पास पुरुषों के समान अधिकार होना बहुत जरूरी है.

महिलाओं को नहीं पुरुषों को शिक्षा की अधिक जरूरत
सर्वे के जरिए सामने आए इन डेटा से यह साफ हो गया है कि ऐसा सोचने वालों की आबादी भी बहुत अधिक है, जो यह मानते हैं कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों को शिक्षा की अधिक जरूरत है या महिलाओं की तुलना में पुरुषों की आय अधिक होनी चाहिए.

पति का पत्नी को पीटना उचित
इस डेटा से सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह सामने आया है कि आज भी दुनिया में 25 फीसदी लोग ऐसे हैं, जो मानते हैं कि पतियों का पत्नियों की पिटाई करना जायज है और गर्भपात को कभी उचित नहीं ठहराया जा सकता.

भारत में 99 फीसदी लोगों में महिलाओं को लेकर पूर्वाग्रह
रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में 61 फीसदी लोग महिलाओं के प्रति राजनीतिक तौर पर पूर्वाग्रह रखते हैं. 28 फीसदी लोग शैक्षणिक आधार पर, 60 फीसदी आर्थिक आधार पर जबकि 75 फीसदी लोग महिलाओं के खिलाफ फिजिकल इंटेग्रिटी के आधार पर पूर्वाग्रह रखते हैं. भारत में हालात और भी बदतर हैं. भारत की बात करें तो देश में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की कमाई बेहद कम है. यहां पुरुषों की तुलना में महिलाओं की कमाई महज 20 फीसदी है.

भारत में 99 फीसदी लोगों में महिलाओं को लेकर पूर्वाग्रह हैं. भारत में 69 फीसदी लोग महिलाओं के खिलाफ राजनीतिक तौर पर पूर्वाग्रह रखते हैं. 39 फीसदी शैक्षणिक, 75 फीसदी आर्थिक और 92 फीसदी फिजिकल इंटेग्रिटी रखते हैं.यूएनडीपी के डेटा से पता चलता है कि एक बड़ी तादाद ऐसे लोगों की है, जो सोचते हैं कि महिलाएं नेता बन सकती हैं, शिक्षा हासिल कर सकती हैं, कमा सकती हैं लेकिन फिर भी उनके पतियों का उन्हें पीटना जायज है. महिलाओं को लेकर पुरूषों एवं महिलाओं का अनुपात लगभग समान है.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लैंगिक असमानता की वजह से समाज में महिलाओं के अधिकार प्रभावित होते हैं. भारत जैसे दक्षिण एशियाई देशों में महिलाओं को अधिक समर्थन की जरुरत है. 2021 में महिलाओं की प्रति व्यक्ति आय पुरुषों की आय का लगभग 21 फीसदी है जबकि केन्या, कॉन्गो, दक्षिण सूडान, युगांडा और जिम्बाब्वे जैसे कई अफ्रीकी देशों में यह आंकड़ा 75 फीसदी है.