भोपाल। इस साल के आखिर में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले सियासी सरगर्मी तेज़ हो गयी है। इसका एक उदाहरण 6 जून को तब सामने आया जब हिंदूवादी संगठन बजरंग सेना ने ढ़ोल-नगाड़ों की आवाज़ के बीच इंदिरा भवन स्थित मध्य प्रदेश कांग्रेस के राज्य कार्यालय पहुंच कर ये ऐलान किया कि अब वह कांग्रेस के साथ हैं। इस दौरान प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ भी वहां मौजूद थे।
बजरंग सेना के सदस्यों ने कमलनाथ को गदा व स्मृति चिह् भेंट किया और ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाए। इस खबर के सामने आने के बाद कई तरह की चर्चाएं और सवाल खड़े हुए। कहा गया कि क्या कमलनाथ कांग्रेस के नेतृत्व में वैचारिक तौर पर बड़े बदलाव की ओर बढ़ रही है? क्या है यह सॉफ्ट हिन्दुत्व की एक झलक है और शुरुआत है?
कमलनाथ के हिन्दुत्व कार्ड
ऐसा पहली बार नहीं है कि कलानाथ ने इस दिशा में पहली बार कदम बढ़ाए हैं बल्कि इससे पहले भी वह कई मौकों पर खुद को हनुमान भक्त के रूप में दिखाते रहे हैं। उन्होने भगवान राम के भक्तों के लिए कई बड़े आयोजन करवाए हैं। अपने राजनीतिक क्षेत्र छिंदवाड़ा में एक विशाल हनुमान मूर्ति की स्थापना कारवाई है। 6 जून को बजरंग सेना का विलय अब तक का सबसे बड़ा उदाहरण है यह समझने के लिए कि कमलनाथ के ज़हन में क्या चल रहा है।
बजरंग सेना नाम के इस हिंदुत्व संगठन का लक्ष्य गायों और हिंदू संतों की सुरक्षा, गौशालाओं का निर्माण और मंदिर के पुजारियों को मासिक वजीफा देना रहा है। कांग्रेस में संगठन का प्रवेश बीजेपी से कांग्रेस नेता बने दीपक जोशी द्वारा किया गया है, जिनके पिता दिवंगत कैलाश जोशी ने एक बार मप्र में बीजेपी सरकार का नेतृत्व किया था। दीपक मई में कांग्रेस में शामिल हो गए थे, उन्होंने कहा कि राज्य भाजपा नेतृत्व ने उन्हें दरकिनार कर दिया है।
दीपक जोशी का कहना है कि वह भाजपा को इसके लिए सबक सिखा कर रहेंगे। उन्होने कहा, ‘मैंने बजरंग सेना को कांग्रेस में मिलाने के लिए कई बैठकें की, और इसमें कामयाबी हासिल की कि कांग्रेस भी उस ही विचार के साथ काम कर रही है जिसका बेड़ा बजरंग सेना ने उठाया है’।
बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणवीर पटेरिया का कहना है कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लिए बड़े स्तर पर प्रचार किया था। 10 साल पहले बुंदेलखंड क्षेत्र के छतरपुर जिले में स्थापित, बजरंग सेना अब 12 से ज़्यादा राज्यों में अपनी शाखाओं का दावा करती है, जिसमें पूरे भारत में कई लाख सदस्य हैं। बजरंग दल के पूर्व नेता पटेरिया इसके संस्थापकों में से थे।
कैसे बना बजरंग सेना?
बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणवीर पटेरिया बजरंग सेना के बनने की और खुद के बजरंग दल से हटने की कहानी बताते हुए कहते हैं,“मैं जो कर रहा था, उन्हें वह पसंद नहीं आया। मैं सैकड़ों बाइक रैली आयोजित करने में कामयाब रहा, जबकि वे अपने कार्यक्रमों तक ही सीमित थे, उन्होने मुझपर अलग-अलग तरह के दबाव बनाए और फिर मैंने हार मान ली, उसके बाद मुझे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने बजरंग सेना की स्थापना के लिए राजी किया और फिर हमने इस संगठन को बनाया”।
‘हम सिर्फ मध्यप्रदेश में कांग्रेस के साथ’
कांग्रेस में विलय पर बजरंग सेना की दिल्ली इकाई के प्रमुख भूपेंद्र सिंह कहते हैं, ‘हम मध्य प्रदेश में बीजेपी को झटका देना चाहते थे… हम किसी और राज्य में कांग्रेस में शामिल नहीं हुए हैं, हम सिर्फ यह प्रयोग करके देखना चाहते हैं”।
बजरंग सेना के नेताओं का कहना है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में वे सक्रिय रूप से कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे. “हम हर गांव में जाएंगे और उन्हें बताएंगे कि कमलनाथ एक हनुमान भक्त हैं और राज्य भर में गौशालाएं बनाएंगे … कि वह हमारे हिंदू धर्म के समर्थक हैं”।