ग्वालियर। मध्यप्रदेश के चंबल संभाग का भिण्ड जिला जो आपराधिक गतिविधियों के लिए आज भी कुख्यात है। दस्यु प्रभावित रहे इस जिले में खून का बदला खून, लेने की कुप्रथा आज भी जारी है। यहां घर के दादा की चली आ रही दुश्मनी को नाती-पोतों तक चलती रहती है। पीढी दर पीढी बदला लेने की रस्मों के चलते कई परिवार तबाह हो चुके है।
भिण्ड जिले का एक ऐसा ही गांव है डोंगरपुरा जहां 45 साल से चली आ रही चिम्मन सिंह और लालजी सिंह के परिवार के बीच दुश्मनी में 6 लोगों की जान जा चुकी है। 11 लोग गोली लगने के कारण विकलांग हो चुके है तथा 12 लोग आज भी जेल में बंद है। इस पुश्तैनी दुश्मनी को खत्म कराने के लिए तमाम प्रयास किए गए लेकिन किसी को कोई सफलता नहीं मिली।
45 साल पुरानी इस पुश्तैनी दुश्मनी की शुरुआत 1972 में हुई। लालजी सिंह भदौरिया के पिता साधूसिंह भदौरिया पर चिम्मन सिंह भदौरिया के पिता सूबासिंह ने सोने की एक हबेल की चोरी का इल्जाम लगाया था। साधूसिंह भदौरिया ने गांव के ही मंदिर पर 25 हजार रुपए रखे गए। उन रुपयों को सूबासिंह ने उठा लिए। इस घटना के बाद 11 दिन के भीतर ही सूबासिंह के परिवार के 2 लडकों की आकस्मिक मौत हो गई। इससे सूबासिंह को लगा कि मंदिर से रुपए उठाने के कारण उनके परिवार में 2 मौतें हुई है। इसलिए यहीं से दोनों परिवारों में रंजिश हो गई।
28 जुलाई 2017 को भिण्ड न्यायालय ने हत्या के प्रयास के मामले में दोनों पक्षों के लालजी सिंह, राकेश सिंह, जितेन्द्र सिंह तथा दूसरे पक्ष के चिम्मन सिंह, रुपसिंह, बाबूसिंह, जुगराज सिंह, राजकुमार, दिनेश, फेरन सिंह, महेन्द्र सिंह, दिलीप सिंह, शिवकुमार को 7-7 साल की सजा हुई है।
क्ल रक्षा बंधन के त्यौहार पर चिम्मन सिंह और लालजी सिंह के परिवार की बहिनें भिण्ड जिला जेल में बंद अपने भाईओं के राखी बांधने आई थी। जेल परिसर में स्थित मंदिर पर जब दोनों परिवारों के भाई-बहिनों के मिलन और आंसुओं को देखकर पूरा जेल परिसर गमगीन हो गया। तभी दोनों परिवारों की बहिनों ने अपने भाईओं के राखी बांधते हुए कहा कि अभी और कितनी लाशों को देखना बाकी है। और जिन भाईओं के वह राखी बांध रही है वह भाई अगले साल रक्षा बंधन पर मिलेेंगे भी या नहीं। दोनों परिवारों के भाई-बहिनों का मिलन देखकर दुश्मनी ही खत्म करने का उसी समय वीणा उठाया गया और जेल में बंद लालजी सिंह और चिम्मन सिंह ने मंदिर में शपथ ली कि 45 साल पुरानी दुश्मनी अब दोस्ती में बदल गई है। गांव में अब दोनों परिवार मिल कर रहेंगे। दोनों पक्षों के जेल परिसर में एक सैकडा से अधिक परिजन मौजूद थे।

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