चंडीगढ़, हालिया दिनों में पहलवानों के विरोध प्रदर्शन ने जोर पकड़ लिया है. इस विरोध प्रर्दशन को हरियाणा के खिलाड़ियों से जोड़ कर देखा जा रहा है, जहां कुश्ती सिर्फ एक खेल नहीं बल्कि नाम, प्रसिद्धि, पैसा और सरकारी नौकरी कमाने का एक माध्यम है. जबकि भाजपा शासित राज्य सरकार ने यह कहते हुए कोई भी कार्रवाई करने से परहेज किया है कि यह मामला राज्य से संबंधित नहीं है. लेकिन विपक्षी दलों, किसान संघों और वर्चस्व वाली खाप पंचायतों ने प्रदर्शनकारियों को समर्थन इसलिए दिया हुआ है क्योंकि उनका कहना है कि कुश्ती हर किसी की है.

दिल्ली में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे साक्षी मलिक, विनेश फोगट, बजरंग पुनिया और संगीता फोगट जैसे सभी बड़े खिलाड़ी हरियाणा के हैं. गीता फोगाट और बबीता फोगाट जैसी महिला पहलवानों की सफलता की कहानियों को फिल्माया गया है और आज वे सैकड़ों यंग फीमेल रेसलर्स के लिए रोल मॉडल हैं. ऐसे में भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख और कैसरगंज से भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों ने हरियाणा की यंग रेसलर्स को गहरे सदमे में छोड़ दिया है. वे डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ खड़ी हो चुकी हैं और विरोध में शामिल हो गई हैं.

नई महिला पहलवानों में डर
सोनीपत स्थित महिला कुश्ती कोच सीमा राणा कहती हैं, ‘इस विवाद ने नई महिला पहलवानों और उनके माता-पिता के दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव डाला है. माता-पिता अपनी बेटियों को कुश्ती अकादमियों में भेजने से हिचकिचा रहे हैं. कुछ ने यह कहते हुए खेल छोड़ने का फैसला किया है कि जब इतनी बड़ी महिला के साथ ऐसा हो सकता है. तो नई बच्चियों को भी आसानी से परेशान किया जा सकता है.’

एक जूनियर पहलवान शिक्षा खरब ने पुलिस कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा कि पुलिस ने देश के लिए पुरस्कार जीतने वाले पद्मश्री और अर्जुन अवार्डी बजरंग पुनिया को भी नहीं बख्शा. उन्हें पहले चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री दिया गया और फिर उन्हें एक जानवर की तरह घसीटा गया. जूनियर पहलवान गीतांजलि चौधरी ने कहा कि पहलवानों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार से आने वाली पीढ़ियां खेल से दूर ही रहेंगी.

क्यों कई पहलवान इस प्रदर्शन का हिस्सा नहीं?
दिलचस्प बात यह है कि बड़ी संख्या में पुरुष और महिला पहलवान सरकारी कार्रवाई के डर से पहलवानों के विरोध में शामिल नहीं हुए. हरियाणा एमेच्योर कुश्ती संघ (HAWA) ने 9 मई को तीन जिला सचिवों को WFI प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ चल रहे कुश्ती विरोध में शामिल होने के लिए निलंबित कर दिया. बता दें कि HAWA के अध्यक्ष रोहतास सिंह ने मेवात हिसार और झज्जर के सचिवों जय भगवान, संजय सिंह मलिक और वीरेंद्र सिंह दलाल को विरोध प्रदर्शन में कथित रूप से शामिल होने के आरोप में निलंबित कर दिया था. हिसार में शहीद भगत सिंह कुश्ती अकादमी के दो प्रबंधकों अजय सिंह ढांडा और जय भगवान लाठर को भी उनकी WFI और HAWA विरोधी गतिविधियों के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था.

जो विरोध करेगा, उस पर होगी कार्रवाई
हरियाणा में खेल कोटा और नकद प्रोत्साहन के तहत सरकारी नौकरी पाने वाले कई खिलाड़ी भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होने से बच रहे हैं क्योंकि उन्हें भी प्रशासनिक कार्रवाई का डर है. अधिकारियों द्वारा विरोध के पहले चरण के दौरान कई पहलवानों और अन्य खिलाड़ियों को कथित रूप से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था.

रोल मॉडल्स ने साधी चुप्पी
गीता फोगाट, जिन्हें 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों में कुश्ती में भारत का पहला स्वर्ण पदक जीतने के बाद राज्य सरकार द्वारा पुलिस उपाधीक्षक नियुक्त किया गया था, वो भी इस विरोध में शामिल नहीं हुईं. उनकी पहलवान बहन बबीता फोगट को भी हरियाणा पुलिस में सब इंस्पेक्टर की नौकरी मिली, लेकिन बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गईं.

पहलवानों के भरोसे हुड्डा
गौरतलब है कि हरियाणा में सत्तारूढ़ बीजेपी को घेरने के लिए हुड्डा पहलवानों के इस विरोध में उनका साथ दे रहे हैं. सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही विपक्षी कांग्रेस भी हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा को घेरने के लिए इस पहलवान के विरोध पर निर्भर है. पहलवानों के धरने में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हाल ही में पहलवानों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को लेकर भाजपा सरकार की आलोचना की थी. उन्होंने भाजपा सरकार की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाया.

कांग्रेस के लिए सुनहरा मौका
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, ‘पहलवान बेटियां, आपके द्वारा जीते गए पदक देश के गौरव हैं, न कि किसी व्यक्ति या सरकार के योगदान के. आपकी जीत पर गर्व करने वाला पूरा देश आपके साथ खड़ा है. हिम्मत मत हारिए. हम आपसे अपील लौटने और गंगाजी में पदक विसर्जित करने से बचने की अपील करते हैं.’ इस बीच मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हाल ही में स्पष्ट किया था कि बृजभूषण के खिलाफ दर्ज मामला हरियाणा के बाहर दर्ज किया गया है और इसमें राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है.