केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पूरी तरह चुनावी मोड में आ गए हैं। अपने लोकसभा क्षेत्र गुना-शिवपुरी में उन्होंने 22 और 23 मई को नौ अलग-अलग समाजों के सम्मेलनों में हिस्सा लिया। सिंधिया ने इन सम्मेलनों में लोगों की शिकायतें सुनीं, उनके समाधान का आश्वासन दिया और बीजेपी के लिए वोट भी मांगे। यह पहला मौका है जब सिंधिया एक साथ इतने समाजों के सम्मेलन में शामिल हुए। इसे जरिये उन्होंने इस इलाके के आठ विधानसभा क्षेत्रों के 17 लाख वोटर्स को साधने का अभियान शुरू किया।
सिंधिया 22 और 23 मई को शिवपुरी में तेली, राठौर, बाथम, केवट, कश्यप, निषाद, साहू, वैश्य और जैन समाज के सम्मेलनों में शरीक हुए। कोलारस में पडोरा और खातोरा में रावत, मीणा, देशवाली और यादव समाज के लोगों से उन्होंने मुलाकात की। इसके अलावा उन्होंने गुना में ब्राह्मण और वाल्मीकि समाज तथा अशोकनगर में ोरी और जैन समाज के कार्यक्रमों में उन्होंने हिस्सा लिया।
जारी रहेगा मेल-मुलाकात का दौर
गुना-शिवपुरी सिंधिया का संसदीय क्षेत्र है। पिछले लोकसभा चुनाव में वे यहां से हार गए थे, लेकिन यह इलाका सिंधिया परिवार का गढ़ है। विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने इस क्षेत्र में वोटर्स को साधने की जिम्मेदारी उन्हें दी है। अलग-अलग समाजों से मेल-मुलाकात का दौर अभी जारी रहेगा। सिंधिया तीन और चार जून को भी गुना-शिवपुरी के दौरे पर रहेंगे। वे मूंगावली में बंजारा, अशोकनगर में कुशवाह और शाक्य, ईसागढ़ में सिख, कोलारस में आदिवासी, बदरवास में किरार और गुना में मुस्लिम समाज के लोगों से मिलेंगे। उनका कार्यक्रम इस तरह तैयार किया जा रहा है कि सभी समाज के लोगों से मिल सकें।
जाति समीरण पर नजर
गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों पर करीब 17 लाख वोटर्स हैं। सबसे ज्यादा 2.30 लाख वोट अनुसूचित जनजातियों के हैं। अनुसूचित जाति के करीब एक लाख, कुशवाहा समाज के 60 हजार, यादवों के 73 हजार, ब्राह्मण के 80 हजार और रघुवंशी समाज के 70 हजार वोटर हैं। इसके अलावा वैश्य और जैन समाज के 20 हजार, किरार और धाकड़ समाज के 30 हजार और मुसलमानों के 20 हजार वोट हैं। अलग-अलग समुदायों के वोट इस तरह बिखरे हैं कि जातिगत समीकरणों को साधे बिना जीत की उम्मीद नहीं हो सकती। सिंधिया विधानसभा चुनाव के जरिए लोकसभा चुनाव की तैयारियों में भी लगे हैं।
विधानसभा सीटों का ये है गणित
गुना विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 37 हजार वोट अनुसूचित जातियों के हैं। 20 हजार वोटों के साथ ब्राह्मण समाज दूसरे नंबर पर है। इसके अलावा वाल्मीकि समाज का भी अच्छा खासा असर है। सिंधिया गुना में ब्राह्मण और वाल्मीकि समाज के सम्मेलन में शामिल हुए। बमोरी में एसटी और ओबीसी को मिलाकर करीब 80 हजार वोट हैं जो निर्णायक होते हैं। अशोकनगर में यादव और रघुवंशी समाज के वोट सबसे ज्यादा हैं। मूंगावली सीट पर यादवों ककी भूमिका निर्णायक होती है। चंदेरी में भी एसटी और ओबीसी वोटर्स की तादाद सबसे ज्यादा है। शिवपुरी में वैश्य समाज के सबसे ज्यादा 50 हजार वोट हैं, लेकिन इस क्षेत्र में जातिगत समीकरण से ज्यादा महत्वपूर्ण महल का प्रभाव है। कोलारस में ओबीसी के 35 हजार, एसटी के 32 हजार और किरार समाज के 22 हजार वोट हैं। पिछोर विधानसभा क्षेत्र में धाकड़ समाज के 50 हजार और ब्राह्मण के 35 हजार वोट हैं।