सिंगरौली। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के नजदीक आते ही कांग्रेस हो या बीजेपी या कोई अन्य दल सभी तैयारियों में लग गई है. जो जहां कमजोर है वहां खास फोकस बनाए हुए हैं. कांग्रेस की ओर से इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह माहौल की नब्ज टटोलने के लिए विन्ध्य के सिंगरौली  दौरे पर हैं.वह सिंगरौली जिले के सेक्टर, मंडलम और जिला पदाधिकारियों से मुलाकात की और जिले में लगातार कांग्रेस प्रत्याशी के हारने की पशुओं को जानने का प्रयास किया. 

बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इन दिनों प्रदेश में तीन तरह की भाजपा चल रही है एक शिवराज आज दूसरा महाराज भाजपा और तीसरा महाराज भाजपा। और इसी चक्कर में भाजपा यह चुनाव हारने वाली है। भाजपा लंबे समय से सत्ता में है लेकिन यह बेरोजगारी भ्रष्टाचार और महिलाओं पर लगातार ज्यादती हो रही है। लेकिन शिवराज सरकार लूट का सूट में लगी हुई है। कांग्रेस सरकार में कानून में प्रावधान था कि यदि उद्योग लगाने के लिए गांव के किसानों की जमीन अधिग्रहित की जाती है तो वहां के सर्कल रेट का 4 गुना मुआवजा दिया जाएगा। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद इस ऑर्डिनेंस को समाप्त कर दिया। और राज्य सरकार को अधिकार दे दिया कि वह उद्योग लगाने के लिए आपने मन मुताबिक उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए नियम बना ले हालात यह हो गए कि अब किसानों को दोगुना मुआवजा तो दूर बल्कि सर्कल रेट नहीं मिल पा रहा।

कमलनाथ ने हार की वजहों का पता लगाने भेजा

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि हम लगातार सिंगरौली विधानसभा सीट हार रहे हैं। ऐसे में कमलनाथ ने मुझे पता लगाने के लिए भेजा है कि आखिर हम यहां लगातार क्यों हार रहे हैं। आज हम कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक लेंगे और सभी विधानसभा में 12 से 15 सेक्टरों में बांटा गया है। 3 से 5 पोलिंग सेक्टर हमारी बन चुकी है सभी पदाधिकारियों से चर्चा करेंगे,और हार की समीक्षा करेंगे। जिले के प्रभारी मंगू सिंह भी इसी समीक्षा में लगे हुए हैं।

बागियों पर कांग्रेस की रहती है विशेष कृपा

मुख्यमंत्री ने भी माना कि कांग्रेस की हार के पीछे की मुख्य वजह कांग्रेसी है कांग्रेसी भाजपा नहीं बल्कि कांग्रेस खुद पर आती है। इस दौरान मीडिया कर्मियों ने सवाल किया कि कांग्रेस ऐसे ही पदाधिकारियों को जिला के अहम पदों पर नियुक्त करती है या फिर विधानसभा और महापौर जैसे चुनावों में टिकट देती है जो बागी बनकर कांग्रेश को हराते हैं। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि किसको टिकट मिले किसको ना मिले यह पार्टी तय करेगी लेकिन पार्टी अपनी पुरानी गलतियों को सुधरेगी और अब कांग्रेस बागियों को  पार्टी में घुसने नहीं देगी।

गढ़ में कमजोर हुई कांग्रेस

विंध्य लंबे समय से कांग्रसे का गढ़ रहा है. प्रदेश के अन्य हिस्सो में हार की भरपाई यहीं से की जाती रही है. लेकिन, पुछले कुछ सालों में यहां की हवा बदली और 2018 में सपाक्स के तमाम विरोध के बाद बीजेपी ने यहां अच्छी खासी बढ़त बनाई और 29 में से 23 सीटें हासिल की. बाद में बिसाहूलाल सिंह के भाजपा में जाने के बाद ये आंकड़ा बढ़कर 24 पर आ गया. इसके विपरीत कांग्रेस को महज 5 सीटे ही मिल पाई. उसके दिग्गज भी चुनाव हार हए.