भोपाल । समाज की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए कमजोर वर्ग के लोगों के लिए सरकारी योजना मील का पत्थर साबित होती हैं लेकिन सत्ता हासिल करने के लिए निकाली जाने वाली मुफ्त की योजनाएं प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर डालती हैं। चुनावी साल में मध्य प्रदेश में नोट बांटने की होड़ मच गई है। इसके अलावा राजनीतिक दल एक से बढ़कर एक घोषणाएं कर रहे हैं। हालांकि इसका मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर कितना असर पड़ेगा, यह तो वक्त बताएगा मगर एक्सपर्ट अभी से बुरे संकेत दे रहे हैं।

वोट पाने के लिए अनाप-शनाप घोषणाएं कर रहे नेता
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने लाडली बहना योजना के जरिए कुछ शर्तों के अंदर आने वाली महिलाओं को 1000 प्रति माह खाते में डालने की घोषणा कर दी है। 10 जून से महिलाओं के खाते में पैसे आना शुरू हो जाएंगे। इससे मध्य प्रदेश सरकार को हर साल 15000 करोड़ रुपए से अधिक अतिरिक्त बोझ पड़ने वाला है. दूसरी तरफ कांग्रेस भी घोषणाओं को लेकर पीछे नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी मध्य प्रदेश के किसानों का दो लाख रुपए का कर्जा माफ करने और महिलाओं को बिना शर्त 1500 प्रतिमाह देने की घोषणा कर दी है। उन्होंने यह भी कहा कि सत्ता हासिल करने के बाद 500 रुपए में गैस सिलेंडर मुहैया कराए जाएगा।

सत्ता और विपक्ष दोनों ही लगातार घोषणाओं की झड़ी लगा रहे हैं लेकिन इस बात की भी चिंता करना आवश्यक है कि इन घोषणाओं का कितना असर मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य पर पड़ने वाला है. वर्तमान में मध्य प्रदेश पर 3.5 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्जा है. ऐसे में यदि और बोझ बढ़ा तो मध्य प्रदेश के विकास पर भी इसका असर पड़ सकता है।

‘सत्ता के लालच में फायदा पहुंचाना गलत’
विक्रम विद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख प्रोफेसर एसके मिश्रा के मुताबिक कमजोर वर्ग के लोगों को ऊपर उठाने के लिए हमेशा से सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जाती रही हैं. यदि योजनाओं को अर्थव्यवस्था के अनुशासन में रहकर चलाया जाए तो किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आएगी लेकिन यदि सत्ता हासिल करने के लिए योजनाओं को लाया जाए तो यह पूरी तरह गलत है।

एक सीमा तक कोई भी प्रदेश कर्ज सहन कर सकता है. यदि अर्थव्यवस्था का दायरा अनुशासन से बाहर हो जाए तो प्रदेश के विकास पर बुरा असर पड़ेगा. फिलहाल मध्य प्रदेश में जीएसटी कलेक्शन और अन्य आय के स्त्रोत मजबूत हैं मगर योजनाओं को लागू करने और घोषणा करने में सावधानी बरतना बेहद आवश्यक है. ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले समय में इसके विपरीत परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

इंफ्रास्ट्रक्चर और स्किल डेवलपमेंट पर होना चाहिए ध्यान
चार्टर्ड अकाउंटेंट जितेंद्र ढाणी के मुताबिक जिस प्रकार से प्रत्येक परिवार और घर की अर्थव्यवस्था आय और व्यय के हिसाब से चलती है, उसी तरह मध्य प्रदेश और देश की अर्थव्यवस्था भी आय और व्यय के हिसाब से ही चलाई जाती है. सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर और स्किल डेवलपमेंट पर विशेष ध्यान देना चाहिए। जिस प्रकार से मुक्त की योजनाएं आ रही हैं उससे निश्चित ही लोगों का ध्यान मेहनत करने से भटकेगा. सरकार मुफ्त का अनाज तो मुहैया करा रही है और ऊपर से नगद राशि खाते में आएगी तो इसका असर बाजार पर निश्चित रूप से विपरीत पड़ने वाला है।