मुरैना। मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के सिहौंनिया थाना क्षेत्र के लेपा गांव में जमीन के विवाद में एक ही समुदाय के दो गुटों में खूनी संघर्ष हो गया। संघर्ष के दौरान दोनों गुटों के लोगों ने लाठियों से हमला किया और बंदूकों से फायरिंग की। फाइरिंग में छह लोगों की मौत हो गई। घटना की सूचना मिलते ही सिंहौनिया सहित आसपास के थानों से भी पुलिस बल लेपा गांव भेजा गया है। घटना के बाद से गांव में तनाव की स्थति बनी हुई है। गांव से मृतकों के शवों को मुरैना अस्पताल में पीएम के लिए लाया गया है। साथ ही घायलों को भी इलाज के लिए मुरैना अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

मुरैना जिले के लेपा गांव के रंजीत तोमर व राधे तोमर के बीच जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। 2014 में दोनों पक्षों के बीच में विवाद हुआ और रंजीत तोमर के पक्ष ने राधे तोमर के परिवार के दो तीन लोगों की हत्या कर दी थी। इसके बाद से रंजीत तोमर का परिवार गांव छोड़कर चला गया था। कुछ दिन पहले ही वह गांव में लौटा तो बदला लेने की नीयत से हमला किया। फायरिंग कर हत्या करने के बाद आरोपी परिवार सहित फरार हो गए। साथ ही गांव में इस घटना के बाद से सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव का कोई भी व्यक्ति कुछ कहने के लिए तैयार नहीं है। पुलिस मौके पर पहुंच गई है। साथ ही आरोपियों की तलाश कर रही है। पुलिस को उम्मीद है कि अभी आरोपी खेतों व बीहड़ों में छिपे हो सकते हैं।

जिस परिवार के छह लोगों की हत्या आज 5 मई को हुई है। उन्होंने आरोपी परिवार से पांच महीने पहले ही 10 लाख रुपए देकर राजीनामा किया था। 2014 में रंजीत व उनके परिवार के लोगों ने राधे यानि राधेश्याम के परिवार के तीन लोगों की हत्या कर दी थी। हत्या के बाद रंजीत व अन्य आरोपी जेल चले गए और पूरा परिवार गुजरात के अहमदाबाद में बस गया। 2014 से ही रंजीत के परिवार के लोगों की जमीन बंजर पड़ी थी। पांच महीने पहले रंजीत के परिवार के गजेंद्र सिंह सहित अन्य लोगों ने राधे के परिवार के लोगों से राजीनामा कर लिया। राजीनामा में 10 लाख रुपए भी दिए। आरोपी पक्ष ने भी कह दिया था कि अब कोई बात नहीं है। राजीनामा के बाद भी आरोपियों ने आज गजेंद्र सहित उसके परिवार के लोगों की हत्या कर दी।

राजीनामा होने के बाद निश्चित होकर गजेंद्र का परिवार आज सुबह ही अहमदाबाद से लौटा था। परिवार के लोग अहमदाबाद से लाए सामान केा घर में रख ही रहे थे तभी आरोपियों ने हमला कर दिया और फायरिंग करना शुरू कर दी। ऐसे में गजेंद्र के परिवार को बचने का मौका ही नहीं मिला।

मृतकों में से केवल गजेंद्र सिह थे जो गोली मारने वालों को पहचानते थे। बाकी के सदस्य पिछले 9-10 साल से गांव से बाहर रहने से आरोपियों को नहीं पहचानते थे। इस वजह से अब गोली मारने वाले आरोपियों की पहचान करने में भी पुलिस को परेशानी आ रही है। गांव के लोग भी अपना मुंह नहीं खोल रहे है।